पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है प्लास्टिक
विज्ञान की खोज प्लास्टिक हमारी जरूरत और सुविधा के लिए तैयार किया था। लेकिन अब यह खतरनाक दुश्मन बनकर हमारे पर्यावरण के विनाश का कारण बनता जा रहा है। जमीन से लेकर समुद्र तक गांव से लेकर शहर तक और मैदान से लेकर पहाड़ तक प्लास्टिक का ही दबदबा है।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : विज्ञान की खोज प्लास्टिक हमारी जरूरत और सुविधा के लिए तैयार किया था। लेकिन अब यह खतरनाक दुश्मन बनकर हमारे पर्यावरण के विनाश का कारण बनता जा रहा है। जमीन से लेकर समुद्र तक, गांव से लेकर शहर तक और मैदान से लेकर पहाड़ तक प्लास्टिक का ही दबदबा है। पीने के पानी में भी लोग मिला हुआ प्लास्टिक पी रहे हैं, नमक में प्लास्टिक खा रहे हैं। प्लास्टिक हमारे पर्यावरण को बड़ी तेजी से प्रदूषित करके अत्यधिक नुकसान पहुंचा रहा है। प्लास्टिक निर्मित पदार्थो से पैदा हुए कचरे का निपटारा करना अत्यंत ही कठिन कार्य होता है। पृथ्वी पर प्रदूषण फैलाने में भी इसी प्लास्टिक का काफी अहम योगदान है। इससे यह भारी चितन का विषय जनसाधारण तथा वैज्ञानिकों के लिए बन गया है। इस विषय पर दैनिक जागरण के साथ अपने विचार व्यक्त करते हुए पर्यावरणविद् दलजीत सिंह जीतू ने कहा कि पिछले लगभग 25-30 साल में प्लास्टिक प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ा है, जोकि एक गंभीर समस्या है। इस हानिकारक प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग को रोककर ही हम इस भयावह समस्या पर काबू पा सकते हैं। हमें हर एक व्यक्ति को इस समस्या के निवारण के लिए समझाना होगा, जागरूक कारण होगा और इस समस्या के समाधान के लिए आगे आना होगा। इसे रोकने में अपना बहुमूल्य योगदान देना होगा तभी हमारी धरती इंसानों के रहने लायक बनी रहेगी। हानिकारक प्रभावों को गंभीरता से समझने की जरूरत : युद्धवीर सिंह
देपुर के युद्धवीर सिंह जो वर्तमान में डीडीपीओ पठानकोट हैं का कहना है कि प्रदूषण के लिए प्लास्टिक बैग और फर्नीचर ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि पूरे विश्व में अन्य कई प्लास्टिक से बनने वाली चीजें भी इसके लिए उतने ही जिम्मेदार हैं। चूंकि अब तो हरेक चीज इसकी बानी हुई मिलने लगी है। यह वह समय है जब हमें प्लास्टिक प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को गंभीरता से समझने की आवश्यकता है। इसे रोकने में अपना बहुमूल्य योगदान देने की आवश्यकता है। खाद्य पदार्थो के साथ सबसे अधिक होता है उपयोग : अमित सैनी
उद्योगपति अमित मैनी का कहना है कि प्लास्टिक से बना सामान जन स्वास्थ्य और हमारे स्वच्छ पर्यावरण के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है। लोग सब्जियां, चावल, मछली, दूध, खाना, पनीर और मांस आदि जैसी चीजों को ले जाने के लिए पालिथीन से बने लिफाफों का अंधाधुंध इस्तेमाल करते हैं। जो बहुत घातक है क्योंकि यदि प्लास्टिक के बैग में खाद्य पदार्थ रखा जाता है, तो वे जल्द ही खराब हो जाते हैं। पालीथीन के लिफाफे में खाद्य पदार्थो को पैक करना हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत हानिकारक है। सैकड़ों सालों तक प्लास्टिक नहीं होता है विघटित : सुनील ठाकुर
नागदेवता मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सुनील ठाकुर का कहना है कि प्लास्टिक एक नान बायो-डिग्रेडेबल पदार्थ है। इसीलिए यह हर जगह बेतरतीब पड़ा हुआ रहता है और नष्ट नहीं होता। सुनील ठाकुर ने कहा यह न तो पानी और न ही मिट्टी में विघटित होता है और इसे जलाने पर इसका नुकसान और भी ज्यादा हानिकारक हो जाता है। यह वातावरण में सैकड़ों सालों तक उपस्थित रहता है।