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परोपकार ही मानवता है: स्वामी महेश पुरी

संवाद सहयोगी दातारपुर परोपकार दो शब्दों के मेल से बना है। पर व उपकार अर्थात दूसरों की

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 03:02 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 03:02 PM (IST)
परोपकार ही मानवता है: स्वामी महेश पुरी
परोपकार ही मानवता है: स्वामी महेश पुरी

संवाद सहयोगी, दातारपुर

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परोपकार दो शब्दों के मेल से बना है। पर व उपकार, अर्थात दूसरों की भलाई करना। परोपकार ऐसी विभूति है, जो मानव को मानव कहलाने का अधिकारी बनाती है। यह मानवता की कसौटी है। परोपकार ही मानवता है, जैसा कि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने लिखा है 'वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे। शिव मंदिर फतेहपुर में धर्म चर्चा करते हुए स्वामी महेश पुरी ने उक्त प्रवचन किए।

उन्होंने कहा केवल अपने दुख-सुख की चिता करना मानवता नहीं पशुता है। निस्वार्थ भावना से दूसरों का हित-साधन ही परोपकार है। मनुष्य अपनी साम‌र्थ्य के अनुसार परोपकार कर सकता है। दूसरों के प्रति सहानुभूति करना ही परोपकार है और सहानुभूति किसी भी रूप में प्रकट की जा सकती है। किसी निर्धन की आर्थिक सहायता करना अथवा किसी असहाय की रक्षा करना परोपकार के रूप हैं। किसी पागल अथवा रोगी की सेवा करना, किसी भूखे को अन्नदान करना भी परोपकार है। किसी को संकट से बचा लेना, किसी को कुमार्ग से हटा देना, किसी दुखी-निराश को सांत्वना देना-यह सब परोपकार के ही रूप हैं। परोपकार से ही मानवता उज्जवल होती है। अत: इसकी महत्ता अनंत है। परोपकार से ही मानव उन्नति और सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकता है। अत: मानव-समाज का आदर्श कर्म परोपकार ही होना चाहिए।


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