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डाक विभाग ने संभाली कमान, लोगों को घर बैठे मिली पेंशन

कोरोना वायरस के कारण लगाए गए क‌र्फ्यू में प्रशासन ने पेंशन धारकों को डोर-टू-डोर पेंशन पहुंचाई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 11:56 PM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 11:56 PM (IST)
डाक विभाग ने संभाली कमान, लोगों को घर बैठे मिली पेंशन
डाक विभाग ने संभाली कमान, लोगों को घर बैठे मिली पेंशन

जागरण संवाददाता, होशियारपुर: कोरोना वायरस के कारण लगाए गए क‌र्फ्यू में प्रशासन ने पेंशन धारकों को डोर-टू-डोर पेंशन पहुंचाई। क‌र्फ्यू के दौरान हर माह 1,37,010 लाभार्थियों को घर पर पेंशन मुहैया करवाई गई है। प्रशासन ने लोगों की परेशानी को देखते हुए पेंशन बांटने का कार्य युद्धस्तर पर चलाया। जिले के बहुत सारे लोग सीधे तौर पर सरकार की इस पेंशन पर ही निर्भर हैं। उनके लिए यह सबसे बड़ा सहारा है। चाहे पेंशन के नाम पर उन्हें मात्र 750 रुपये ही मिलते हैं, लेकिन एक जरूरतमंद के लिए यह कम नहीं है। वैसे तो अधिकतर लाभार्थियों को बैंकों में ही पेंशन जाती है लेकिन क‌र्फ्यू के दौरान बैंक आदि सब बंद थे और खास तौर पर बुजुर्ग बैंकों में जाने में असमर्थ थे। इसलिए उन्हें घरों तक ही पेंशन पहुंचाने के लिए समाजिक सुरक्षा विभाग ने डाक विभाग की मदद से यह काम किया। लोगों को डाक विभाग की मदद से घर-घर पेंशन पहुंचाई गई। जिले में हैं 1,37,010 हजार लाभार्थी

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जिले में कुल 1,37,010 पेंशन लाभार्थी हैं। जिसमें विधवा, बुजुर्ग, दिव्यांग व आश्रित बच्चे शामिल हैं और सबको 750 रुपये पेंशन हर माह दी जाती है। यानी एक माह में 10,275,7500 रुपये पेंशन का भुगतान किया जाता है। इस पेंशन संबंधी बजट साल के आरंभ में ही विभाग को दे दिया जाता है जो अप्रैल तक दिए जा चुके हैं। यह हैं पेंशन लाभार्थी

बुजुर्ग- 79,762

विधवा-30,972

दिव्यांग-13,854

आश्रित बच्चे-12,422

घर-घर पेंशन पहुंचाने का बनाया प्लान

जिला समाजिक सुरक्षा विभाग के अधिकारी मुकेश गौतम ने बताया कि क‌र्फ्यू के दौरान बैंक बंद थे। इसलिए लोगों को घर-घर पेंशन पहुंचाने का प्लान बनाया गया। इस संबंध में डीसी अपनीत रियात से विशेष मीटिग की गई। इसके बाद डाक विभाग की मदद ली गई और जिला में कुल 550 डाक विभाग के मुलाजिमों ने डोर-टू-डोर जाकर पेंशन पहुंचाई। इसके अलावा बैंकों के फील्ड में काम करने वाले कर्मचारियों की मदद ली गई। इस दौरान आधार कार्ड के जरिये पेंशन बांटी गई। धीरे-धीरे काम होता गया आसान

मुकेश गौतम ने बताया कि जब डोर-टू-डोर पेंशन पहुंचाने का फैसला लिया गया तो पहले तो यह काम असंभव प्रतीत हो रहा था, क्योंकि इतने लोगों तक पेंशन पहुंचाना टेडी खीर था। लेकिन इस दौरान पूरे जिला को अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया व जिसके हिसाब से टूर प्लान किया गया और धीरे-धीरे सारा सिस्टम आसान हो गया। लोगों को उन्हें घर बैठे सुविधा मिल पाई जो अपने आप में एक बड़ा चैलेंज था।


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