शहर की सफाई व्यवस्था को सुधारने की जरूरत
मेयर की कुर्सी पर इस बार कांग्रेस का कब्जा है लेकिन यह पद कांग्रेस पार्षद सुरिदर कुमार छिदा के लिए कई टारगेट चुनौतियां व जिम्मेदारियों वाला है।
जागरण संवाददाता, होशियारपुर : मेयर की कुर्सी पर इस बार कांग्रेस का कब्जा है, लेकिन यह पद कांग्रेस पार्षद सुरिदर कुमार छिदा के लिए कई टारगेट, चुनौतियां व जिम्मेदारियों वाला है। टारगेट रहेगा कि शहर में निगम की लंबे समय से कमियों को दूर करना, अधूरे काम को पूरा व शहर की मूल बन चुकी समस्याओं को दूर करना चुनौती रहेगी और जिम्मेदारी रहेगी कि जो सिस्टम है उसे दुरुस्त करके सही ढंग से अग्रसर करना ताकि निगम के कार्यो को नई दिशा मिल सके। शहर की कुछ समस्याओं में से सबसे बड़ी सफाई व्यवस्था है क्योंकि हर बार इसी कारण शहर पायदान से नीचे खिसका है। इसके लिए ठोस रणनीति बनाने की जरूरत है। कुर्सी संभालते समय मेयर सुरिदर कुमार ने यह वादा किया था कि शहर की हरेक समस्या को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा। अब देखना यह है कि इसका हल कैसे होगा।
हरेक इलाके में गंदगी के ढेर
सरकार के स्वच्छता अभियान के दावों की हकीकत यहां कुछ और ही बयां कर रही है। स्वच्छता के पायदान में निगम का कोई बढि़या रैंक नहीं है। केवल काम चलाऊ तरीके से टाइम पास किया जा रहा है। हरेक इलाके में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे रहते हैं और उन पर बेसहारा पशु मंडराते हैं। हालात यह हैं कि निगम शहर को स्वच्छ व खूबसूरत बनाने के दावे तो करता है, मगर जमीनी हकीकत पर फेल है। आज तक जो भी प्लान बनाया गया वह सही ढंग से अप्लाई ही नहीं हो पाया। शुरू में तो प्लान सही ढंग से चलता है लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते हैं वैसे ही हालत पहले जैसे हो जाती है। शायद यही कारण है कि शहर सफाई के मामले में हमेशा रैंक में गिरता रहता है।
डंप नहीं हो रहे कारगर साबित
शहर में कचरा एकत्रित करने के लिए जगह-जगह डंप बनाए गए थे, पर कचरा न उठाने के कारण हालात बद से बदतर हैं। लाख दावों के बावजूद शहर में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से सफल नहीं हो रही। माडल टाउन, मेडिसन मार्केट, टांडा रोड, डीएवी कालेज के सामने, ऊना रोड, सरकारी कालेज के पास, दशहरा ग्राउंड के पास, बलबीर कालोनी के सामने, सुखियाबाद काजवे के पास फैला कचरा स्वच्छ भारत की मुहिम की हवा निकालता दिखाई देता है। इसमें कुछ कसूर लोगों का भी है जो कचरा डंप में गिराने के बजाय बाहर ही फेंक कर निकल जाते हैं और रही सही कसर बेसहारा पशु पूरी कर देते हैं।
सफाई सेवकों की कमी भी है मुख्य कारण
सफाई सेवकों की कमी सफाई व्यवस्था में आड़े आ रही है। चंद सफाई सेवकों के कंधों पर पूरे निगम का भार है। एक सफाई सेवक को चार का काम करना पड़ता है। इसके चलते सफाई सेवक चाहकर भी हर रोज इन डंपों से कचरा नहीं उठा सकते। सबसे बड़ी समस्या लोगों में जागरूकता की कमी है क्योंकि वह तय जगह को छोड़कर इधर-उधर गंदगी फेंकते रहते हैं इसलिए सभी नागरिकों का फर्ज बनता है कि आसपास स्वच्छता का माहौल बनाकर रखें। निगम के पास 217 पक्के व मोहल्ला सुधार कमेटी के अंतर्गत 122 सफाई कर्मचारी मिलाकर 339 हैं। आबादी व नए वार्ड के हिसाब से यह गिनती नाकाफी है। इसेलेकर मेयर को प्राथमिकता के आधार पर इनका आंकड़ा दुरुस्त करने में खासा ध्यान देना होगा।
मशीनरी भी है कम
मशीनरी की बात की जाए तो शहर में सफाई के लिए निगम के पास मशीनरी की भी कमी है। दो जेसीबी व कुछ वाहनों के सहारे यह काम चलता है जो नाकाफी है। कई बार वाहन खराब होते हैं तो उनके बदले में नया ही नहीं मिलता जिसके चलते कचरा उठाने का काम आधा अधूरा ही हो पाता है।
जल्द किया जाएगा समस्या का हल : मेयर
इस संबंध में मेयर सुरिदर कुमार छिदा ने कहा कि इस तरफ प्राथमिकता के आधार पर काम किया जाएगा। शहर को स्वच्छ बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। जो कमियां हैं उन्हें दूर किया जाएगा। उन्होंने लोगों से भी अपील की कि कचरा डंप प्वाइंटों पर ही फेंके। उन्होंने कहा कि आने वाले दिन में सारी व्यवस्था सुचारू ढंग से लागू की जाएगी।