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भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया

मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में तपोमूर्ति महंत राज गिरि जी महाराज की अध्यक्षता में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन कथा व्यास पीठाधीश्वर रविनंदन शास्त्री ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 May 2022 03:50 PM (IST)Updated: Tue, 24 May 2022 03:50 PM (IST)
भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया
भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया

संवाद सहयोगी, दातारपुर : मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में तपोमूर्ति महंत राज गिरि जी महाराज की अध्यक्षता में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन कथा व्यास पीठाधीश्वर रविनंदन शास्त्री ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। उन्होंने सातवें दिन कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मां देवकी को वापस देना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए शास्त्री जी ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण-सुदामा जी से समझ सकते हैं। सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। सुदामा ने द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे। द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे। सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया। दोनों की मित्रता देखकर सभी अचंभित हो गए। कृष्ण ने सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया। शास्त्री जी ने बताया कि जब भी भक्तों पर विपदा आती है प्रभु उनका तारण करने अवश्य आते हैं। अंत में भागवत भगवान की आरती की गई और लंगर में प्रसाद वितरण किया गया। जिसमें सैकड़ों लोगों ने शिरकत की। इस अवसर पर महामंडलेश्वर महंत रमेश दास जी महाराज, राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी ऊना वाले, स्वामी महेश पुरी व अन्य संतों ने भी उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित किया और आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर स्वतंत्र ऐरी, अजय शास्त्री, राजिदर मेहता, रमन गोल्डी, गोपाल शर्मा, डा. रविद्र सिंह, डा. सुभाष चंद्र, मास्टर सुभाष चंद्र, देवराज, सुखदेव सिंह, कैप्टन ओंकार सिंह, सुनील रानी, वीरेंद्र सिंह, हरविदर कुमार, रमेश कुमार, वंदना, मंजू, सुधा, सुदेश कुमारी, अनीता, सरोज बाला, राज रानी, प्रभात सिंह, सरिता देवी, ममता रानी व अन्य उपस्थित थे।

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