मातृ भाषा व मातृ भूमि ही हमारा सर्वस्व : प्रिंसिपल शर्मा
तलवाड़ा बच्चे के प्राकृतिक गुण सहज रूप से खिलते हैं। बच्चे रट कर नहीं समझ
संवाद सहयोगी, तलवाड़ा
बच्चे के प्राकृतिक गुण सहज रूप से खिलते हैं। बच्चे रट कर नहीं समझ कर पढ़ें, इसके लिए मातृ भाषा में शिक्षण जरूरी है। यह विचार बुधवार को एसडी सर्वहितकारी विद्या मंदिर तलवाड़ा में सेमिनार के दौरान ¨प्रसिपल देशराज शर्मा ने व्यक्त किए।
अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस पर आयोजित सेमिनार में ¨प्रसिपल शर्मा ने विद्यार्थियों व अध्यापकों से कहा कि आज दुनिया के सभी प्रगतिशील देशों में प्राथमिक शिक्षा अपनी मातृ भाषा में ही दी जाती है। भाषा विचार प्रकट करने का सशक्त माध्यम है। अत: हमें मातृ भाषा सहित अन्य भाषाओं को भी समझना तथा बोलना जरूरी है।
उन्होंने विद्यार्थियों को उदाहरण देकर समझाते हुए कहा कि जैसे हम अंग्रेजी में 'रेन रेन गो अवे' कविता पढ़ते है, जबकि पंजाबी में 'रबा रबा मीहं वरसा, साढ़ी कोठी दाने पा।' इसी तरह टू किल टू बर्ड्स विद वन स्टोन' को ¨हदी में 'एक पंथ दो काज' बोला जाता है। इससे पता चलता है कि हमारी भाषाएं हमें सकारात्मक सोच की ओर अग्रसर करती हैं। उन्होंने कहा कि हम अंग्रेजी के दास नहीं स्वामी बनें, मातृ भाषा व मातृ भूमि ही हमारा सर्वस्व है।
कार्यक्रम में 11वीं कक्षा की छात्रा ज्योतिका ने अपनी कविता 'तूं मां बोली पंजाबी ऐ, सदके जावां तेरे ते' तथा अंकिता ने 'पंजाबी मेरी जान वर्गी' प्रस्तुत कर मातृ भाषा की महत्ता को दर्शाया। छात्र गौरांग ने पंजाबी गायक गुरदासमान के गीत ' पंजाबी ए जुबानें नी रकानें मेरे देश दिए' के माध्यम से सभी को मंत्रमुग्ध किया। 12वीं कि छात्रा कुसुम गौरा ने मंच संचालन करते हुए कहा कि बड़े-बड़े महान लोगों ने भी मातृ भाषा से ही प्रसिद्धि प्राप्त की। कार्यक्रम के अंत में सभी विद्यार्थियों ने संकल्प किया कि वे अपने हस्ताक्षर, अपने घर की नेम प्लेट को अपनी मातृ भाषा में तथा देश को इंडिया नहीं बल्कि भारत लिखेंगे। इस दौरान विद्यार्थियों द्वारा स्कूल के सभी डिस्प्ले बोर्ड अलग-अलग प्रांतीय भाषाओं में लिखे गए। स्कूल की साहित्य परिषद कन्वीनर ममता कुमारी ने सेमिनार में उपस्थित सभी का धन्यवाद किया।