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सड़क पर नाबालिग दौड़ा रहे वाहन, हादसों का बन रहे कारण

सरकार जिला ट्रैफिक पुलिस और जिला प्रशासन यहां ट्रैफिक नियमों की जानकारी देने के लिए सेमिनारों का आयोजन कर लोगों विद्यार्थियों व वाहन चालकों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिए जागरूक करने के दावे करती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 05:29 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 11:43 PM (IST)
सड़क पर नाबालिग दौड़ा रहे वाहन, हादसों का बन रहे कारण
सड़क पर नाबालिग दौड़ा रहे वाहन, हादसों का बन रहे कारण

रामपाल भारद्वाज, माहिलपुर : सरकार, जिला ट्रैफिक पुलिस और जिला प्रशासन यहां ट्रैफिक नियमों की जानकारी देने के लिए सेमिनारों का आयोजन कर लोगों, विद्यार्थियों व वाहन चालकों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिए जागरूक करने के दावे करती है। परंतु इसके उल्ट शहर, कस्बों व गांवों में सैकड़ों नाबालिग बच्चे उनके सामने से वाहनों को सरपट दौड़ाते हुए आम देखे जा सकते हैं। हद तो तब हो जाती है जब नाबालिग वाहन चालकों के परिजन उनके साथ होते हैं। वे अपने बच्चों को स्वयं वाहन की चाबी पकड़ा कर उनकी व लोगों की जिदगी से खेलने से कोई कसर नहीं छोड़ते। अभिभावक ही थमाते हैं बच्चों को चाबी

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अभिभावक ही असल में हादसों की चाबी पकड़ा कर 10 से 12 साल के बच्चों को स्कूटी और मोटरसाइकिल पर चढ़ा देते हैं। वे यह नहीं सोचते कि बच्चे इन वाहनों पर कैसे कंट्रोल करेंगे। माहिलपुर और गढ़शंकर इलाके में 10-12 साल के बच्चे स्कूल और बाजारों में सरेआम स्कूटी और मोटरसाइकिल चलाते नजर आते हैं इस ओर न तो अभिभावक, न ट्रैफिक पुलिस और स्कूल प्रबंधन ध्यान देकर उचित कदम उठाने का प्रयास करते हैं। यहां बिना लाइसेंस दोपहिया वाहनों को चलाने वाले बच्चों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। आमतौर पर पुलिस के मुलाजिम स्कूलों और बाजार के आसपास खड़े होते हैं पर वे इन बच्चों को वाहन चलाते देखकर भी अनदेखा कर अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ लेते हैं। आमतौर पर अधिकतर अभिभावक अपना समय बचाने के लिए नाबालिग बच्चों को दोपहिया वाहन पकड़ा देते हैं, ऐसा कर वह अपने बच्चों के साथ-साथ लोगों की जान भी खतरे में डाल देते हैं। स्कूल संचालकों का कहना है कि उनका काम स्कूल के अंदर की व्यवस्था देखना है बच्चे स्कूल कैसे आते हैं यह देखना उनके अभिभावकों का काम है। उनकी जिम्मेदारी स्कूल वैन में बैठकर स्कूल आने वाले बच्चों की है। यह बात भी सही है कि स्कूल प्रबंधन का कार्य स्कूल के अंदर की व्यवस्था चलाने का है जबकि अभिभावक ही अपने बच्चों को लेकर सुरक्षित पहुंचाने के लिए गंभीर नहीं हैं। पुलिस असमर्थ

नाबालिग वाहन चालकों को रोकना पुलिस के लिए यह मुश्किल हो रहा है क्योंकि इन नाबालिग वाहन चालकों के पीछे उनके बालिग अभिभावक बैठे होते हैं। पुलिस ऐसे किसी वाहन चालक को रोकती है तो वह चालक फोन पर किसी प्रभावशाली नेता से बात करा कर उन्हें अपनी ड्यूटी निभाने से रोक देते हैं। हादसों से बचाव के लिए बच्चों को वाहन न दें

थाना माहिलपुर के प्रभारी इंस्पेक्टर सतिदर सिंह ने कहा कि अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने नाबालिग बच्चों को वाहन न दें ताकि हर प्रकार के गंभीर हादसों से बचा जा सके। पुलिस जल्द करेगी व्यवस्था

थाना गढ़शंकर के प्रभारी इंस्पेक्टर इकबाल सिंह ने कहा कि पुलिस तो नाबालिग बच्चों को वाहन चलाने से रोकने के लिए स्कूलों में सेमिनार करवाती है। इसके लिए अभिभावकों को बच्चों को वाहन देने से मनाही की जाती है फिर भी लोग पुलिस द्वारा दी सलाह को अनदेखा कर देते हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस संबंध में पुलिस मुलाजिमों को ऐसे नाबालिग वाहन चालकों को रोकने की व्यवस्था करेगी। जल्द शुरू करेंगे अभियान : एएसपी

गढ़शंकर एएसपी तुषार गुप्ता ने कहा कि यह गंभीर बात है अभिभावकों को चाहिए कि वे नाबालिग को वाहन की चाबी पकड़ते समय सोचें कि कहीं उनके साथ कोई दुर्घटना न हो जाए या वह किसी दूसरे वाहन चालक के मुसीबत का कारण न बनें। अभिभावकों को चाहिए कि वह नाबालिग बच्चों को वहन न दे। इसके बारे में जल्द अभियान शुरू करेंगे।


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