मेला लगेया दाती दा, आजो दर्शन कर लो..
माता चिंतपूर्णी के सावन के नवरात्रों का मेला शुरू हो गया।
संवाद सहयोगी, होशियारपुर: माता चिंतपूर्णी के सावन के नवरात्रों का मेला शुरू हो गया। पूरे भारत से मां के भक्त मां के दरबार में आने शुरु हो गए हैं। चूंकि मेला शुरुआती दौर में हैं इसलिए श्रद्धालुओं का आना अभी कम है लेकिन मेले की रौनक धीरे धीरे बढ़नी शुरू हो गई है। इस मेले में होशियारपुर से हर रोज गुजरने वाले लोगों की संख्या हजारों में पहुंच जाएगी। पहले नवरात्र से लेकर अंतिम दिन तक दिन रात मां के भक्त बिना रुके और बिना थके मां के जयकारे लगाए हुए चितपूर्णी पहुंचेंगे। इस मेले में जितनी भरी संख्या में मां के भक्त मां के दरबार में गाड़ियों में पहुंचते हैं उनसे भी अधिक संख्या में भक्त पैदल मां के दरबार में पहुंचते हैं। मेला शुरु होते ही पूरे शहर में जैसे त्यौहार जैसा माहौल बन जाता है, और सबसे आकर्षण का केंद्र इस मेले में लगने वाले लंगर होते हैं। लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार लंगर लगाते हैं जो पूरे सावन में निरंतर चलते हैं। बड़े छोटे लंगर लगाकर मेले में कुल तीन के करीब लंगर लगते हैं। और जो लंगर संस्थाएं लगी हैं वह करीब 100 के करीब होते हैं। इस मेले में एक और खास बात देखने को मिलती है कि लंगर लगाने वाले सिर्फ होशियारपुर के लोग ही नहीं हैं बल्कि पंजाब समेत भारत के अन्य शहरों से भी सभी मां के भक्त चिंतपूर्णी दरबार में जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए शाही लंगरों में तरह-तरह के पकवान खिलाकर मां के भक्तों की मेजबानी करते हैं।
वैसे तो हर रोज सैंकड़ों श्रद्धालु पूरे देश से होशियारपुर से होते हुए चितपूर्णी माथा टेकने जाते हैं परंतु सावन के मेले में यह रोड चौबीस घंटे व्यस्थ रहता है। अपनी अपनी समर्थ से अपने अपने साधनों के अनुसार लोग मां के दरबार पहुंचते हैं। कुछ श्रद्धालु तो ऐसे भी हैं जो हर साल इन मेलों में मां के दरबार पर नतमस्तक होने जाते हैं। पैदल, साईकिल, मोटरसाइकिलों पर दिन रात श्रद्धालु मां के दरबार जाने के लिए गुजरते हैं। कोई झंडा उठाए तो कोई ढोल बजाते हुए मां की जय जयकार करते हुए निकलते हैं।
अगर लंगरों की बात की जाए तो होशियारपुर से मंगूवाल तक ही ़िफरो•ापुर, नकोदर ,जालंधर, गोराया, कोटकपुरा, फगवाड़ा, करतारपुर, फरीदकोट, बंगा, नवांशहर और राजस्थान के गंगानगर, पदमपुर आदि के शहरवासिओं की तरफ से भी लंगर की व्यवस्था की जाती है। इन लंगरों में शायद ही कोई ऐसा पकवान हो जो न मिलता हो। माता के भक्तों के लिए शाही पनीर, मलाई कोपता, नान, पूरी, खीर, मालपूड़े, नूडल्स ,टिक्की, दालमक्खनी, मिक्स सब्•ाी, पनीर पकोड़ा, सरसों का साग, लस्सी, जलजीरा, मक्की की रोटी, रसगुल्ला, गुलाब जामुन और तरह तरह के कोल्ड ड्रिक आदि स्वादिष्ट भोजन मिलना आम बात है। माता चिंतपूर्णी के दरबार में जाने वाले भक्तों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो इसलिए प्रशासन की तरफ से तो काफी इंतजाम किए ही जाते हैं। यहां तक कि जगह जगह तक यात्रियों के ठहरने के लिए पंडाल लगाए जाते हैं और फ्री मेडिकल कैंप भी लगाए जाते हैं।