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पराली का खेतों में प्रबंधन करने के तरीके बताए

कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल और खेतीबाड़ी भलाई विभाग द्वारा पराली प्रबंधन के लिए गांवों में प्रदर्शनियां लगाकर किसानों को जागरूक कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 05:51 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 05:51 PM (IST)
पराली का खेतों में प्रबंधन करने के तरीके बताए
पराली का खेतों में प्रबंधन करने के तरीके बताए

संवाद सहयोगी, गढ़शंकर : कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल और खेतीबाड़ी भलाई विभाग द्वारा पराली प्रबंधन के लिए गांवों में प्रदर्शनियां लगाकर किसानों को जागरूक कर रहे हैं। इस मुहिम के तहत कृषि विज्ञान केंद्र होशियारपुर के अधिकारियों द्वारा गढ़शंकर ब्लॉक के गांव चक्क गुरु के किसानों के खेतों में तकनीक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। केवीके बाहोवाल के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. मनिंदर सिंह बोंस व डॉ. सुभाष चंद्र ने बताया धान के खेतों मे गेहूं की सीधी बुआई करने से यहां गेहूं में उगने वाले नदीन कम उगते हैं। वहीं खेत की जुताई में डीजल की खपत कम होती है। उन्होंने बताया कि इस ब्लॉक में चार मशीनरी बैंक बनाए गए हैं, जिनमे से चक्क गुरु गांव भी शामिल हैं। इस मशीनरी का किसान लाभ उठा सकते हैं।

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डॉ. सुभाष चंद्र ने बताया कि चोहड़ा गांव के किसानों सुधीर कुमार, रन बहादुर व जंग बहादुर ने हैप्पीसीडर की सहायता से 15 एकड़ में गेहूं को बुआई की है और चक्क गुरु के किसान भूपेंद्र सिंह व मोहन सिंह ने पांच एकड़ जमीन पर इसी तकनीक से गेहूं की बुआई कर संतुष्टि जाहिर की है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वह खेतों में पराली को आग न लगाए बल्कि खेतों में हैप्पीसीडर की सहायता से गेहूं की बुआई कर खेत जुताई में खर्च होने वाले डीजल की बचत करें। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से गेहूं की पैदावार में बढ़ोतरी होती है।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से किसानों द्वारा धान की पराली को आग लगाने के कारण यहां यह समस्या गंभीर होकर सामने आ रही है। जिसके कारण इसके धुएं से वायु में जहरीली गैसों से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई है। जिससे लोगों को अस्थमा और एलर्जी जैसी खतरनाक बीमारियों लग रही है।


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