साहित्य के क्षेत्र का चमकता सितारा है इंद्रजीत कौर नंदन
होशियारपुर जैसे छोटे शहर में रहने वाली साहित्यकार इंद्रजीत कौर नंदन ने साहित्य के क्षेत्र में अच्छा खासा नाम कमाया है। लेखन पठन और पाठन को उन्होंने बढ़ावा देने का काम किया है। इस क्षेत्र में इंद्रजीत कौर नंदन को राष्ट्रपति भी प्रशंसा पत्र दे चुके हैं।
नीरज शर्मा, होशियारपुर : होशियारपुर जैसे छोटे शहर में रहने वाली साहित्यकार इंद्रजीत कौर नंदन ने साहित्य के क्षेत्र में अच्छा खासा नाम कमाया है। लेखन, पठन और पाठन को उन्होंने बढ़ावा देने का काम किया है। इस क्षेत्र में इंद्रजीत कौर नंदन को राष्ट्रपति भी प्रशंसा पत्र दे चुके हैं। उन्होंने होशियारपुर का नाम रोशन करने का काम किया है। इंद्रजीत कौर नंदन इसका श्रेय अपने माता पिता को देती हैं। हौसले बुलंद हो तो कोई रोक नहीं सकता
इंद्रजीत कौर नंदन ने यह सिद्ध किया है कि हौसले बुलंद व लगन सच्ची हो तो शारीरिक कमी कोई मायने नहीं रखती। उन्होंने कहा कि मैंने कभी अपनी जिदगी में हौसला नहीं हारा चाहे मुझे चलने के लिए सहारे की जरूरत है लेकिन मेरे हौसले को किसी सहारे की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि लोगों को अपने कमियों को भुलाकर मजबूती पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यही सफलता का मूलमंत्र है। किसी भी स्थिति में खुद को कमजोर न मानें, लगातार आगे बढ़ें तभी सफलता कदम चूमेगी।
राष्ट्रीय संस्कृति पुरस्कार पाने वाली पंजाब की पहली बेटी है नंदन
इंद्रजीत नंदन राष्ट्रीय संस्कृति पुरस्कार पाने वाली पंजाब की पहली लड़की है। वर्ष 2008 में राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली इंद्रजीत ने 2012 में मदर टेरेसा अवार्ड, 2013 में स्वामी विवेकानंद स्टेट अवार्ड आफ एक्सीलेंस, 2014 में में पंजाब साहित्य अकादमी अवार्ड, 2014 में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर से अवार्ड आफ आनर, 2018 में पंजाबी यूनिवर्सिटी की करतार सिंह सराभा चेयर की ओर से विशेष सम्मान पाया है। इसके अलावा इंद्रजीत नंदन में 2018 में नासिक में हुए अखिल भारतीय दिव्यांग साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता भी की है। टेक्नोलाजी का सही प्रयोग करें युवा
इंद्रजीत कौर नंदन ने बताया कि मानव ने टेक्नोलाजी अपनी सुविधा के लिए बनाई है। युवाओं को इसका फायदा उठाना चाहिए न कि उसके अधीन होना चाहिए। युवा वर्ग आजकल मोबाइल फोन पर रहते हुए समाज के प्रति अपने फर्ज भूल रहा है। समाज भी तभी मायने रखता है यदि हम सब मिलकर एक दूसरे का सुख दुख में साथ दें। यदि हम सब अपने आप में व्यस्त हो जाएंगे तो फिर समाज का तो कोई अर्थ ही नहीं रह जाएगा। आदर्शो पर अमल करने की जरूरत
उन्होंने कहा कि लोगों से बात की जाए तो वह कहते हैं हम अपना आर्दश भगत सिंह या फिर किसी और महान हस्ती को मानते हैं। जिन्होंने देश के लिए जीवन कुर्बान कर दिया। पर वह लोग केवल बातों तक ही सीमित होते हैं। जरूरत हैं कि जिनको हम आर्दश मानते हैं उनके दिखाए मार्ग पर चलने की। उनकी तरह काम करने की ताकि आम जन का भला हो सके और इस देश का भला हो सके। तभी हमारा समाज व हमारा देश महान बन सकता है।