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निगम मुलाजिमों की मिलीभगत से नियमों को दफन कर खड़ी होती कॉमर्शियल इमारतें

नगर निगम की उदासीनता से शहर में कार्मशियल इमारतें नियमों को दफन करके खड़ी हो रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 12:20 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 06:09 AM (IST)
निगम मुलाजिमों की मिलीभगत से नियमों को दफन कर खड़ी होती कॉमर्शियल इमारतें
निगम मुलाजिमों की मिलीभगत से नियमों को दफन कर खड़ी होती कॉमर्शियल इमारतें

हजारी लाल, होशियारपुर

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नगर निगम की उदासीनता से शहर में कार्मशियल इमारतें नियमों को दफन करके खड़ी हो रही हैं। इन इमारतों के लिए नियम व शर्ते महज सरकारी फाइलों में ही दिखते हैं, जबकि जमीनी हकीकत यह होती है कि बिल्डिग का मालिक अपनी मनमर्जी से बिल्डिग खड़ी करता है। न तो वह पार्किंग छोड़ता है। न ही रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम ही लगाता है। और तो और दो मंजिला बिल्डिंग का नक्शा पास करवाकर तीन से चार मंजिला बिल्डिग खड़ी कर दी जाती है। कुछ जगहों पर तो बन रही बिल्िडग के नक्शे तक पास नहीं है।

ऐसा नहीं है कि नगर निगम अधिकारियों को नियमों को दफन करने वाले इमारत मालिकों के बारे में जानकारी नहीं है। अधिकारी सब कुछ जानते हुए मिलीभगत के चक्कर में जुबान पर ताला लगाकर रखते हैं। नगर निगम की इस उदासीनता से शहर में बिना पार्किंग छोड़े धड़ल्ले से बन रही कार्मशियल इमारतें आने वाले समय में ट्रैफिक की गंभीर समस्या पैदा करने लगी है।

पड़ताल करने पर मालूम पड़ा है कि बिना पार्किंग छोड़े ही सड़कों के किनारे कार्मशियल इमारतें धड़ल्ले से बन रही हैं। हालांकि नगर निगम की ओर से लैंड चेंज और नक्शा पास करते समय इमारतों के मालिकों को नियमों का पाठ पढ़ाता है। यानी कि जगह के हिसाब से पार्किंग छोड़ना लाजिमी होगा। रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाना भी अनिवार्य होता है, मगर यह सब सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं। नगर निगम से फाइल ओके होने के बाद ईमारत के मालिक अपने हिसाब से बिल्डिग को खड़ी कर दी जाती है। न तो नियमों के अनुरूरप पार्किंग छोड़ी जाती है। न ही रेन वाटर हास्र्वेस्टिग सिस्टम ही लगाए जाते हैं। और तो और कुछ कार्मशियल इमारतें ऐसी भी हैं, जिनके नक्शे दो मंजिल के पास हुए हैं और मालिकों ने तीन से चार मंजिला खड़ी कर दी है। हैरानीजक पहलू यह है कि शहर से न जाने कितनी बार नगर निगम के अधिकारी गुजरते हैं, मगर उनका ध्यान नियमों को दफन करके खड़ी होने वाली इमारतों पर नहीं पड़ता है। इससे अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि नगर निगम की मिलीभगत से नियमों को दफन करके कार्मशियलें इमारतें खड़ी की जा रही हैं। अगर ऐसा नहीं तो फिर नियमों को ताक पर रखकर बनने वाली इमारतों व उनके मालिकों के खिलाफ शिकंजा क्यों नहीं कसा जा रहा है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ विभागीय मुलाजिमों ने बताया की कि

यह सारा खेल नगर निगम के कुछ अधिकारियों और इमारतों के मालिकों की मिलीभगत से होता है। जबकि नियमों के अनुसार शर्तों के मुताबिक बिल्डिंग न बनाने पर उसे गिराने तक का प्रावधान है।

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मुलाजिमों को चेकिग के लिए कहेंगे: कमिश्नर

नगर निगम कमिश्नर बलवीर राज सिंह ने कहा कि बिना नक्शा पास किए कामर्शियल इमारतों को कदापि नहीं बनने दिया जाएगा। वह अधिकारियों से जांच करने के लिए कहेंगे। नियमों के खिलाफ निर्माणाधीन बिल्डिंगों पर हर हाल में कार्रवाई होगी।


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