मसकट जाने के बाद बेवफा बना पति, खर्च न चलने से परेशान दो बच्चों की मां ने फंदा लगा दी जान
छह माह पहले मसकट जाने के बाद पति ने एक भी पैसा नहीं भेजा और न फोन पर बात की। न उसे बच्चों का ख्याल आया और न ही बीवी का।
जागरण टीम, होशियारपुर : छह माह पहले मसकट जाने के बाद पति ने एक भी पैसा नहीं भेजा और न फोन पर बात की। न उसे बच्चों का ख्याल आया और न ही बीवी का। घर पर पत्नी दो बच्चों और खुद का पेट बड़ी मुश्किल से पालती थी। दिहाड़ी करके किसी तरह से पढ़ाई का खर्च और रोटी का खर्च चलाती रही, लेकिन सोमवार को उसका धैर्य जवाब दे गया। फिर, उसने अपने दिल पर पत्थर रखकर फंदा लगाकर मौत को गले लगा लिया। दिल दहला देने वाली यह घटना घटी है होशियारपुर के गांव फुगलाना में। 36 वर्षीय सुरिदर कौर ने बच्चों को खाना खिलाने के बाद कमरे में जाकर फंदा लगा लिया था। सुरिदर सिंह का शव पंखे से लटकता देखकर सभी के होश उड़ गए।
अब किसके सहारे जीएंगे सुरिदर कौर के दो बच्चे
सुरिदर का मायका जालंधर के गांव अजताई में है। उसकी मौत की खबर सुनकर भाई बलदेव सिंह भी पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि सुरिदर की शादी 19 साल पहले फुगलानां के परमजीत सिंह से हुई थी। शादी के बाद उसकी बहन के दो बच्चे हुए। एक बेटा और एक बेटी। दसवीं में पढ़ रहे बेटे की आयु 17 साल है और छठवीं में पढ़ रही बेटी की आयु 14 साल है। शादी के बाद परमजीत सिंह पहले यहीं पर राजमिस्त्री का काम करता था।
मगर, परिवार की जरूरत के मुताबिक उसकी आमदन नहीं थी। करीबन पंद्रह साल पहले परमजीत सिंह मसकट चला गया था। वहां पर भी वह राजमिस्त्री का ही काम करता था। सुरिदर कौर के भाई बलदेव सिंह ने बताया कि पहले परमजीत सिंह घर पर थोड़ा बहुत खर्च भेज देता था। उस पैसे से घर का खर्च सुरिदर कौर चला लेती थी। बारह साल बाद छह माह पहले परमजीत सिंह मसकट से घर आया था। कुछ दिन रहने के बाद दोबारा से मसकट चला गया। दोबारा मसकट जाने के बाद नहीं किया संपर्क
बलदेव के मुताबिक दोबारा मसकट जाने के बाद परमजीत सिंह ने बच्चों और बीवी से नजरें फेर ली। न ही उसने कोई फोन किया और न ही उसे पैसे भेजे। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई का खर्च और घर का खर्च चलाने के लिए सुरिदर कौर परेशान रहने लगी। दुकानदारों ने उधार देना बंद कर दिया। बच्चों की फीस के भी लाले पड़ गए। कोई रास्ता न देखकर सुरिदर कौर ने गांव व आसपास दिहाड़ी लगाना भी शुरू कर दी, लेकिन घर के खर्च के हिसाब से उसकी आमदन नहीं थी। दिहाड़ी करने के लिए शरीर भी इजाजत नहीं देता था। अपनी इस परेशानी को सुरिदर ने कई बार सांझा भी किया था कि कैसे घर का गुजारा चलाए। पति परमजीत को कोई प्रवाह नहीं है। घर के खर्च और बच्चों की पढ़ाई को लेकर रहती थी परेशान
सुरिदर कौर से घर का खर्च नहीं चल रहा था। बच्चों की पढ़ाई को लेकर काफी परेशान रहती थी। सोमवार को बच्चे स्कूल गए थे। दोपहर को घर लौटे। उन्हें खाना खिलाने के बाद खुद कमरे में चली गई। बच्चों ने सोचा की मम्मी कमरे में सो रही हैं, मगर उसने छत की गार्डर से पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। काफी देर तक उसके बाहर न आने पर कमरे में जाकर देखने पर उसका शव गार्डर से लटक रहा था।