शहरनामा, होशियारपुर
प्रभारी पर पदाधिकारी पड़े भारी राजनीति में तो वैसे तो अनुशासन का पाठ पढ़ाया जाता है। क
प्रभारी पर पदाधिकारी पड़े भारी
राजनीति में तो वैसे तो अनुशासन का पाठ पढ़ाया जाता है। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जिम्मेदारियां तय की जाती हैं। प्रभारी आदि लगाए जाते हैं, लेकिन गत दिनों एक प्रभारी को कार्यक्रम की जानकारी हासिल करना काफी भारी पड़ गया। हुआ यूं कि कार्यक्रम का जायजा लेने के लिए प्रभारी महोदय होशियारपुर आए थे। उन्होंने यहां पर एक पदाधिकारी से कार्यक्रम की जानकारी हासिल की। जानकारी देने के साथ-साथ प्रभारी और पदाधिकारी में तर्क-वितर्क का दौर शुरु हो गया। कार्यक्रम की रुपरेखा को लेकर शुरु हुआ तर्क-वितर्क मौसम की तरह गर्मी में बदल गया। पदाधिकारी का पारा हाई और वह सुनाने लगे प्रभारी को खरी-खोटी। कहने लगे कि मैं इतने दिनों से कार्यक्रम को सफल बनाने में लगा हूं। समय पर रोटी तक नहीं खाई और आपको लगता है कि मैं यहां पर कोई काम ही नहीं कर रहा हूं। फिर क्या था प्रभारी चुप और पदाधिकारी धड़ाधड़ एक के बाद उन्हें सुनाए जा रहे थे। राजनीतिक मंथन के दौरान निकल रहे विष के दौरान और भी वरिष्ठ नेता बैठे थे, लेकिन वह भी चुप। वह सोचने लगे की कि यह क्या हो गया। काफी देर तक पदाधिकारी अपनी भड़ास निकालते रहे। यहां तक सुना डाला की अगर ऐसी बात है तो वह इस्तीफा दे देंगे। इस दौरान प्रभारी बोल कम रहे थे और उन्हें सुननी ज्यादा पड़ी। खैर, अभी बात और आगे बढ़ती कि कि कुछ और नेताओं ने बीच में पड़कर भड़क रहे माहौल पर पानी डालने का काम किया, लेकिन प्रभारी पर पदाधिकारी के भारी पड़ने की चर्चा खूब जोरों पर है।
-हजारी लाल।