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चब्बेवाल-माहिलपुर मटर उत्पादन का सरताज, दूसरे राज्यों से भी होती है मांग

अपने मीठे स्वाद के कारण होशियारपुर जिले के मटर देश के दूसरे राज्यों में रहने वाले लोगों में लोकप्रिय है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 11:22 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 11:22 PM (IST)
चब्बेवाल-माहिलपुर मटर उत्पादन का सरताज, दूसरे राज्यों से भी होती है मांग
चब्बेवाल-माहिलपुर मटर उत्पादन का सरताज, दूसरे राज्यों से भी होती है मांग

रामपाल भारद्वाज, माहिलपुर

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अपने मीठे स्वाद के कारण होशियारपुर जिले के मटर देश के दूसरे राज्यों में रहने वाले लोगों में लोकप्रिय है। राज्य में मटरों के कुल उत्पादन में से तीन चौथाई हिस्सा होशियारपुर जिले से आता है। होशियारपुर का चब्बेवाल-माहिलपुर इलाका मटर उत्पादन के लिए मटर व्यापारियों के बीच मटर की राष्ट्रीय मंडी के रूप में मशहूर है। इस इलाके के कालेवाल, नंगल ़िखलाड़िया, बाड़ियां कलां, भाम, बिहाला, नंगल कलां, सकरूली, पट्टी, राजपुर, लेहली कलां, जंडोली, रामपुर, मुगोवाल और सरहाला सहित करीब 100 के करीब गांवों में सात-आठ हजार हेक्टेयर में मटर के फसल की खेती की जाती है। सितंबर महीने में मटर की बोआई की जाती है और नवंबर 15 तरीख तक बोआई की जाती है। अगेते मटर बोने वाले किसानों की फसल मंडियों में यहां नवंबर महीने की पन्द्रह से बीस तरीख तक पुहंच जाती थी इस फसल का किसानों को उच्च मूल्य प्राप्त होता है। इन साल हुई बारिश के कारण यहां मटरों की बोआई लेट हो गई थी जिसके चलते लोगों को मीठे मटर का स्वाद चखने के लिए थोड़ा धैर्य रखना होगा। इस साल मौसम अनकूल होने के कारण मटरों की बंपर पैदावार होने के अनुमान है वही मटरों की फसल एक साथ मंडियों में आने के कारण किसानों को मटर के भाव कम मिलने का अंदेशा जताया जा रहा है। इस मटर को चब्बेवाल की सब्जी मंडी से खरीद कर दूसरे राज्यों को भेजने के लिए व्यपारी नवंबर महीने में पहुंच जाते हैं। वह मटरों को खरीद कर सैकड़ों ट्रकों द्वारा अपने अपने अपने राज्यों की मंडियों को भेजते हैं। चब्बेवाल इलाके का मटर छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों की मंडियों में सप्लाई किया जाता यहां से खरीद कर इन राज्यों के लोग मीठे मटर का स्वाद चखते हैं।

देश के मशहूर शहरों रायपुर, नागपुर, अहमदाबाद, बड़ौदा, दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ, कानपुर, इंदौर, भोपाल, मुंबई, जोधपुर, जयपुर, पटना जैसे शहरों के लोग होशियारपुर के मटर का जायका उठाते हैं। दो महीने की होती है मटर की फसल

इस इलाके में किसान खेतों में अगेते मटर की बोआई 20 सितंबर के आसपास शुरू करते देते है यह बोआई 15 अक्टूबर तक चलती रहती है। मटर की पहली तुड़ाई 60 दिन के बाद कि जाती है इन अगेते मटरों का भाव मंडियों में अपेक्षाकृत अधिक मिलता है जो 50 रुपये 95 रुपये तक मिल जाता था इसके बाद आवक बढ़ने के साथ ही मटर का भाव 15 से 20 रुपए रज जाता था, पर इस साल बोआई लेट होने के कारण मटर की आवक मंडियों में एकाएक होने के कारण भाव कम होने का अंदेशा जताया जा रहा है। पी-3 सबसे बढि़या किस्म मानी जाती है

कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल के डिप्टी डायरेक्टर मनिदर ¨सह बोंस ने बताया कि पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना लगातार मटर की नई किसमें विकसित कर किसानों को उपलब्ध करवा रही है। पी-3 और नई किस्म मटर अगेता-7 किसानों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय किस्म है जो 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से किसानों को दिया गया उन्होंने बताया कि यह अगेती किस्म की फसल है जिसमे दो तुड़ाई कर किसान खेत मे गेहूं की बोआई समय पर कर सकते है। होशियारपुर खेतीबाड़ी अधिकारी मनप्रीत ¨सह और कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल के डिप्टी डायरेक्टर मनिदर ¨सह बोंस ने बताया की सरकार और विभाग किसानों को हरसंभव मदद करने का प्रयास करता रहता है उनका कहना है कि मटर उत्पादन में होशियारपुर जिले को नंबर एक बनाना है। खरीद सुनिश्चित नहीं करती सरकार

किसानों को सरकार अपने खेतीबाड़ी विभाग और अन्य अदारो से मटर का बीज तो उपलब्ध कराने में सहायता देती है पर किसानों द्वारा उत्पन्न मटर की खरीद करने के लिए किसी एजेंसी की जुम्मेवारी तय नहीं बल्कि किसानों की इस फसल की खरीद मंडी के आढ़तियों और व्यपारियो के रहमोकरम पर ही बिक्री होती है। सरकार प्रोत्साहन दे तो अच्छे नतीजे सामने आएंगे

यहां पंजाब सरकार मटर की बोआई के लिए होशियारपुर के साथ साथ कपूरथला और अमृतसर के किसानों को भी प्रोत्साहित कर रही है लेकिन इसकी बिक्री के लिए कोई व्यवस्था नही है किसानों का कहना है कि अगर सरकार मटर की बिक्री के लिए प्रबंध करे तो किसानों को फसली चक्कर और कर्ज से निकलने से अच्छे नतीजे सामने आएंगे।


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