जेल में मुलाजिम के साथ चलता मोबाइल व नशे का खेल, जेल प्रशासन फेल
केंद्रीय जेल में मोबाइल मिलने व नशे का खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
जागरण संवाददाता, होशियारपुर: केंद्रीय जेल में मोबाइल मिलने व नशे का खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। यह सब जेल के मुलाजिमों की मिलीभगत से हो रहा है। जेल प्रबंधन चाहे सख्ती के लाख दावे करे लेकिन जेल में कैदियों से मोबाइल मिलने का सिलसिला मुलाजिमों की मिलीभगत से ही चल रहा है। इसके साथ ही जेल में कैदियों तक नशा पहुंचाया जा रहा है। कुछ दिन पहले नशीले पाउडर के साथ पकड़े गए आरोपित बलकरण ने केंद्रीय जेल में नशे की सप्लाई की बात स्वीकारी थी। उसने बताया था कि इस मिलीभगत में एक सुरक्षा गार्ड भी उसका साथ दे रहा था। यह खेल पिछले साढ़े चार माह से चल रहा था। प्रशासन ने अभी तक नशे के खेल में संलिप्त सुरक्षा गार्ड पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
आंकडों के बात की जाए तो बीते वर्ष जनवरी से लेकर अक्टूबर तक केंद्रीय जेल से मोबाइल मिलने की 27 घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन एक भी मामले में पुलिस यह पता नहीं लगा पाई है कि कैदियों के पास मोबाइल फोन अंदर कैसे पहुंचते हैं। केवल मोबाइल ही नहीं कई बार तो कैदियों के पास से नशा भी बरामद किया गया है। इस साल तीन घटनाएं
यही नहीं इस साल जनवरी व फरवरी में केंद्रीय जेल से मोबाइल व नशा मिलने की तीन घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन घटनाओं से साफ होता है कि जेल का सुरक्षा तंत्र कितना कमजोर हो चुका है। हैरानी की बात है कि जेल के अंदर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा होने के बावजूद कैदियों तक मोबाइल फोन कैसे पहुंच जाते हैं। वैसे तो जेल प्रबंधन दावा करता है कि सख्ती बरती जाती है। फिर इन सब दावों के बीच कैसे जेल के अंदर मोबाइल फोन कैदियों तक कैसे पहुंच जाते हैं। जेल में 7 गुणा अधिक दाम पर बिकता है नशा
पहले तो यह एक पहेली बन चुकी थी कि जेल के अंदर मोबाइल फोन कहां से पहुंचते हैं, लेकिन 15 फरवरी को थाना मॉडल टाउन द्वारा पकड़े गए नशा तस्कर बलकरण ¨सह पुत्र न¨रदर ¨सह निवासी मोरांवाली थाना गढ़शंकर ने यह बात कुबूल की थी कि उसका जेल के एक मुलाजिम से ¨लक है जो अंदर तक नशे की सप्लाई करता है। आरोपित ने बताया था कि जेल में नशा 7 गुणा अधिक दामों में बिकता है। अभी कई खिलाड़ी पर्दे के पीछे
आरोपित बलकरण ने बताया था कि जेल से उसे फोन आता था और चिट्टा कितनी मात्रा में पहुंचाना है बकायदा ऑर्डर बुक करवाया जाता था। जिसके बाद तय जगह पर नशा सप्लाई कर दिया जाता था। जेल मुलाजिम जेल में नशा सप्लाई कर देता था और 2500 रुपये कमीशन लेता था। सूत्रों की मानें तो उक्त आरोपित जेल में मोबाइल भी इसी तरह पहुंचाता था। यह तो एक मामला सामने आया है कि जिसका पुलिस के हाथ पक्का सुबूत लग चुका है लेकिन अभी कई ऐसे खिलाड़ी है जो पर्दे के पीछे हैं। तस्कर लक्की ने भी जेल से ही रची थी भागने की साजिश
कुख्यात तस्कर लक्की ने भी जेल के अंदर से ही मोबाइल फोन से भागने की साजिश रची थी। जेल से बैठकर वह बाहर फोन करता रहा। प्ला¨नग से वह सरकारी अस्पताल में दाखिल हुआ और अस्पताल से फरार हो गया। पुलिस तफ्तीश में यह बात साफ हो गई है कि लक्की जेल में फोन का प्रयोग करता था। अभी तक उसका कोई सुराग नहीं चल सका है। यह भी पता नहीं चला है कि जेल में तस्कर लक्की किसके आशीर्वाद से मोबाइल फोन का प्रयोग करता था। मुलाजिमों की गतिविधियों पर हैनजर : जेल सुपरिटेंडेंट
केंद्रीय जेल के सुप¨रटेंडेंट गुरपाल ¨सह सरोया ने कहा कि जेल में चे¨कग की जाती है और जेल मुलाजिमों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने पुलिस प्रशासन को भी लिखा है कि इसकी तह तक जांच करके ऐसे मुलाजिमों को बेनकाब किया जाए, जो कैदियों के साथ मिले हुए हैं। बलकरण के साथ मिलकर जेल में नशा पहुंचाने वाले मुलाजिम के बारे में उन्होंने कहा कि इस मामले का उन्हें पता ही नहीं है कि वह कौन मुलाजिम है जिसका नाम लिया गया है।