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बस स्टैंड पर फड़ी वाले मुसाफिरों को लगा रहे चूना

होशियारपुर बस स्टैंड के बाहर रेहड़ी वालों से फल आदि खरीदने हों तो सावधान हो जाएं। क्योंकि बस स्टैंड के बाहर रेहड़ी लगाने वाले सामान खरीदने वाले मुसाफिरों को ठगने से बाज नहीं आ रहे। अकसर बाहरी शहरों से आने वाले लोग अपने रिश्तेदारों के घर पर जाते समय फल आदि बस स्टैंड के बाहर लगने वाली रेहड़ियों से खरीदते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 12:03 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 12:03 AM (IST)
बस स्टैंड पर फड़ी वाले मुसाफिरों को लगा रहे चूना
बस स्टैंड पर फड़ी वाले मुसाफिरों को लगा रहे चूना

व¨रदर बेदी, होशियारपुर

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होशियारपुर बस स्टैंड के बाहर रेहड़ी वालों से फल आदि खरीदने हों तो सावधान हो जाएं। क्योंकि बस स्टैंड के बाहर रेहड़ी लगाने वाले सामान खरीदने वाले मुसाफिरों को ठगने से बाज नहीं आ रहे। अकसर बाहरी शहरों से आने वाले लोग अपने रिश्तेदारों के घर पर जाते समय फल आदि बस स्टैंड के बाहर लगने वाली रेहड़ियों से खरीदते हैं। मगर वह इस बात से अंजान होते हैं कि वह ठगी का शिकार हो रहे हैं। अकसर होता यह है कि जब लोग इन रेहड़ी वालों से कोई फल खरीदते हैं तो वह अपने हाथ से बढि़या फल लिफाफे में डाल कर रेहड़ी वालों को तोलने के लिए पकड़ा देते हैं। वहीं से शुरू होता है रेहड़ी वाले का खरीदार को ठगने का काम। खरीदार के सामने रेहड़ी वाला पूरा सामान तोल कर दिखा दिया जाता है। मगर खरीदार को लिफाफा पकड़ाते वक्त रेहड़ी वाले खरीदार की आंखों में धूल झोंक कर बड़ी चालाकी से लिफाफा बदल देते हैं। बदले हुए लिफाफे में या तो सामान का वजन कम होता है या गले सड़े फल वाला लिफाफा ग्राहक को दे दिया जाता है। घर पहुंचने पर जब लोग लिफाफा खोलकर देखते हैं तो लिफाफे में गले सड़े फल निकलते हैं। रेहड़ी वालों को झट से पता चल जाता है कि ग्राहक दूसरे शहर से आया है। तकरीबन बाहरी लोग ही इनकी लूट का शिकार होते हैं।

वहीं दूसरी ओर भोले-भाले ग्राहकों के पास अगर दो हजार का नोट है तो छुट्टे पैसे देने के बहाने भी उनको चपत लगा देते हैं। मसलन ग्राहक पास दो हजार रुपये का नोट है तो रेहड़ी वाले ग्राहक कहेंगे कि उनके पास से छुट्टे रुपये लेकर बड़ा नोट दें दे। ग्राहक के मान जाने के बाद उसे दो हजार के बदले बडे़ शातिर तरीके से पांच छह सौ रुपये कम थमा देते हैं। ग्राहक द्वारा नोट गिने जाने पर कम निकलने पर रेहड़ी वाले दोबारा नोट ग्राहक के सामने नोट पूरे कर देते हैं, मगर पकड़ाते वक्त फिर से शातिर ढंग से नोटों को काट मार जाते हैं। बचाव में उतर आते हैं अन्य फड़ी वाले

अगर कोई ग्राहक इसका विरोध करता है तो झट से आसपास की रेहड़ी वाले उक्त रेहड़ी वाले बचाव में उतर जाते हैं व उसको वहां से खिसका कर मामला रफा दफा करने की जुगत भिड़ाने लगते हैं। ऐसे में बाहरी शहर से आए लोग भी मामले को सुलझाने में ही भलाई समझते हैं। करनाल से आए सुरजीत से हुई ठगी

बुधवार को बस स्टैंड के बाहर रेहड़ी लगाने वालों ने फिर किसी एक व्यक्ति को ठग लिया। सुरजीत ¨सह ने बताया कि वह करनाल से होशियारपुर में अपनी बहन के घर आया है। उसने रेहड़ी से सेब खरीदे तो रेहड़ी वाले ने उनसे दो हजार रुपये के बदले छुट्टे देने की बात कही तो सुरजीत ¨सह ने उसे दो हजार रुपये दे दिए। जिस पर रेहड़ी वाले ने उसे दो हजार के बदले 1400 रुपये के छुट्टे दिए। गिनने पर सुरजीत ने पाया कि 600 रुपये कम हैं तो उसने रेहड़ी वाले को कहा तो रेहड़ी वाले ने झट से कहा कि पकड़ते वक्त आपने 600 रुपये नीचे गिरा दिए।


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