बिना सहारे के पाया मुकाम, राष्ट्रपति करेंगे सलाम
मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। होशियारपुर जिले के छोटे से गांव नंदन की इंद्रजीत कौर ने इन शब्दों को चरितार्थ कर दिखाया है।
हजारी लाल, होशियारपुर :
मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। होशियारपुर जिले के छोटे से गांव नंदन की इंद्रजीत कौर ने इन शब्दों को चरितार्थ कर दिखाया है। इंद्रजीत खुद दिव्यांग हैं। बचपन से वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं पाती हैं लेकिन अपने जज्बे और हौसले से उन्होंने क्षेत्र की कई महिलाओं को खुद के पैरों पर खड़ा कर दिया है। इंद्रजीत के इसी प्रतिभा को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तीन दिसंबर को सलाम करेंगे।
तीन दिसंबर को राष्ट्रपति भवन में पंजाब की तीन महिलाओं को उनके साहस और हिम्मत के लिए राष्ट्रपति अवार्ड दिया जाएगा। इस सूची में इंद्रजीत कौर का नाम भी शामिल है। इंद्रजीत ढाई साल की उम्र में नाचते-नाचते गिर गई थीं। उस हादसे में मस्कूलर डिस्ट्रोपी बीमारी का शिकार हो गई और फिर कभी पैरों पर खड़ा नहीं हो पाई। इंद्रजीत ने इसके बावजूद कभी हिम्मत को नहीं टूटने दिया। बीकॉम और फिर एमए अर्थशास्त्र की पढ़ाई पूरी की। महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए अपना नाम से सेल्फ हेल्प गु्रप शुरू किया। पांच साल पहले इंद्रजीत ने बजवाड़ा के एक छोटे से कमरे से 12 सदस्यों के साथ इस ग्रुप की शुरुआत की थी। ग्रुप में महिलाएं नमकीन, स्नैक्स, भुजिया, पापड़, मठ्ठी, पीनट्स आदि तैयार करती हैं। यह ग्रुप हैंडीक्राफ्ट से जुड़े काम भी करता है। विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए आज ये महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं।
तीन साल पहले बनाई ऋषि फाउंडेशन
इंद्रजीत ने साल 2015 में ऋषि फाउंडेशन का गठन किया। संस्था की 40 सदस्य शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक न्याय दिलाने के कार्य करते हैं। इंदरजीत के हौसले को देखते हुए कृषि विभाग के पूर्व जिला ट्रे¨नग अधिकारी डॉ. चमन लाल वशिष्ट उन्हे शक्ति कहकर पुकारते हैं।
राष्ट्रीय संस्कृति पुरस्कार पाने वाली पंजाब की पहली महिला
इंद्रजीत कौर 35 वर्ष की कम आयु के युवाओं को दिया जाने वाला राष्ट्रीय संस्कृति पुरस्कार पाने वाली पंजाब की पहली महिला साहित्यकार हैं। 2013 में स्वामी विवेकानंद स्टेट अवॉर्ड आफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया। 2014 में उन्हें पंजाबी साहित्य अकादमी अवार्ड से भी नवाजा गया। वे छह पुस्तकें भी लिख चुकी हैं।
कभी सपने में नहीं सोचा था : इंद्रजीत कौर
इंद्रजीत कहती हैं कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे राष्ट्रपति सम्मानित करेंगे। मेहनत का फल मिल रहा है। इससे बड़ी खुशी नहीं हो सकती।