गढ़शंकर में कांग्रेस की गुटबाजी तिवारी पर पड़ सकती है भारी
लोकसभा क्षेत्र आनंदपुर साहिब के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्र गढ़शंकर में कांग्रेसियों की गुटबाजी कांग्रेस उम्मीदवार मनीष तिवारी पर भारी पड़ सकती है।
हजारी लाल, होशियारपुर
लोकसभा क्षेत्र आनंदपुर साहिब के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्र गढ़शंकर में कांग्रेसियों की गुटबाजी कांग्रेस उम्मीदवार मनीष तिवारी पर भारी पड़ सकती है। फिलहाल, विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां पर अकाली दल बादल दूसरे नंबर की पार्टी बनी थी। कांग्रेस में गुटबाजी का आलम यह था कि उसे तीसरे नंबर खिसकना पड़ गया। वोट का अंतर भी बहुत ज्यादा था। 2007 के बाद से इस सीट से कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई है। उस दौरान कांग्रेस के लव कुमार गोल्डी ने भाजपा के महिदर पाल मान को 4068 से हराया था। गोल्डी को 33876 और भाजपा के मान को 29808 मत मिले थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस को घाटा उठाना पड़ गया था। 2012 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस ने लव कुमार गोल्डी को ही अपना उम्मीदवार बनाया था। हालांकि यहां से गोल्डी के राजनीतिक विरोधी एडवोकेट पंकज कृपाल भी टिकट के दावेदार थे। उधर, भाजपा-अकाली दल गठबंधन ने यह सीट बदल ली। यह सीट अकाली दल के खाते में चली गई। कांग्रेस के गोल्डी के मुकाबले अकाली दल बादल ने सुरिदर सिंह भुलेवाल राठां को चुनाव मैदान में उतारा। राठां ने कांग्रेस के गोल्डी को 6293 मता से हरा दिया। राठां को 47728 मत मिले थे जबकि गोल्डी को 41435 मत मिले थे।
2017 में मुकाबले से बाहर निकल गई थी कांग्रेस
हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से 1200 वोट की लीड ली थी, मगर कांग्रेस के लिए सबसे निराशाजनक बात 2017 का विधानसभा चुनाव रहा। कांग्रेस की हालत पतली हो गई और 30 हजार वोट तक सिमटकर रह गई थी। यूं कहें कि कांग्रेस चुनाव में मुकाबले से बाहर निकल गई थी तो शायद कुछ गलत नहीं होगा। इस सीट पर आप और अकाली दल में मुख्य मुकाबला हुआ था। आप के जय किशन रौड़ी ने कड़े मुकाबले में अकाली दल बादल के सुरिदर सिंह भुलेवालराठां को 1650 वोट से हरा दिया था। रौड़ी को 41720 मत मिले थे और राठां को 40070 मत मिले थे। कांग्रेस की हालत इतनी पतली थी कि वह 25 हजार वोट का भी आंकड़ा नहीं पार कर पाई थी। कांग्रेस के पतन का कारण है गुटबाजी
गढ़शंकर में कांग्रेस के पतन का कारण वहां की गुटबाजी है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो वहां पर तीन धड़ा बन चुका है। पहले लव कुमार गोल्डी और पंकज कृपाल धड़ा था और उसमें एक और नाम निमिषा मेहता के जुड़ने से यहां पर तीसरा धड़ा भी सक्रिय हो गया है। यह जगजाहिर भी है। जिस हिसाब से गढ़शंकर में कांग्रेस कमजोर सी हो गई है, उन हालातों से निपटते हुए वोट बैंक को बढ़ाना मनीष तिवारी के लिए नई चुनौती होगी। हालांकि यह तो समय बताएगा कि यहां पर किसका पलड़ा भारी होता है, लेकिन फिलहाल अभी तो कांग्रेस के सामने हालात कुछ ऐसे ही बने हैं।