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स्टैंडर्ड कंपनियों के मार्का से देसी घी में हो रही मिलावटखोरी

अगर आप देसी घी खाने के शौकीन है तो सावधान। वर्ना पैसा पूरा देने के बावजूद देसी घी नहीं मिलेगा। क्योंकि कुछ मिलावटखोरों ने देसी घी में दुगुनी कमाई के लिए मिलावट का हथकंडा अपनाया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 11:18 PM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 11:18 PM (IST)
स्टैंडर्ड कंपनियों के मार्का से देसी घी में हो रही मिलावटखोरी
स्टैंडर्ड कंपनियों के मार्का से देसी घी में हो रही मिलावटखोरी

हजारी लाल, होशियारपुर

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अगर आप देसी घी खाने के शौकीन है तो सावधान। वर्ना पैसा पूरा देने के बावजूद देसी घी नहीं मिलेगा। क्योंकि कुछ मिलावटखोरों ने देसी घी में दुगुनी कमाई के लिए मिलावट का हथकंडा अपनाया है। ये मिलावटखोर स्टैंडर्ड कंपनियों का मिलता-जुलता मार्का छपवाकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। देखने में आभास नहीं होता है कि मार्का असली है या फिर नकली। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से कुछ जगहों पर छापेमारी करके अपनी पीठ थपथपा ली जाती है, लेकिन तह तक जाने की जहमत नहीं जुटाई जाती है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ दुकानदारों ने ही बताया की कि अगर अधिकारी ईमानदारी से काम करें तो सेहत के दुश्मनों का चेहरे बेनकाब हो सकता है। चंद मिलावटखोरों के चक्कर में ईमानदार व्यापारी भी बदनाम हो रहे हैं। पड़ताल करने पर यह बात सामने आई है कि होशियारपुर के गऊशाला बाजार व खानपुरी गेट के आसपास देसी घी में मिलावटखोरी का गोरखधंधा ज्यादा चल रहा है। ऐसे दुकानदारों ने मिलावटखोरी को अंजाम देने के लिए अपने गुप्त ठिकाने बना रखे हैं। मिलावटखोर देसी में ज्यादा मुनाफा और काम होने के चक्कर में मिलावटखोरी को ज्यादा अंजाम देते हैं। यह शातिर मिलावटखोर पहले कुछ देसी घी स्टैंडर्ड कंपनियों से मंगवाते हैं। यह सिर्फ दिखावा होता है। विभिन्न देसी घी कंपनियों का मिलता जुलता नकली मार्का मिलावटखोर खुद ही छपवा लेते हैं। इसके बाद देसी घी में वनस्पति घी की मिलावट कर दी जाती है। डिब्बे में पै¨कग करने के बाद उस पर नकली मार्का चिपका दिया जाता है, जो देखने में बिल्कुल असली लगता है। इस हथकंडे मिलावट 70-80 प्रतिशत मुनाफा कमाते हैं। क्योंकि ऐसे डिब्बे में वनस्पति घी की मात्रा ज्यादा होती है और देसी घी की मात्रा महज 25 से 30 प्रतिशत ही होता है। यू कहें की कि एक किलोग्राम देसी घी में मिलावटखोरी के हथकंडे से करीबन 300 रुपए का मुनाफा कमाया जाता है। होशियारपुर के अलावा मिलावटी देसी घी की सप्लाई हिमाचल प्रदेश में भी की जा रही है। - ईमानदारी से दबिश देने पर हो सकता है बड़ा खुलासा सूत्र बताते हैं कि अगर जिला प्रशासन की ओर से ऐसे व्यापारियों के यहां ईमानदारी से चे¨कग हो तो बड़ा खुलासा हो सकता है। इनके ठिकानों पर बेहद ही गोपनीय ढंग से छापेमारी की जाए तो मिलावट को अंजाम देने के लिए तमाम यंत्र, नकली मार्का और मिलावटी खाद्य पदार्थ मिलेंगे।

मिलता-जुलता स्टैंडर्ड कंपनियों का मार्का छपवाते हैं

मिलावटखोर स्टैंडर्ड कंपनियों का मार्का बाजार से छपवाते हैं। उसके बाद मिलावट करने के बाद डिब्बे को सील करके वही मार्का डिब्बे पर चिपका दिया जाता है। हाथ की सफाई इतनी जबरदस्त होती है कि ग्राहक को इसके बारे में मालूम ही नहीं पड़ता है। मिलावटखोरी के इस धंधे में करीबन दो दर्जन से ज्यादा व्यापारी जुटे हैं। यह भी मालूम पड़ा है कि यह अफसरों का भी मुंह बंद रखने के लिए बाकायदा तौर पर महीना देते हैं। यह सारा खेल कच्चे बिल से खेला जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों को सब कुछ पता होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। कृष्णा ट्रेडर्स से पकड़ा था मिलावटी घी

-जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सेवा ¨सह ने बताया की कि कुछ माह पहले कृष्णा ट्रेडर्स होशियारपुर खानपुरी गेट में छापेमारी कर 270 किलो नकली देसी घी बरामद किया था। जिसके सेंपल फेल होने पर देशी घी को भूमि में दबा कर नष्ट किया गया था। उन्होंने कहा कि किसी भी मिलावटखोर को नहीं बख्शा जाएगा। विभाग सख्ती से कार्रवाई करेगा। क्योंकि मिलावटी घी व अन्य खाद्य मिलावटी खाद्य पदार्थ लीवर व किडनी पर बुरा असर डालते हैं। -दैनिक जागरण की अपील

जनता की सेहत के साथ दैनिक जागरण खड़ा है। अगर कहीं पर भी आपको मिलावटखोरी की हो रही है जानकारी है तो बेझिझक दैनिक जागरण को बताएं। मिलावटखोरों को बेनकाब करने के लिए दैनिक जागरण हर संभव कोशिश करेगा। दैनिक जागरण के कायार्लय होशियारपुर के टेलीफोन नंबर 01882-243800 पर मिलावटखोरों की जानकारी दे सकते हैं। नाम गुप्त रखते हुए मिलावटखोरों को बेनकाब किया जाएगा।


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