मुआवजे की शर्तो में फंसकर दम तोड़ गई फसल बीमा
पंजाब में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शर्तो में फंसकर लागू नहीं हो पाई। योजना की पेचीदगियों के कारण पहले शिअद-भाजपा सरकार ने इस योजना को लागू नहीं किया बाद में कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद उसे उचित नहीं समझा।
हजारी लाल, रामपाल भारद्वाज, होशियारपुर
पंजाब में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शर्तो में फंसकर लागू नहीं हो पाई। योजना की पेचीदगियों के कारण पहले शिअद-भाजपा सरकार ने इस योजना को लागू नहीं किया बाद में कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद उसे उचित नहीं समझा। यहां तक की सूबे की किसान जत्थेबंदियों ने भी योजना के तहत मुआवजे के लिए रखी शर्तो को तर्कसंगत नहीं माना है। योजना के अनुसार किसी किसान को फसल का मुआवजा तभी मिलेगा अगर पूरे गांव के किसानों ने फसल बीमा करवाया हो। दूसरा किसानों को आपत्ति थी कि प्रीमियम की राशी से कंपनियों को किसानों से अधिक फायदा है। कारण जो भी रहा हो लेकिन सच्चाई ये है कि पंजाब का अन्नदाता आज भी फसल के लिए बीमा से दूर है। यूं भी कहा जाता सकता है कि 'जट दी जून बुरी'। हालांकि देश के कई राज्यों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 जनवरी 2016 को इस योजना की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को खरीफ और रबी फसल के प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब होने पर सुरक्षा दी जाती है। खरीफ फसल के लिए 2 फीसद प्रीमियम और रबी की फसल के लिए 1.5 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करना होता है।
राज्य सरकार भी तैयार नहीं कर पाई योजना :
मुआवजे के लिए कड़ी शर्तो के कारण पंजाब में योजना को लागू नहीं किया गया। इस पर राज्य सरकार ने किसानों के के लिए अपने स्तर पर बीमा योजना शुरू करने की बात कही थी लेकिन दो साल से किसान उस योजना का इंतजार कर रहे हैं। सरकार फसल बीमा की कार्ययोजना तैयार नहीं कर सकी। गांव गोहगडों के किसान किशन का कहना है कि बिजाई की गई आलू व मटर की फसल खराब हो जाने के कारण उन्हें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। इसके कारण गेहूं की फसल की बुआई करने के लिए आढ़तियों से ब्याज पर पैसे लेने पड़ गए। अगर फसल बीमा योजना पंजाब में होती तो उन्हें मुआवजा मिल सकता था।
गांव नंगल खिडारियां में किसान गुरपाल सिंह, गुरदीप सिंह, सरबजीत सिंह, रशपाल सिंह, अमनदीप सोनी नंबरदार और कुलविदर सिंह ने कहा कि किसानों को काफी संकट का सामना करना पड़ रहा है। किसान हर साल कर्ज के मकड़जाल में फंसता जा रहा है। पंजाब सरकार को फसल बीमा योजना को लागू करना चाहिए ताकि किसानों को उससे फायदा मिल सके।
चब्बेवाल हल्के के मरुला गांव के युवा किसान हरविदर सहोता का कहना है कि उसके धान की फसल गिर कर नष्ट हो गई थी और दस एकड़ में बोए आलू की फसल भारी बारिश के कारण नष्ट हो गई थी। उसे लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था। अगर फसल का बीमा होता तो वे नुकसान से बच सकता था। किसानों को उधार लेना पड़ता है बीज
हरविदर सहोता कहते हैं कि किसानों की हालत मौजूदा समय में भिखारियों से बदतर हो गई है। साधारण किसान एक बार फसल बर्बाद होने के बाद दोबारा बीज भी नहीं खरीद पाते। उन्हें उधार बीज लेने के लिए दुकानदार की मिन्नतें करनी पड़ती हैं। कई बार इन किसानों के खेत पैसे न होने के कारण खाली रह जाते हैं। सिर्फ विकास चाहते हैं किसान
लोकसभा क्षेत्र में किसानों की स्थिति लोकसभा क्षेत्र होशियारपुर में 1.06 लाख से ज्यादा किसान हैं। इसमें दो एकड़ से ज्यादा और 4 कनाल जमीन से कम किसानों की संख्या 32325 है। दो एकड़, चार कनाल और पांच एकड़ जमीन से कम किसानों की संख्या 22880 है। पांच एकड़ से ज्यादा और दस एकड़ से कम किसानों की संख्या 30485 है। दस एकड़ से ज्यादा और पच्चीस एकड़ से कम किसानों की संख्या 17250 और 25 एकड़ जमीन से ऊपर किसानों की संख्या 3165 है।