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टिकट कटने से संतोष के असंतोष ने कांग्रेसियों की बढ़ाई धड़कनें

लोकसभा क्षेत्र होशियारपुर से दूसरी बार टिकट कटने से संतोष चौधरी के असंतोष ने कांग्रेसियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 12:18 AM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 06:24 AM (IST)
टिकट कटने से संतोष के असंतोष ने कांग्रेसियों की बढ़ाई धड़कनें
टिकट कटने से संतोष के असंतोष ने कांग्रेसियों की बढ़ाई धड़कनें

हजारी लाल, होशियारपुर

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लोकसभा क्षेत्र होशियारपुर से दूसरी बार टिकट कटने से संतोष चौधरी के असंतोष ने कांग्रेसियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। कांग्रेस हाईकमान की ओर से संतोष चौधरी को किनारे करते हुए हलका चब्बेवाल से विधायक डॉ. राज कुमार को टिकट दे दी है। इसके बाद से संतोष चौधरी की नाराजगी बढ़ गई है। दिल्ली से होशियारपुर पहुंचकर उन्होंने कांग्रेस को दौलतमंदों की पार्टी होने का आरोप लगाया था। इससे कांग्रेस के अंदर हड़कंप मच गया। मौके की नजाकत को भांपते हुए कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें मनाने की भी कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने अपने राजनीतिक पत्ते नहीं खोले। और भी चुप्पी साधी है। संतोष चौधरी ने अप्रत्यक्ष रूप से बागी होकर आजाद लड़ने की चुनौती दी है। इससे कांग्रेसियों की धड़कनें बढ़ गई हैं। क्योंकि अगर संतोष चौधरी आजाद चुनाव मैदान में कूदती हैं तो कांग्रेस का हाथ कमजोर होगा और इसका फायदा भाजपा के कमल को मिलेगा।

पिछले राजनीतिक चुनाव माहौल को खंगालने पर साफ हो जाता है कि लोकसभा सीट होशियारपुर से कांग्रेस और भाजपा-अकाली में कांटे की टक्कर होती है। सन 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर संतोष चौधरी ही चुनाव लड़ी थीं। उनका मुकाबला भाजपा के सोम प्रकाश से हुआ था। उस दौरान श्रीमती चौधरी ने महज 366 वोटों के अंतर से ही भाजपा के सोम प्रकाश हरा पाईं थीं। कांग्रेस की यह बहुत ही छोटी जीत थी।

ठीक कुछ इसी तरह से सन 2014 के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिली थी। कांग्रेस के महिदर सिंह केपी और भाजपा के विजय सांपला के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। विजय सांपला ने महिदर सिंह केपी को 13582 वोट के अंतर से ही हराया था।

कांग्रेस के लिए मुसीबत की स्थिति

यह कहना गलत नहीं होगा कि इस सीट से कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होती है। ऐसे में अगर कांग्रेस से बागी होकर संतोष चौधरी आजाद ताल ठोंकती हैं तो निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए चुनावी मैदान में मुसीबत वाली बात होगी। क्योंकि संतोष चौधरी पुरानी कांग्रेस नेत्री हैं। एक बार यहां से लोकसभा का चुनाव भी जीत चुकी हैं। हाईकमान कर रहा मनाने की कोशिश

लोकसभा के अधीन आते नौ विधानसभा हलकों में चौधरी का अच्छा आधार है। नाराज कांग्रेसी वोटरों का संतोष चौधरी के पक्ष में भुगत जाने से कांग्रेस की सारी राजनीतिक गणित बिगड़ सकता है। इसी चुनावी समीकरण को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान संतोष चौधरी को मनाने की कोशिश कर रहा है। मगर, संतोष चौधरी अभी भी नाराजगी छोड़ नहीं रही हैं। संतोष चौधरी ने आजाद लड़ने के संकेत दिए हैं।


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