कमर्शियल जगह को रिहायशी दिखा करवाई रजिस्ट्री, स्टे पर भी हो रहा बिल्डिग का निर्माण
पहले तो धोखे से कमरों का नक्शा लगाकर दुकानें खरीदीं और जब अदालत में स्टे ले ली और मामला अभी तक अदालत में लंबित है फिर भी बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है। इस तरफ न तो निगम का कोई ध्यान है और ही पुलिस का।
जागरण संवाददाता, होशियारपुर: पहले तो धोखे से कमरों का नक्शा लगाकर दुकानें खरीदीं और जब अदालत में स्टे ले ली और मामला अभी तक अदालत में लंबित है, फिर भी बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है। इस तरफ न तो निगम का कोई ध्यान है और ही पुलिस का। यहां तक कि डीसी ऑफिस में भी शिकायत देने का कोई फायदा नहीं हुआ। अदालत के आदेशों के बारे में पुलिस को जानकारी दी पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। कथित तौर पर राजनीति का सहारा लेकर दुकानों का निर्माण करवाया जा रहा है। यह बात आनंद किशोर पुत्र किशन चंद निवासी मोहल्ला काली कंबली होशियारपुर ने कही।
आनंद किशोर ने आरोप लगाया कि उसे बिना नोटिस दिए उसके मालिक ने दुकानें बेच दीं और खरीदार ने गलत नक्शा दिखा कर वह दुकानें खरीदीं। बाद में खरीदार ने धक्के से उसका सामान निकाल कर पूरी बिल्डिग तुड़वा दी जबकि हाईकोर्ट का स्टे लगा हुआ था। सबसे बड़ी बात इस पर न तो नगर निगम ने कार्रवाई की और न ही पुलिस ने। पुलिस ने तो यह स्टे मानने से भी मना कर दिया और अब उस बिल्डिग को तुड़वाकर नई दुकानें बनाई जा रही हैं।
आनंद किशोर ने बताया कि उसने घंटाघर मार्केट में एक दुकान किराये पर ली। इस दौरान उसे एक दिन पता चला कि उसके मालिक ने बिना उसे नोटिस दिए दुकान को बेच दिया। उसने इसके बाद जब दुकान के मालिक से बात की तो उसने कहा कि दुकान बिक चुकी है और उनका दुकानों से कुछ लेना देना नहीं है। उन्हें पता चला कि यह दुकानें दीपक नरूला ने खरीदी हैं। इसके बाद दीपक नरूला ने एक दिन दुकान धक्के से खाली करवा ली और रातोरात बिल्डिग गिराने का काम शुरू कर दिया। फिर उन्होंने जब आरटीआइ डाली तो जवाब देखकर वह हैरान हो गए। क्योंकि आरटीआइ से जो जानकारी मिली उसमें पता चला कि जो रजिस्ट्री करवाई गई है वह कमर्शियल जगह को रिहायशी दिखाकर करवाई गई थी। क्योंकि यदि रजिस्ट्री दुकानों की होती तो अधिक रेवन्यू देना पड़ता। इसके बाद उन्होंने मामला अदालत में पेश कर दिया। जिस पर अदालत ने भवन निर्माण पर रोक लगा दी। इसके बावजूद अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए आरोपितों ने दुकानें बनानी शुरू कर दी। पुलिस ने स्टे को मनाने से कर दिया इंकार
आनंद किशोर ने बताया कि जब उन्होंने पुलिस को शिकायत दी और स्टे का हवाला दिया तो पुलिस ने स्टे मानने से ही मना कर दिया। इसके बाद नगर निगम को जानकारी दी परंतु निगम के अधिकारियों ने कार्रवाई का आश्वासन दिया। धीरे-धीरे करके दुकानें बनने के करीब पहुंच चुकी हैं। कथित तौर पर अधिकारियों की मिलीभगत के साथ रात को ही दुकानों का काम चल रहा है और निगम सबकुछ जानते हुए अनजान बनी हुई है। जब कहीं बात नहीं बनी तो उसने डीसी दफ्तर में शिकायत दे दी पर वह मामला भी ठंडे बस्ते में पड़ा है। तहसील की कार्यप्रणाली पर उठ रहा सवाल
आनंद किशोर के मुताबिक तहसील की भी कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहा है। जब जमीन कार्मशियल थी तो उसकी रजिस्ट्री रिहायशी की कैसे हो गई है। कहीं पर कहीं तहसील अधिकारी भी मिलीभगत लगती है। वर्ना नियमों को ताक पर रखकर रजिस्ट्री नहीं की जा सकती थी। लगाए जा रहे सभी आरोप झूठ : शाम नरूला
दुकान के मालिक शाम नरूला ने बताया कि आनंद किशोर सारी झूठी कहानी बना रहा है। कोई स्टे नहीं हुआ है। स्टे होता तो हम निर्माण रुकवा देते। हमारा नक्शा भी पास है। वह भी कमर्शियल। अदालत ने उसके हक में फैसला किया है। कोई गलत नहीं है। कोई भी आकर उसके सारे कागजात चेक कर सकता है। यह किरायेदार है। हमसे दुकान खाली करने के मामले में मोटी रकम चाहता है।