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नौकरी में मिले अपने देश, नहीं जाएंगे विदेश

सरबत दा भला ट्रस्ट के चेयरमैन एसपी ओबराए के प्रयास से विदेश में फंसे 29 युवक घर लौट सके।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Mar 2020 12:20 AM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2020 06:08 AM (IST)
नौकरी में मिले अपने देश, नहीं जाएंगे विदेश
नौकरी में मिले अपने देश, नहीं जाएंगे विदेश

जासं, होशियारपुर : सरबत दा भला ट्रस्ट के चेयरमैन एसपी ओबराए के प्रयास से विदेश में फंसे 29 युवक घर लौट सके। इनमें से चार गढ़शंकर, दो चब्बेवाल, एक होशियारपुर व एक मुकेरियां का युवक है। सभी उज्जवल भविष्य के लिए दुबई की कंपनी मदल अलफल्ग में गए थे। एजेंट के झांसे में दुबई पहुंच तो गए, लेकिन वहां पर कंपनी का मालिक पैसे लेकर चंपत हो गया। उनके पास केवल पासपोर्ट ही थे, उसके भी अधूरे कागज। युवकों ने एसपी ओबराए से संपर्क किया तो उन्होंने पूरी कागजी कार्रवाई करवाने के बाद युवकों को घर पहुंचाया। घरों में पहुंचे युवक मायूस तो हैं, लेकिन खुशी है कि वह परिजनों के पास आ गए। उन्हें पैसे बर्बाद होने का मलाल भी है।

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उज्जवल भविष्य के लिए विदेश गया था

होशियारपुर के राम कॉलोनी कैंप के वरुण कुमार ने बताया कि वह मदर अलफल्ग कंपनी में 17 दिसंबर को दुबई गया था। एजेंट ने उसे सिक्योरिटी में भेजा था और दो लाख लिए थे। बढि़या वेतन का भरोसा दिया था। वहां पर उसके साथ 84 युवक और थे। दो दिन बाद पता चला कि रबाब भाग गया। गनीमत यह रही कि पासपोर्ट उन्हें एचआर के जरिए वह दे गया था। दो लाख भी चले गए और कुछ हासिल नहीं हुआ। बस खुशी है कि परिवार के पास आए गए। अब नहीं जाना दुबई, यहीं कोई काम करुंगा।

मजबूरी छुड़वा देती है घर

गढ़शंकर के कोटफतूही के रहने वाले प्रवीण ने बताया कि बड़ी आस से विदेश गया था। कुवैत में कोई उसका जानकारी ड्राइवरी करता है जिसने बताया था कि यहां नौकरी है। जिस पर उसे 1.80 लाख रुपये दिए थे। वहां पर सिक्योरिटी गार्ड में गया था। प्रवीण ने बताया कि सारे ही युवक सिक्योरिटी गार्ड में गए थे, बहुत परेशान हुई। पूछे जाने पर दोबारा जाओगे तो बताया कि कौन जाना चाहता है, सरकार रोजगार दे तो परदेस किसको अच्छा लगता है।

लुटकर आ गए : मनप्रीत सिंह

गढ़शंकर के गांव मन्नणहाना के मनप्रीत सिंह ने बताया कि 15 जनवरी को दुबई में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने के लिए गया था। वहां पर गए तो उम्मीद लेकर पर जाते ही पता चला रबाब दौड़ गया। सभी युवक यहां फंसा महसूस कर रहे थे। शुक्र है कि घर लौट आए। 1.60 लाख रुपये दिए थे पर कोई फायदा नहीं हुआ। पैसे लुटाकर घर आए हैं। दोबारा नहीं जाना है विदेश। यहां मेहनत मजदूरी करेंगे।


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