महाफलदायी है एकादशी का व्रत : महेश पुरी
हिदू धर्म में एकादशी व्रत को बेहद शुभ और सर्वश्रेष्ठ तिथि माना गया है।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : हिदू धर्म में एकादशी व्रत को बेहद शुभ माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने, दान, स्नान और तप करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव मंदिर फतेहपुर में तपोमूर्ति स्वामी महेश पुरी ने कहा कि हिदू धर्म में 12 मास में एकादशी के 24 व्रत पड़ते हैं। जिसमें से कुछ में से एकादशी खास मानी जाती है। इन्हीं खास एकादशियों में से एक षटतिला एकादशी भी है। षटतिला एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को आती है। इस साल यह एकादशी 20 जनवरी को है। षटतिला एकादशी में काले तिल से विष्णु जी का पूजन करने का महत्व बताया जाता है। इस व्रत के करने से अनेक प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त
षटतिला एकादशी 20 जनवरी को प्रात: दो बजकर 51 मिनट पर लग रही है, जो कि 21 जनवरी को सुबह दो बजकर पांच मिनट तक रहेगी। बता दें कि प्रत्येक माह दो और वर्ष में 24 बार एकादशी पड़ती है। इन सभी में षटतिला एकादशी की अलग विशेषता है। व्रत का महत्व
षटतिला एकादशी व्रत में तिल का खास महत्व है। स्नान, दान, भोजन, तर्पण व प्रसाद सभी में तिल का उपयोग किया जाता है। तिल स्नान, तिल का उबटन, तिल का हवन, तिल का तर्पण, तिल का भोजन और तिल का दान के कारण यह षटतिला एकादशी कहलाती है। पुराणों में बताया गया है कि जितना पुण्य कन्यादान, हजारों वर्षों की तपस्या और स्वर्ण दान करने के बाद मिलता है, उससे कहीं ज्यादा फल एकमात्र षटतिला एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। षटतिला एकादशी व्रत का तरीका
एकादशी के दिन ब्रह्मामुहूर्त में जागकर स्नान आदि से निवृत होकर पूजा घर में भगवान विष्णु का विधिपूर्वक पूजन करते हुए व्रत का संकल्प लें। इस व्रत में दिन भर निराहार रहना होता है। फलों का सेवन कर सकते हैं। शाम के समय भगवान विष्णु का पूजन कर तुलसी के पौधे के पास एक दीपक जलाएं। अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।