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फसल के अवशेष को न जलाने वाले किसानों का बढ़ेगा मान : डीसी

पराली व अवशेष को जलाने के रुझान को रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा जहां जागरूकता फैलाई जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 11:26 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 06:09 AM (IST)
फसल के अवशेष को न जलाने वाले किसानों का बढ़ेगा मान : डीसी
फसल के अवशेष को न जलाने वाले किसानों का बढ़ेगा मान : डीसी

जेएनएन, होशियारपुर : पराली व अवशेष को जलाने के रुझान को रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा जहां जागरूकता फैलाई जा रही है। वहीं, किसानों को निजी व ग्रुपों में सब्सिडी पर कृषि मशीनरी, उपकरण मुहैया करवाए जा रहे हैं, ताकि पराली व अवशेषों का खेतों में ही प्रबंधन किया जा सके। डीसी ईशा कालिया ने कहा कि सरकार द्वारा किसानों को आधुनिक खेती मशीनरी पर सब्सिडी की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है। जिसके अंतर्गत जिले में अब तक 148 मशीनों पर 01,56,98,660 रुपये की सब्सिडी लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी गई है। वर्ष 2019-2020 के दौरान जिले में 77 फार्म मशीनरी बैंक, कस्टमर हायरिग सेंटर स्थापित किए जाने हैं। जिनमें 61 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किए जा चुके हैं। इन सेंटरों में 209 मशीनें 80 प्रतिशत सब्सिडी पर मुहैया करवाई गई हैं। इसके अलावा व्यक्तिगत तौर पर मशीनें 50 प्रतिशत सब्सिडी पर मुहैया करवाई गई हैं। गांवों के हिसाब से 598 नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जो किसानों को आग लगाने से होने वाले नुकसानों से सावधान करेंगे। इसके अलावा नोडल अधिकारियों की सहायता के लिए 20-20 गांवों के पीछे एक-एक कोआर्डिनेटिग अधिकारी भी लगाया गया है, जिसके मुताबिक जिले में कुल 32 कोआर्डिनेटिग अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। नियुक्त किए गए अधिकारी किसानों को धान की पराली के प्रबंधन के बारे में जागरूक करें व किसानों को यह भी बताया जाए कि वे प्रबंधन के लिए आधुनिक खेती मशीनरी का प्रयोग कर सकते हैं। किसान धान की पराली के प्रबंधन के लिए कृषि फार्म मशीनरी बैंकों को किराए पर ले सकते हैं। इसके अलावा सुपर एसएमएस कंबाइन पर लगाने के लिए भी किसानों को जागरूक किया जाए। कृषि उपकरणों पर सब्सिडी की सुविधा देने के अलावा सुपर एसएमएस पर सब्सिडी की सुविधा दी जा रही है।

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- पराली न जलाने का संकल्प लेने वाले गांवों की प्रशंसा की

पराली न जलाने का संकल्प लेने वाले गांव टोडरपुर, पचं नंगला, दलेल सिंह वाला, थिडा, बहबलपुर, रीला सहित दर्जनों अन्य गांव की प्रशंसा करते हुए कहा कि वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए किसानों की ओर से उठाया गया यह कदम काबिले-तारीफ है। पराली को न जलाने वाले किसानों को जिला प्रशासन की ओर से सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि किसानों को अवशेषों को आग लगाने की बजाए इसके उचित निपटारे के लिए कृषि विभाग की नई तकनीकों को अपनाने की जरूरत है। मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. विनय कुमार ने बताया कि बाकी किसानों व ग्रुपों को जल्द ही सब्सिडी उनके खातों में जमा करवा दी जाएगी। किसान कृषि उपकरणों के माध्यम से अवशेषों का खेतों में ही निपटारा करने के अलावा गांव बिजो में लगे पावर प्लांट में भी पराली को बेच सकते हैं।


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