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सोच का कमाल: तरीका बदला और हो गए मालामाल, बोहण के किसानों ने पकड़ी तरक्‍की की राह

पंजाब के होशियारपुर जिले के बोहण गांव के किसानों ने नई सोच का कमाल दिखाया और बदहाली को पीछे छोड़कर मालामाल हो रहे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 12:37 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 12:08 PM (IST)
सोच का कमाल: तरीका बदला और हो गए मालामाल, बोहण के किसानों ने पकड़ी तरक्‍की की राह
सोच का कमाल: तरीका बदला और हो गए मालामाल, बोहण के किसानों ने पकड़ी तरक्‍की की राह

होशियारपुर, [नीरज शर्मा]। जिले के बोहण गांव के किसान कभी बदहाली का जीन जीने को विवश थे। दिन-रात की कड़ी मेहनत और बड़ी लागत के बावजूद भारी नुकसान से कर्ज के दलदल में फंसते जा रहे थे। फिर उन्‍होंने सोच बदली और खेती के नए तरीके ने कमाल कर दिया और किसान मालामाल होने लगे। उन्‍होंने परंपरागत खेती छोड़ और नकदी फसल की खेती कर खुशहाल होने का तरीका अपनाया।

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दरअसल यहां के किसान पहले आलू की फसल बीजते थे। दस साल पहले आलू के दाम बहुत ज्यादा गिरे तो किसानों को लाखों का घाटा सहना पड़ा। फिर उन्होंने गाजर की खेती शुरू कर दी जिससे अब अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। गांव के किसान गुरचरण सिंह मिंटा बताते हैं कि जब गाजर की पहली फसल उगाई तो अच्छी पैदावार हुई। फिर विशेषज्ञों से खेती की अच्छी तकनीक पूछी।

मिंटा ने बताया कि कृषि विशेषज्ञों ने तब जायजा लिया तो पाया कि जमीन गाजर की फसल के लिए काफी अनुकूल है। इसके बाद गांव के किसानों ने आलू की परंपरागत खेती छोड़कर गाजर की फसल को अपनाया। अब इलाके के सात गांवों में गाजर की खेती हो रही है। सिर्फ गांव बोहण में दो हजार एकड़ में गाजर की खेती की जाती है। इलाके के शेरगढ, मोना कलां, फुगलाना, पट्टी, फदमां आदि गांवों में भी गाजर की खेती हो रही है।

बकौल मिंटा गाजर की फसल 60 से 65 दिन में तैयार हो जाती है। इसमें कीड़ा लगने का खतरा भी कम होता है। जब जरूरत हो तो एक बार स्प्रे से काम चल जाता है। किसान गाजर के तुरंत बाद गेहूं की फसल लगा देते हैं। एक एकड़ में लगभग 40 से 50 हजार रुपये तक का मुनाफा होता है। धान के मुकाबले समय कम लगता है, जबकि मुनाफा ज्यादा है। किसान अमरीक व भूपिंदर ने बताया कि यहां के गाजर की चंडीगढ़, जम्मू व पठानकोट में खासी मांग है।

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अच्छी कमाई के साथ पानी की भी बचत

होशियारपुर के बागवानी विभाग के निदेशक अवतार सिंह कहते हैं कि गाजर की खेती से गांव बोहण के किसानों को काफी फायदा हुआ है। वहां का जलस्तर भी बढ़ा है। जिले के ज्यादातर क्षेत्रों में भूजल स्तर लगभग 300 से 400 फीट पर पहुंच चुका है, जबकि गांव बोहण में 140 फीट पर ही पानी मिल जाता है।

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