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हर साल सैंकड़ों लोगों की जा रही सड़क हादसों में जान, कैसे हो समाधान

सड़क हादसों में लगातार हो रही बढ़ोतरी चिता का विषय है। हर साल सैंकड़ों लोग इन हादसों में जान खो देते हैं परंतु इन हादसों को रोकने के लिए प्रशासन पूरी तरह से फेल हो चुका है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 11:42 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 11:42 PM (IST)
हर साल सैंकड़ों लोगों की जा रही सड़क हादसों में जान, कैसे हो समाधान
हर साल सैंकड़ों लोगों की जा रही सड़क हादसों में जान, कैसे हो समाधान

जागरण संवाददाता, होशियारपुर

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सड़क हादसों में लगातार हो रही बढ़ोतरी चिता का विषय है। हर साल सैंकड़ों लोग इन हादसों में जान खो देते हैं, परंतु इन हादसों को रोकने के लिए प्रशासन पूरी तरह से फेल हो चुका है। एक जरा सी लापरवाही किसी के जीवन पर भारी साबित पड़ सकती है और यहां तो सड़कों पर कदम-कदम पर खामियां हैं। कहीं साइन बोर्ड नहीं है, कहीं लाइटें बंद हैं, कहीं स्पीड ब्रेकर नहीं तो कहीं ओवर स्पीड इन हादसों का कारण बन जाते हैं। जहां यह सबकुछ है वहीं पर लोगों की ट्रैफिक नियमों के प्रति उदासीनता घातक साबित होती है। कुल मिलाकर ट्रैफिक सिस्टम भगवान भरोसे चल रहा है। चाहे अब हाईवे बनने के बाद हालातों में सुधार हो रहा है परंतु फिर भी अभी कई कमियां हैं जो हादसों का कारण बनती हैं। प्रशासन को इसके लिए एक ठोस नीति बनानी चाहिए ताकि इन होने वाले हादसों पर कंट्रोल किया जा सके ताकि किसी की कीमती जान न जाए।

यही नहीं लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह भी मनाया जाता है पर हादसे को रोकने के लिए अफसरशाही के कागजी प्लान कागजों में दी दब कर रह जाते हैं और हादसे लगातार हो रहे हैं। जरूरत है इन योजनाओं को जमीन पर उतारने की। जरुरी है ट्रैफिक नियमों का पालन, मगर नहीं हो रहा और आए दिन सड़कें कीमती जानें निगल रही हैं।

बीओटी के तहत बनीं सड़कों पर सुविधा देने के नाम पर वाहन चालकों की जेबें निचोड़ी जा रही है, मगर नियमों के पालन करवाने की जिम्मेदारी किसी पर नहीं। प्रशासन व पुलिस तंत्र कुल मिलाकर फेल दिखाई दे रहा है।

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हर साल सड़क हादसों में हो रही सैंकड़ों मौंतें, सैंकड़ों होते घायल

यदि आंकड़ों की बात की जाए तो हर साल तीन से चार सौ लोग इन सड़क हादसों में जान गवां देते हैं। पिछले तीन साल के आंकड़ों की हो तो पिछले तीन साल में जिला में सड़क हादसों में 1645 लोगों की जानें गई हैं। जबकि छोटे-बड़े हादसों को में घायलों को मिलाकर 2942 के करीब लोग घायल हुए हैं। वहीं सर्दी के मौसम में 237 लोगों को जान गंवानी पड़ी है। सर्दी में ज्यादातर हादसे धुंध के कारण हुए हैं और वह भी उन जगहों पर जहां कोई साइन बोर्ड ही नहीं था। इसके अलावा जो हादसे हुए हैं उनका मुख्य कारण तेज रफ्तार और जल्दबाजी में ओवरटेक होती है और कुछ हादसे नियमों का उल्लंघन करे होते हैं। (बाक्स)

आबादी के साथ बढ़े वाहन, पर नहीं सुधरी सड़कों की हालत

आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान समय में जिला में करीबन 15 लाख आबादी में 4.90 लाख (दो पहिया व चार पहिया) वाहन हैं। कुछ समय पहले तक वाहनों की संख्या में 10 फीसदी तक ही बढ़ोतरी होती थी, लेकिन अब बैंकों द्वारा आसानी से लोन देने की प्रक्रिया शुरू करने के पश्चात वाहनों की संख्या में प्रतिवर्ष 30 फीसदी तक बढ़ोतरी हो रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो पांच साल पहले तक वाहनों की संख्या 1.90 लाख के आसपास थी। यह बैंकों द्वारा दिए जा रहे लोन का ही कमाल है कि मात्र इतनी ही कम अवधि में वाहनों की संख्या में तिगुने का अंतर होने जा रहा है।

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हादसों का कारण कहीं न कहीं अपनी भी लापरवाही

हादसों के लिए केवल प्रशासन को ही जिम्मेदार ठहराएं तो यह गलत है। हादसा तब ही होती है जब नियम टूटते हैं। जल्दबाजी में ओवर स्पीड कहीं न कहीं हादसों का मुख्य कारण है। पुलिस के पास स्पीड रडार नहीं है। ऐस में वह सौ की रफ्तार में दनदनाने वाले वाहनों पर शिकंजा नहीं कस पाती है। पुलिस के रिकार्ड के मुताबिक एक साल की अवधि में ओवरस्पीड के कोई चालान नहीं काटे गए हैं जबकि सड़कों पर दौड़ते वाहनों की स्पीड ओवर ही होती है।

तीन साल में हुए हादसे

साल 2018 : 678

साल 2019 : 744

साल 2020 : 223

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जिला में कुल वाहन

दो पहिया वाहन : 6.50 लाख के करीब दो पहिया वाहन

चार पहिया वाहन : 3.50 लाख चार पहिया वाहन ---


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