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सरकारी घोषणा के बाद भी होशियारपुर में नहीं मिल सकेगी सस्ती रेत

ाज्य सरकार के दावों के बावजूद होशियारपुर वासियों को सस्ती रेत नसीब नहीं होगी। यूं कहें कि लोगों को सस्ती रेत मिलने के सपने रेत के महल की तरह ही चकनाचूर हो गए। इमारत बनाने के लिए लोगों को महंगी रेत ही खरीदनी पड़ेगी। नई घोषणा से भी कोई खास फर्क पड़ने वाला नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 10:14 PM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 10:14 PM (IST)
सरकारी घोषणा के बाद भी होशियारपुर में नहीं मिल सकेगी सस्ती रेत
सरकारी घोषणा के बाद भी होशियारपुर में नहीं मिल सकेगी सस्ती रेत

हजारी लाल, होशियारपुर : राज्य सरकार के दावों के बावजूद होशियारपुर वासियों को सस्ती रेत नसीब नहीं होगी। यूं कहें कि लोगों को सस्ती रेत मिलने के सपने रेत के महल की तरह ही चकनाचूर हो गए। इमारत बनाने के लिए लोगों को महंगी रेत ही खरीदनी पड़ेगी। नई घोषणा से भी कोई खास फर्क पड़ने वाला नहीं है।

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बता दें कि दैनिक जागरण की ओर से महंगी रेत का मुद्दा उठाने पर डीसी अपनीत रियात ने साढ़े पांच रुपये प्रति फुट रेत की कीमत निर्धारित कर दी थी। इससे लोगों को लगा कि अब उन्हें साढ़े आठ सौ रुपए तक रेत मिल जाया करेगी। मगर, ऐसा नहीं होगा।

क्योंकि अभी रेत खनन के लिए कस्बा हरियाना के तखनी के समीप साइट खोलने की बात कही गई है। यही रेत के लिए महंगे का सौदा साबित होगा। रेत के कारोबार से जुड़े एक कारोबारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि साढ़े पांच रुपये प्रति फुट ठेकेदार और जमीन मालिक को अदा करनी पड़ेगी। इसमें से साढ़े तीन रुपये ठेकेदार लेगा और जमीन मालिक को दो रुपए मिलेंगे। एक ट्राली में औसतन डेढ़ फुट रेत आती है। इस हिसाब से लगभग आठ सौ रुपये चार्ज बन जाएंगे। तखनी से होशियारपुर शहर तक रेत पहुंचाने के लिए अन्य खर्च भी जुड़ेंगे। इसमें दो सौ रुपये प्रति चक्कर ट्रैक्टर ड्राइवर का चार्ज जुड़ेगा। एक हजार रुपये का डीजल खर्च होगा। साथ में ट्रैक्टर मालिक भी एक चक्कर का कम से कम पांच सौ रुपये लेगा। इस हिसाब से एक ट्राली रेत की कीमत करीब 2500 रुपये पड़ेगी। यूं कहें कि राज्य सरकार के प्रयास के बाद भी लोगों को सस्ती रेत नसीब नहीं होगी।

जबकि अकाली-भाजपा सरकार के समय में एक हजार रुपए से लेकर बारह सौ रुपए प्रति ट्राली रेत उपलब्ध हो जाया करती थी। उस दौरान विपक्ष का संताप झेल रही कांग्रेस रेत महंगी होने का राग अलाप कर सरकार को कोसती रहती थी। और तो और कांग्रेस की सरकार बनने पर सस्ती रेत उपलब्ध करवाने वादा भी किया गया था, लेकिन हकीकत यह रही कि सस्ती रेत तो क्या मिलनी थी। सन 2017 में कांग्रेस की सरकार बनने पर साढ़े तीन हजार से लेकर चार हजार रुपये तक प्रति ट्राली रेट पहुंच गया। इससे जनता में कोहराम मच गया। कांग्रेस सरकार की खूब किरकिरी होने के बाद भी साढ़े चार साल तक जनता को कोई राहत नहीं मिली। अब, मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के प्रयासों से महंगी रेत से थोड़ी राहत मिली, लेकिन यह भी ऊंट के मुंह में जीरा के समान हैं। क्योंकि अब भी प्रति ट्राली रेत की कीमत 2500 से लेकर 2700 रुपये तक वसूली जा रही है।

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बस्सी गुलाम हुसैन साइट खुलने पर मिलेगी राहत

रेत कारोबारी ने बताया कि होशियारपुर में सस्ती रेत की उम्मीद तभी की जा सकती है, जब बस्सी गुलाम हुसैन की साइट खुलेगी। क्योंकि होशियारपुर शहर से बस्सी गुलाम हुसैन की दूरी महज दो किलोमीटर ही है। इस वजह से एक हजार रुपये डीजल खर्च बचेगा। इससे रेत भी सस्ती मिलेगी। अकाली-भाजपा सरकार के राज में बस्सी गुलाम हुसैन साइट खुली थी। शहरवासियों को सस्ती रेत मिलने का यह भी एक कारण था।

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सस्ती रेत देने के दावे गुमराह पूर्ण

पूर्व कैबिनेट मंत्री तीक्ष्ण सूद ने कहा कि सस्ती रेत देने के दावे गुमराह पूर्ण हैं। कांग्रेस सरकार के आते ही रेत की कीमत आसमान छूने लगी। पांच हजार रुपये तक ट्राली बिकी है। अब भी लोगों को कोई राहत नहीं मिल रही है। कांग्रेस सरकार का काम ही लोगों को गुमराह करना है।


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