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गांव बिजों के किसान पराली से बिजली कर रहे पैदा

होशियारपुर का गांव बिंजों जहां किसान पराली नहीं जलाते बल्कि पराली से बिजली पैदा करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 11:03 PM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 06:14 AM (IST)
गांव बिजों के किसान पराली से बिजली कर रहे पैदा
गांव बिजों के किसान पराली से बिजली कर रहे पैदा

रामपाल भारद्वाज, माहिलपुर

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होशियारपुर का गांव बिंजों, जहां किसान पराली नहीं जलाते बल्कि पराली से बिजली पैदा करते हैं। गांव बिजो में लगे एनर्जी प्लांट से पराली या अन्य फसलों के बेस्ट को खरीदा जा रहा है। जिससे किसानों को पराली जलाने की समस्या से तो निजात मिल ही रही है, वहीं किसानों को पराली के अच्छे दाम भी मिल रहे हैं। इलाके के लोगों को इस पावर प्लांट से रोजगार भी मिल रहा है। इससे पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

मुंबई निवासी लाड साहिब, कमलेश और गोमानी तीन उद्यमियों ने मिलकर संयुक्त रूप में जिला होशियारपुर के गांव बिजों में लगाया गया ग्रीन प्लांट एनर्जी जो बायोमास बेस्ड होने से क्षेत्र की जनता और किसानों के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है। किसानों की फसलों का जो बेस्ट बचता है, वह भी इस प्लांट की ओर से खरीदा जा रहा है। वहीं इस क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के साधन भी पैदा हो रहे हैं। इस प्लांट का निर्माण कार्य 2009 में शुरू किया गया था। जिसका उद्घाटन 2010 में उस समय के शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष और पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के केंद्रीय मंत्री डॉ. फारुक अबदुल्ला ने किया था। इस प्लांट में 135 कर्मचारी व अधिकारी कार्यरत है। जिनमें जसपाल सिंह गिल जनरल मैनेजर, सत्यावीर सिंह यादव और रणजोध सिंह परमार के सहित 65 कर्मचारी व अधिकारी रेगुलर है और 60-65 कर्मचारी डेली वेज पर है। इस प्लांट की बिजली उत्पन्न करने की कुल क्षमता छह मेगावाट टरबाईन है। जबकि इस प्लांट से छह मेगावाट बिजली उत्पन्न करके क्षेत्र के दो 66 केवी सब स्टेशनों के अंर्तगत पड़ते गांवों को बिजली दी जा रही है। जिनमें 66 केवी सब स्टेशन कोट फतूही, 66 केवी सब स्टेशन माहिलपुर शामिल हैं। इस तरह बिजली निरंतर मिलने से यहां किसान और आम लोग इस प्लांट से पूरी तरह से खुश है, वहीं पर लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। किसानों की सभी फसलों का वेस्ट प्लांट की ओर से खरीद कर लिया जाता है। जिसे पूरी मिकदार में पराली में मिलाकर बिजली उत्पन्न की जाती है। प्लांट के मैनेजर जसपाल सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि इस प्लांट में होशियारपुर के अतिरिक्त, दसूहा, टांडा, कपूरथला, माछीवाड़ा, नवांशहर, आदमपुर, जालंधर, आदि से किसान अपनी फसलों की बेस्ट लेकर बेचने आते हैं।

किसानों से प्लांट की ओर से पराली प्रति क्विटल 135 रुपये, पत्ता कुटी 200 रुपये, गन्ने की बेस्ट 150 रुपये, तूड़ी 200 रुपये, और धान की बेस्ट 180 रुपये खरीदे जाते हैं। इस तरह प्लांट किसानों की फसलों की हर प्रकार बेस्ट को खरीद लेता है और निकट भविष्य में और भी रेट बढ़ सकते है। इस तरह इस प्लांट से क्षेत्र के करीब 500 से ज्यादा परिवारों को रोजगार मिला है।

जसपाल सिंह ने बताया कि इस प्लांट में प्रतिदिन 280 से 300 टन पराली आती है और प्लांट में रोजाना 80 से 90 टन पराली और अन्य बेस्ट मिलाकर 220 टन से बिजली उत्पन्न की जाती है। इसी तरह का एक प्लांट गांव बीर (नकोदर) में लगा हुआ है। वहां भी इसी तरह बेरोजगारों को रोजगार दिया गया है। मालवा में गांव माणूके गिल (मोगा) में भी तैयार हो रहा है और वह भी जल्द ही अपना काम करना आरम्भ कर देगा। इस अवसर पर प्लांट में अपनी फसलों का बेस्ट और पराली लेकर आए किसान कुलदीप सिंह ने बताया कि वह अपने खेतों से पराली लेकर आया है और उसे प्लांट की ओर से बहुत ही कम समय में उसकी पेमेंट की जाती है। उसका कहना है कि किसानों को पराली को आग न लगाकर इस तरह के प्लांट में लेकर आना चाहिए। जिससे उनकी आमदन भी बढ़ती है और बेस्ट का भी कोई झंझट नहीं रहता। जसपाल सिंह गिल जनरल मैनेजर ने बताया कि 2015 में दस हजार टन, 2016 में चौदह हजार टन, 2017 में 20 हजार टन पराली किसानों से खरीदी गई थी। 2018 में 25 से तीस हजार टन पराली आने के आसार हैं। प्लांट को चलाने के लिए 50 प्रतिशत हार्ड फ्यूल और 50 प्रतिशत बॉयो फ्यूल इस्तेमाल किया जाता है।

एक एकड़ में 15 से 20 क्विंटल पराली होती है इक्ट्ठा

चाहलपुर से पराली बेचने आए कुलदीप सिंह और जसकरण सिंह ने बताया कि उनके गांव के किसान पराली इकट्ठा कर पावर प्लांट में बेचने के लिए उत्साहित हैं। एक एकड़ में 15 से 20 क्विंटल पराली इकट्ठा हो जाती है और एक एकड़ पर पराली के गठे बनाने के लिए 15 सौ रुपये का खर्च आता है। पराली न जलाएं, प्लांट में बेचें: बलबीर

गांव बिजो के किसान बलबीर सिंह ने कहा कि इस पावर हाउस के स्थापित होने से किसानों द्वारा पराली को खेत में जलाने की घटनाओं में कमी आई है। उन्होंने मांग की है कि पंजाब सरकार हर जिले में ऐसे प्रोजेक्ट्स लगाए ताकि किसान फसलों की बेस्ट को आग लगाने के बजाए प्लांट में बेचकर पैसे कमाएं। सरकार ऐसे प्लांट लगाने के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित करे: विजय

पर्यावरण प्रेमी विजय बंबेली ने कहा कि फसलों की वेस्टस से बिजली उत्पन्न करने के लिए बिजों गांव में लगे पावर प्लांट की तरह हर 60 किलोमीटर की दूरी पर ऐसे प्रोजेक्ट लगाने चाहिए ताकि किसानों को फसल वेस्टस लेकर जाने के लिए कष्ट न उठाना पड़े।


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