गांव के सपूत की बदौलत कमाही देवी से अंधेरा होगा गायब
कमाही देवी के गांव बह चूहड़ के सपूत ने सेना में रह कर देश की सेवा की। अब अपनी जन्मभूमि के ऋण को चुकाने का संकल्प पूरा करने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया है।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : कमाही देवी के गांव बह चूहड़ के सपूत ने सेना में रह कर देश की सेवा की। अब अपनी जन्मभूमि के ऋण को चुकाने का संकल्प पूरा करने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया है। गांव बह चूहड़ के सपूत एसएम मेहता सेना में बतौर लेफ्टिनेंट जनरल सेवा निभाने के बाद सेवानिवृत्त हुए और दिल्ली में बस गए, लेकिन जन्मभूमि की मिट्टी की सुगंध नहीं भुला पाए। मन में एक तड़प लिए रहे कि पिछड़े क्षेत्र में पड़ने वाली जन्मभूमि का ऋण चुकाना है।
कुछ ऐसा करना है कि गांव में बुजुर्गो की यादगारें कायम रहें और पेयजल, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाएं भी यहां के लोगों को मुहैया हों। लेफ्टिनेंट जनरल एसएम मेहता दिल्ली की एनजीओ द हंस फाउंडेशन के सीईओ हैं। एसएम मेहता ने गांव बह चूहड़ में अपने दादा के नाम पर सुदामा मेहता पालिक्लीनिक की स्थापना की, जिसका अपना भवन है। यहां पांच विशेषज्ञ डाक्टर लोगों को निश्शुल्क स्वस्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे हैं। यहां आधुनिक लैब और एंबुलेंस भी है, जो लगभग पचास गांवों चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवा रही हैं। फाउंडेशन ने लाखों रुपये खर्च कर लोगों के लिए पेयजल के लिए डीप बोर भी करवाया। फिर जनरल मेहता ने कमाही देवी दातारपुर सड़क से अस्पताल तक साठ स्ट्रीट लाइटें पंद्रह लाख रुपये की लागत से लगवाई। उन्होंने मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी के पूरे बाजार को रोशन करने के लिए काम शुरू करवाया, जिसका शुभारंभ तपोमूर्ति महंत राज गिरी महाराज ने किया।
बाजार में पांच लाख से चालीस लाइटें लगवाई जा रहीं
महंत राज गिरी जी व अस्पताल के प्रबंधक कैप्टन राम पाल ने बताया कि इस बाजार को रोशन करने के लिए कुल चालीस लाइटें पांच लाख रुपये की लागत से लगवाने का काम शुरू किया गया है और यह काम एक सप्ताह में पूरा हो जाएगा। इस अवसर पर महंत राज गिरी, डाक्टर रविद्र सिंह, रमन गोल्डी ने लेफ्टिनेंट जनरल एसएम मेहता की खूब प्रशंसा की। उन्हें महान सपूत बताया, जो अपनी जन्मभूमि और अपने पूर्वजों और अपने इस इलाके के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं। कैप्टन राम पाल ने बताया इसके अलावा जनरल मेहता ने इलाका में दस हजार से अधिक पौधे भी रोपने का लक्ष्य रखा है, ताकि धरती हरी भरी रहे।