हिमाचल के चोर रास्तों से लाया जा रहा पंजाब में मेडिकल नशा
पंजाब के हिमाचल के साथ लगते इलाकों में नशेड़ियों की ओर से प्रयोग किया जा रहा मेडिकल नशा चोर रास्तों से लाकर बेचा जा रहा है।
रामपाल भारद्वाज, गढ़शंकर
पंजाब के हिमाचल के साथ लगते इलाकों में नशेड़ियों की ओर से प्रयोग किया जा रहा मेडिकल नशा चोर रास्तों से लाकर बेचा जा रहा है। इन गुप्त रास्तों पर न तो कोई पुलिस का गश्ती दल घूमता है और न ही इन रास्तों के आसपास कोई पुलिस चौकी है, जिसका फायदा सीधे तौर पर तस्करों को मिल रहा है। नशे के तस्कर बोरियों में नशीली गोलियां कोड़ियों के दामों पर खरीद कर लाते हैं और मोटे दामों पर बेचते हैं। यही नहीं इन तस्करों का पूरे पंजाब में सर्किल है जो बड़े आराम से इन चोर रास्तों द्वारा ऑपरेट हो रहा है। नशा कहां पहुंचाना है, कौन लेगा, कैसे पहुंचाना है, कौन से रास्ते से भेजा जाएगा सारा प्लान पहले से तैयार होता है और पुलिस को चकमा देकर नशे के तस्कर चुपचाप निकल जाते हैं।
गौरतलब है कि हिमाचल से सटा हुआ यह कंडी का इलाका काफी दुर्गम है और जंगली भी है। यह नशा तस्करों के लिए वरदान साबित हो रहा है। नशे के तस्कर स्थानीय लोग जोकि इन रास्तों के भलीभांति जानकार हैं उनका सहारा लेते हैं। उनका भी कुछ मात्रा में इस तस्करी में हिस्सा रखा जाता है, जिस कारण उन्हें काम भी मिल जाता है। जानकारी के अनुसार कंडी के गांवों में कई ऐसे लोग हैं जो इन तस्करों की सरेआम मदद करते हैं। बकायदा वह तस्करों के साथ गुप्त रास्तों में मूवमेंट के लिए गाइड का काम करते हैं। यह मेडिकल नशा चिट्टे से सस्ता होने के कारण युवाओं के लिए चिट्टे के विकल्प के रूप में आसानी से उपलब्ध हो रहा है। हिमाचल प्रदेश के ओद्यौगिक हब के रूप में उभरे बद्दी में लगी दवाओं की फैक्ट्रियों में काम करते लोगों से मिलीभगत कर भारी मात्रा में नशीली गोलियां व इंजेक्शन पंजाब में लाए जा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश के साथ लगते पंजाब के इलाके के युवा किसी बीमारी से निजात दिलाने के लिए जो दवाएं बनी हैं, नशेड़ी उनका इस्तेमाल अपने नशे की पूर्ति करने के लिए धड़ल्ले से इस्तेमाल करने में लगे हुए हैं। दर्द निवारक गोलियों का इस्तेमाल नशेड़ी अपने नशे की पूर्ति के लिए कर रहे हैं। कुछ मेडिकल स्टोर वाले अपने थोड़े से फायदे के लिए बिना डाक्टर की पर्ची देखे ही ये नशीली दवाएं अवैध रूप से बेच रहे हैं। जबकि सरकार ने ऐसी दवाओं की खुली बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।
कोड़ियों के भाव खरीद, महंगे दामों पर बेच रहे तस्कर
युवकों में दिन-ब-दिन नशे को लेकर झुकाव बढ़ता जा रहा है। युवा पेंटविन इंजेक्शन, कोरेक्स सीरप और स्पाजमो प्रॉक्सीवान कैप्सूल का नशे के लिए उपयोग कर रहे हैं। नशे के ये सामान मेडिकल स्टोर में 10 रुपये से लेकर 20 रुपये में मिलने वाला दस गोलियां का पत्ता दो से अढ़ाई सौ में बेचकर पैसे कमा रहे हैं। स्पाजमो, प्रॉक्सीवान कैप्सूल पेट दर्द से राहत की दवा है। इसकी कीमत 20 रुपये है जो बाजार में 300 रुपये में मिलता है। युवा एक साथ चार से पांच कैप्सूल खाकर इसका उपयोग नशे के लिए कर रहे हैं। इसके अलावा पेंटविन इंजेक्शन लगाकर भी युवा वर्ग नशा कर रहा है। दो रुपये के इंजेक्शन को 50 रुपये में बिक्री कर मेडिकल स्टोर के संचालक चांदी कूट रहे हैं। पुलिस नहीं करती शिकायत पर कार्रवाई
ड्रग इंस्पेक्टर मेडिकल स्टोर में छापा मार कार्रवाई कभी नहीं करते वजह साफ हैं। सभी अधिकारियों को मंथली सुविधा शुल्क फिक्स है। जानकारों की माने तो पुलिस के पास प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री की शिकायत आती है तो वह भी यह कह कर बच जाते है की खाद्य व ड्रग विभाग का काम है लेकिन सुविधा शुल्क लेने में पुलिस विभाग किसी से पीछे नही है जबकि ड्रग इंस्पेक्टर का कार्यक्षेत्र अधिक होने के कारण कभी कभार ही किसी मेडिकल स्टोर की जांच होती। कुछ समय पहले माहिलपुर व कोटफतूही में ड्रग पीड़ित लोगों ने पोस्टर लगा कर उस पर मेडिकल व चिट्टे के तस्करों के नाम नशर किए थे, यहां बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित दवाइयां बेची जा रही हैं पर अफसोस कोई हल नहीं हुआ। टीमें लगातार कर रही है जांच: डीएसपी
डीएसपी गढ़शंकर सतीश कुमार ने बताया कि हमारी टीमें लगातार चेकिग कर रही हैं और कुछ तस्कर पकड़े भी जा रहे हैं। लेकिन गंभीर मसला यह है कि अभी तक कोई बड़ा तस्कर काबू नहीं हो पाया है। ट्रैप लगाए जा रहे हैं उम्मीद है कि जल्द ही कामयाबी भी मिल जाएगी। हम इन तस्करों की मूवमेंट का स्कैच तैयार कर रहे हैं जिससे हमें इनके काम करने का ढंग का पता भी चल जाएगा। उन्होंने आम लोगों से भी अपील की कि यदि उन्हें कोई इस प्रकार की नशे की तस्करी में शामिल किसी व्यक्ति की सूचना मिले तो वह तुरंत पुलिस को दें जिनकी पहचान गुप्त रखी जाएगी।
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