डॉ. बग्गा का काम लाजवाब, मरीजों को दे रहे मुफ्त इलाज
होशियारपुर मैं जब पढ़ाई कर रहा था तो माता राजरानी ने इस संसार को अलविदा कह दिया था। तीन साल बाद पिता प्रिसिपल ओम प्रकाश बग्गा भी हमेशा की नींद सो गए।
जागरण संवाददाता, होशियारपुर
मैं जब पढ़ाई कर रहा था, तो माता राजरानी ने इस संसार को अलविदा कह दिया था। तीन साल बाद पिता प्रिसिपल ओम प्रकाश बग्गा भी हमेशा की नींद सो गए। छोटी ही उम्र में पहले माता, फिर पिता का साया उठ गया। उसी दिन मैंने ठान लिया था कि अगर जिदगी में कुछ बना तो कुछ वक्त समाज सेवा को भी दूंगा। पढ़ाई करने के बाद मैं डॉक्टर बना। सरकारी नौकरी मिली। लंबी सेवा के बाद बतौर सिविल सर्जन रिटायर हुआ। यह कहना है कि डॉ. अजय बग्गा का, जो हर वक्त गरीबों के लिए कुछ न कुछ सोचते रहते हैं। हालांकि डॉ. अजय बग्गा स्वास्थ्य विभाग में रहते हुए लोगों के अच्छे इलाज के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। रिटायरमेंट के बाद भी उन्होंने अपनी समाज सेवा का मिशन जारी रखा है। अब वह श्री राम चरित मानस प्रचार मंडल बहादुरपुर के प्रधान हरीश सैनी की ओर से संचालित प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र मैं सांय चार बजे से लेकर छह बजे तक मरीजों की नि:शुल्क चेकिग करते हैं। और तो और जिन मरीजों के पास पैसे नहीं होते, उनकी दवाइयां अपनी जेब से खरीदकर देते हैं। उनका कहना है कि सारी जिदगी यह मिशन जारी रहेगा, क्योंकि अमीर लोग तो महंगी दवाइयां खरीद लेते हैं, लेकिन गरीब पैसे के अभाव में दवाइयों से वंचित रह जाते हैं। कोरोना वायरस के चलते जिन लोगों की मौतें हुई थीं, उनके अंतिम संस्कार में डा. अजय बग्गा ने अच्छी भूमिका निभाई। यथासंभव वह संस्कार में अपना योगदान देने से पीछे नहीं हटे। मेधावी गरीब विद्यार्थियों की भी करते हैं सहायता डॉ. बग्गा के पिता स्व. प्रिसिपल ओम प्रकाश बग्गा विधायक थे। समाजसेवा में उनका नाम किसी का मोहताज नहीं है। हर साल डॉ. बग्गा अपने पिता की बरसी मनाते है। उसमें वह सभी वर्गों को साथ लेकर चलते हैं और तो और डॉ. बग्गा समाज के हर उस काम के लिए तत्पर रहते हैं। डॉ. बग्गा श्री राम चरित मानस प्रचार मंडल के माध्यम से समय-समय पर नि: शुल्क मेडिकल कैंप लगाकर मरीजों के इलाज का, हर वक्त अपनी अमूल्य सेवाएं देते हैं। समाजसेवा के लिए राजनीति में नहीं रखा कदम राजनीति में अच्छे मुकाम हासिल करने के लिए नेता क्या से क्या नहीं कर गुजरते है, लेकिन डॉ. बग्गा ने कई राजनीतिक पार्टियों की आफर को भी ठुकरा दिया है। कई कदावर नेताओं ने उनके संपर्क साथ कर अपनी पार्टी में शामिल न होकर समाजसेवा का मिशन जारी रखा।