जिला परिषद और ब्लाक समितियों पर कांग्रेस का कब्जा, अकाली-भाजपा साफ
जिला परिषद की 25 सीटों और ब्लाक समिति की 211 सीटों के हुए चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस कब्जा कर लिया है। समाचार लिखे जाने तक जिला परिषद ब्लाक समितियों की 211 सीटों में से 114 के परिणाम आ चुके थे। इनमें से कांग्रेस ने 92 सीटों पर शानदार जीत हासिल की। शिरोमणि अकाली दल बादल को महज 07 सीटें ही मिली थीं और भाजपा के खाते में 14 सीटें आई थीं। ब्लाक समितियों से अकाली-भाजपा का सफाया सा हो गया है।
हजारी लाल, होशियारपुर
जिला परिषद की 25 सीटों और ब्लॉक समिति की 211 सीटों के हुए चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है। समाचार लिखे जाने तक जिला परिषद ब्लॉक समितियों की 211 सीटों में से 175 के परिणाम आ चुके थे। इनमें से कांग्रेस ने 129 सीटों पर शानदार जीत हासिल की। शिरोमणि अकाली दल बादल को महज 17 सीटें ही मिली थीं और भाजपा के खाते में 20 सीटें आई थीं। इसके अतिरिक्त सीपीआइ (एम) 2 व आजाद उम्मीदवार 7 सीटों पर विजयी हुए हैं। आप को कोई सीट नहीं मिली है। ब्लॉक समितियों से अकाली-भाजपा का सफाया सा हो गया है।
वहीं, गठबंधन एक भी ब्लॉक समिति को नहीं बचा पाया और उसकी हार भी बहुत शर्मनाक हुई है। यूं कहें कि परिषद और समितियों के चुनाव से अकाली-भाजपा का सफाया हो गया, तो शायद कुछ गलत नहीं होगा। दस साल के बाद कांग्रेस ने शानदार वापसी करते हुए इन चुनावों में अपना परचम फहराया है। जिला परिषद की 25 सीटों में 8 के परिणाम आए थे। इनमें से आठों ही सीटों पर कांग्रेस विजयी रही है। अकाली-भाजपा खाता भी नहीं खोल पाई थी। पिछले चुनाव में अकाली-भाजपा ने सभी 10 ब्लॉक समितियों और जिला परिषद पर कब्जा किया था। जो हाल उस समय कांग्रेस का हुआ था, वही हाल अब अकाली-भाजपा का हुआ है।
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आसमान से बादल बरसते रहे, जमीन के बादल सीट के लिए तरसते रहे
शनिवार का दिन खास रहा। मौसम और चुनावी मौसम, दोनों के लिहाज से। मौका था जिला परिषद और ब्लॉक समिति के चुनावों की मतगणना का। मौसम और चुनावी मौसम किसी को खुश, तो किसी को परेशान करने वाला रहा। इस दौरान आसमान के बादल जहां सारा दिन बरसते रहे, वहीं जमीन के बादल चुनावी मौसम में सीट के लिए तरसते रहे। पंजा की पकड़ मजबूत हुई। कमल भी खिल न सका और यूं कहें कि आप भी हो गई साफ..। जी हां, जिला होशियारपुर में शनिवार को कुछ ऐसा ही समीकरण बन रहा था। बरसात के अंतिम दिनों में आसमान के बादल तो सारा दिन बरसते रहे, लेकिन जमीन के सियासी बादल यानी प्रकाश ¨सह बादल की शिअद (ब) जिला परिषद और ब्लॉक समिति सीटों के लिए तरसती रही। विधानसभा चुनावों में भारी उलटफेर करने वाली आप भी तीला-तीला हो गई। हां, पंजाब की सत्ता पर काबिज कांग्रेस का हाथ जरूर मजबूत हुआ है।
सन 2014 में हुए ब्लॉक समिति और जिला परिषद के चुनावों में हाथ को रौंद कर भारी पड़ने वाली शिरोमणि अकाली दल की तिकड़ी की इस चुनाव में कोई तिकड़मबाजी नहीं चली। जिला परिषद की 25 सीटों में से 16 सीटों पर कब्जा करने वाली शिरोमणि अकाली दल ने इस चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन किया। ब्लॉक समिति का चुनाव भी अकाली दल बादल के लिए रास नहीं आया है।
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खाता नहीं खोल सकी आप
विधानसभा चुनावों में राजनीतिक समीकरण बदलने वाली आम आदमी पार्टी ब्लॉक समिति और जिला परिषद के चुनाव में खाता तक नहीं खोल सकी। एक भी सीट पर उसे जीत नसीब नहीं हुई है। सीट जीतने की बात तो दूर, वह किसी सीट पर टक्कर देती भी नजर नहीं आई। महज कुछ वोटें लेकर सिमट गई। मुख्य मुकाबला कांग्रेस, भाजपा-अकाली दल के बीच ही रहा।
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ग्रामीण इलाकों में भाजपा हुई मजबूत, अकाली दल की जमीन खिसकी
जिला परिषद और ब्लॉक समिति के चुनाव में अपने सहयोगी दल अकाली दल बादल से उम्दा प्रदर्शन भाजपा का रहा। भाजपा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद अकाली दल जीत की बाजी मारने में पिछड़ गया। भले ही चुनावी समीकरण कांग्रेस के पक्ष में रहे हैं, लेकिन जिस तरह से इन चुनावों में भाजपा ने प्रदर्शन किया है, उससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा छिड़ गई है कि ग्रामीण इलाकों में भी भाजपा की राजनीतिक जमीन मजबूत हुई है। मगर, अकालियों का गढ़ माना जाने वाले ग्रामीण इलाकों में उसकी राजनीतिक जमीन खिसकी है। यह अकालियों के लिए आत्ममंथन की जरूरत है। अगर कांग्रेस के सत्ता में होने के बावजूद भाजपा ने कुछ सीटें जीती है तो अकाली क्यों नहीं?