Move to Jagran APP

14 हजार प्रवासी पक्षी पहुंचे पौंग बांध झील में

ब्यास नदी पर बनाए गए पौंग बांध स्थित महाराणा प्रताप सागर झील में सर्दी की शुरुआत होते ही प्रवासी पक्षियों की आमद शुरू हो गई है। हर साल यह पक्षी साईबेरिया, तिब्बत तथा मध्य एशिया में बर्फबारी तथा ठंड बढ़ने से यहां हजारों किमी की उड़ान के बाद पहुंचते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Nov 2018 05:05 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 03:02 AM (IST)
14 हजार प्रवासी पक्षी पहुंचे पौंग बांध झील में
14 हजार प्रवासी पक्षी पहुंचे पौंग बांध झील में

संवाद सहयोगी, दातारपुर : ब्यास नदी पर बनाए गए पौंग बांध स्थित महाराणा प्रताप सागर झील में सर्दी की शुरुआत होते ही प्रवासी पक्षियों की आमद शुरू हो गई है। हर साल यह पक्षी साईबेरिया, तिब्बत तथा मध्य एशिया में बर्फबारी तथा ठंड बढ़ने से यहां हजारों किमी की उड़ान के बाद पहुंचते हैं। मार्च के मध्य तक प्रवास करते हैं तथा फिर वतन वापसी करते हैं। वन्य जीव संरक्षण अधिकारी सेवा ¨सह के अनुसार अब तक 50 प्रजातियों के 14 हजार मेहमान प¨रदे यहां पधार चुके हैं। ये रंग बिरंगे पक्षी 301 वर्ग किमी इलाके में फैली विशाल झील की रौनक बढ़ा रहे हैं।

loksabha election banner

दिसंबर के आखिर तक इनकी संख्या डेढ़ लाख तक हो जाती है। जैसे जैसे ठंड बढ़ेगी इनकी संख्या भी बढ़ेगी। पौंग झील में इस समय आए इन पक्षियों में सर्वाधिक नार्थन पिनटेल 3300, कामन कूट्स 2050, लिटल कार्मोरेंट 1500, कामनटेल 1000, पोचार्ड 900, शैवलर 100, ब्लैक हैडिड गीज 150, स्पाट विल डक 160, कामन पोचार्ड 100, रूडी शैल्डेक 500, लिटिल इगरिट 200, लिटिल ग्रेप 100, रीवर किग 100 तथा अन्य प्रजातियों के पक्षी यहां डेरा जमा चुके हैं। हर साल इन प¨रदों की गणना जनवरी में की जात है। इन्हें तब कालर ¨रग तथा ट्रांसमीटर भी लगाए जाते हैं। इन प्रवासियों की सुरक्षा को यकीनी बनाए रखने के लिए 22 टीमों का गठन किया गया है। इनके शिकार पर कड़ी नजर रखी जाती है तथा कड़े दंड का प्रवाधान है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.