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उम्मीदवार की तलाश में राजनीतिक निशाना साधने में जुटा शिअद-बसपा गठबंधन

अकाली बदल बादल-बहुजन समाज पार्टी को होशियारपुर विधानसभा क्षेत्र सीट से दमदार प्रत्याशी नहीं मिल रहा है। हाईकमान की राजनीतिक बिसात है कि इस सीट से चुनावी लंगोटी पहनने वाला चेहरा हिदू और अमीर हो। ऐसा नहीं है कि होशियारपुर में अमीर हिदू चेहरा नहीं है लेकिन राजनीतिक गणित यहां पर गड़बड़ा जा रही है कि यह सीट बसपा खाते में है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 07:39 AM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 07:39 AM (IST)
उम्मीदवार की तलाश में राजनीतिक निशाना साधने में जुटा शिअद-बसपा गठबंधन
उम्मीदवार की तलाश में राजनीतिक निशाना साधने में जुटा शिअद-बसपा गठबंधन

हजारी लाल, होशियारपुर

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अकाली बदल बादल-बहुजन समाज पार्टी को होशियारपुर विधानसभा क्षेत्र सीट से दमदार प्रत्याशी नहीं मिल रहा है। हाईकमान की राजनीतिक बिसात है कि इस सीट से चुनावी लंगोटी पहनने वाला चेहरा हिदू और अमीर हो। ऐसा नहीं है कि होशियारपुर में अमीर हिदू चेहरा नहीं है, लेकिन राजनीतिक गणित यहां पर गड़बड़ा जा रही है कि यह सीट बसपा खाते में है। सीट बसपा खाते में होने की वजह से चुनाव निशान हाथी होगा। इसलिए अकाली-बसपा गठबंधन को इस सीट से दमदार उम्मीदवार तलाशने में खासी मेहनत करनी पड़ रही है। चूंकि हाईकमान का मानना है कि वर्तमान कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा के मुकाबले यहां पर सशक्त उम्मीदवार उतारने से ही कड़ा मुकाबला दिया जा सकता है।

दरअसल, होशियारपुर विधानसभा सीट सामान्य है। विधानसभा चुनाव में आप के आने से पहले बसपा का प्रदर्शन इस सीट से तीसरे नंबर पर रहता था। पिछले चुनाव में बसपा का प्रदर्शन चौथे नंबर पर खिसक गया था। इसी राजनीतिक पहलू को ध्यान में रखते हुए अकाली-बसपा गठबंधन यहां से सामान्य उम्मीदवार को ही मैदान में उतारने की रणनीति बनाने में लगी है। बसपा हाईकमान के साथ अकाली हाईकमान भी इस सीट से उम्मीदवार तलाश में लगा हुआ है।

राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों शहर के एक नामी डाक्टर से संपर्क करके उन्हें इस सीट से चुनाव लड़ने की आफर दी गई थी। मगर, उसने राजनीतिक में कोई रुचि न होने का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से साफ इंकार कर दिया था। इसके बाद हाईकमान ने पिछले बार आप की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके एक दमदार नेता से संपर्क साधा। एक खास जगह पर बैठक भी हुई, लेकिन चुनाव चिन्ह हाथी होने की वजह से उन्होंने भी इंकार कर दिया। मालूम पड़ा है कि उसने शर्त रखी थी कि अगर अकाली दल की टिकट पर चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव हो तो वह सोच सकता है। कुल मिलाकर यहां पर भी बात नहीं, क्योंकि यह सीट अब अकाली दल के खाते में आने वाली नहीं है।

बताते हैं कि अब अकाली-बसपा गठबंधन की नजर भाजपा के कुछ ऐसे नेताओं पर है, जो खास करके विधानसभा चुनाव में खूब पैसा खर्च करने की क्षमता रखते हों और उनका जनता में भी जनाधार अच्छा खासा हो। ऐसे नेताओं की पहचान करने के लिए गठबंधन सर्वे भी करवा रहा है। अब देखना है कि गठबंधन को दमदार उम्मीदवार की तलाश में अभी कितना वक्त और लगता है। क्योंकि जिले की सात विधानसभा सीटों पर गठबंधन ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। सिर्फ होशियारपुर विधानसभा सीट बाकी है।

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बसपा ने दी विरोध की धमकी

उधर, बसपा के हलका इंचार्ज दिनेश पप्पू सुमित्तर सीकरी को टिकट देने की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि पैराशूट से उम्मीदवार उतारा जाएगा तो उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। बल्कि उसका विरोध होगा। अब देखना है कि गठबंधन हाईकमान क्या फैसला लेता है।


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