पौंग बांध में 76 दिनों में जलस्तर 90 फुट बढ़ा
दातारपुर, ब्यास नदी पर बनाए गए मिट्टी की दीवार से बने एशिया के सबसे बड़े बाँध पौंग बाँध में विगत 20 जून से जलभराव सीजन शुरु हो गया है और यह सीजन 20 सितंबर
संवाद सहयोगी, दातारपुर
ब्यास नदी पर बनाए गए मिट्टी की दीवार से बने एशिया के सबसे बड़े बाध पौंग बाँध में विगत 20 जून से जलभराव सीजन चल रहा है, जो 20 सितंबर यानी तीन महीने तक चलेगा। बुधवार को जलभराव सीजन के 76 दिन पूरे हो गए हैं और पौंग बांध में कुल 90 फुट जलस्तर बढ़ा है।
गत 20 जून को बांध की महाराणा प्रताप सागर झील में सुबह 6 बजे 1284. 49 फुट जलस्तर रिकार्ड किया गया था। उस समय झील में मात्र 2190 क्यूसिक पानी की आमद हो रही थी और 8009 क्यूसिक पानी बांध से डिस्चार्ज हो रहा था।
वहीं, 5 सितंबर को बांध की झील में सुबह 6 बजे 1374.05 फुट जलस्तर रिकार्ड किया गया है। इस दौरान बांध में कुल 36201 क्यूसिक पानी की आमद हो रही है और बांध की टर्बाइनों से 12720 क्यूसिक पानी डिस्चार्ज हो रहा है। अब बांध में जलभराव के सीजन के मात्र 15 दिन शेष बचे हैं। अभी बांध में जलस्तर बांध के फ्लड गेटों जिनका स्तर 1365 फुट है, से मात्र 9 फुट ही ऊपर हुआ है। जबकि गत वर्ष आज के दिन यह जलस्तर 1387 फुट था। इस लिहाज से अभी विगत वर्ष की तुलना में 13 फुट पानी कम है। आमतौर पर सितंबर में जोरदार बारिश की संभावना कम ही रहती है। ऐसे में यदि आगामी दिनों में समुचित जलभराव नहीं हुआ, तो अगले वर्ष जून तक ¨सचाई और विद्युत उत्पादन के लिए पानी की उपलब्धता कम ही रहेगी।
गौर हो कि पौंग बांध की डेड स्टोरेज क्षमता 1265 फुट है। यदि बांध के कैचमेंट क्षेत्र में इसी प्रकार कम बारिश का सिलसिला जरी रहा, तो बांध में पानी का वांछित स्तर 1390-1395 फुट तक जलभराव होना संभव नहीं होगा।
वर्तमान में बांध की कुल तीन टर्बाइनें बिजली उत्पादन कर रही है। डिस्चार्ज के बाद पानी मुकेरियां हाइडल नहर में जा रहा है। जहां के चार बिजलीघरों में 207 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है। पौंग बाँध के बिजलीघर में कुल 6 टर्बाइन कार्यरत हैं, जो प्रत्येक 66 मेगावाट की दर से कुल 396 मेगावाट बिजली उत्पादन करते हैं।