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400 साल पुराना नागदेवता वृंदावन मंदिर आस्था का प्रतीक

इन दिनों आशुतोष भगवान शिव जी का प्रिय महीना सावन चल रहा है और वृंदावन धाम के नाग देवता व शिवालय का जिक्र न हो तो समझो बात अधूरी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 05:56 PM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 05:01 AM (IST)
400 साल पुराना नागदेवता वृंदावन मंदिर आस्था का प्रतीक
400 साल पुराना नागदेवता वृंदावन मंदिर आस्था का प्रतीक

सरोज बाला, दातारपुर

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इन दिनों आशुतोष भगवान शिव जी का प्रिय महीना सावन चल रहा है और वृंदावन धाम के नाग देवता व शिवालय का जिक्र न हो तो समझो बात अधूरी है। घने जंगल में दातारपुर से बडला और वहां से सात किमी दूरी पर है वृंदावन धाम। नाग देवता मंदिर यहां का मुख्य आकर्षण है। नाग पंचमी पर 13 व 14 अगस्त को वार्षिक मेले में 50 हजार से भी ज्यादा श्रद्धालु शिरकत कर आस्था व श्रद्धा का इजहार करते हैं। पूरे सावन माह में दूरदराज से आए सैकड़ों की संख्या में भक्त भोले का पूजन करते हैं। महाशिवरात्रि को चार पहर की पूजा कर हजारों लोग भोले को रिझाते हैं। मनोकामनाएं पूरी होने पर ध्वज व बाजे सहित आकर शीश झुकाते हैं।

मंदिर का इतिहास

महान संत सतगुरु बाबा लाल दयाल के परम शिष्य संत तपादास की तपोभूमि वृंदावन धाम 400 से भी ज्यादा साल से क्षेत्र में अध्यात्म का केंद्र बना हुआ है। यहां नवग्रह मंदिर, धर्मराज मंदिर, बाबा बालक नाथ मंदिर श्रद्धालुओं की श्रद्धा को बयां कर रहा है।

तैयारियां

प्रतिदिन पुजारी बाबा शुभकरण व प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सुनील कुमार तड़के चार बजे साफ सफाई के बाद मंदिर के कपाट खोल पूजा करते हैं और फिर शुरू होता है भक्तों का आना जाना। शाम सात बजे तक यह सिलसिला निर्बाध चलता है। जलाभिषेक, भोले के जयकारे, शंखनाद व घंटियों का नाद इसे पावन बनाता है। पूरा वर्ष सभी कार्यक्रम महामंडलेश्वर 1008 महंत रमेश दास की अध्यक्षता में संपन्न होते हैं।

बेलपत्र से शिव पूजन का दौर जारी

मंदिर के पुजारी बाबा शुभकरण व प्रबंधक कमेटी अध्यक्ष सुनील कुमार बताते हैं कि यूं तो पूरा साल भक्तों का तांता रहता है, पर सावन में हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु बेलपत्र लेकर शिव पूजन करते हैं और शिव कृपा प्राप्त कर यहां ढोल बाजे के साथ आकर आभार जताते हैं। आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर 1008 महंत रमेश दास कहते हैं 400 साल पहले सतगुरु बाबा लाल दयाल के परमशिष्य बाबा तपादास ने घोर तप किया था तभी से घने जंगल में स्थित यह धर्मस्थान शिव भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है।


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