ट्रैक से उतरा ड्राइविग लाइसेंस बनाने का काम, 250 मामले चल रहे पेंडिंग
ड्राइविग करते समय लाइसेंस न होने पर पुलिस चालान का डर दिखाती है।
सतीश कुमार, होशियारपुर
ड्राइविग करते समय लाइसेंस न होने पर पुलिस चालान का डर दिखाती है। लाइसेंस न होने पर चालान काटकर हाथ में थमा दिए जाते हैं, मगर होशियारपुर के आरटीए दफ्तर में ड्राइविग लाइसेंस बनाने का काम खुद ही ट्रैक से उतरा हुआ है। हालात यह हैं कि आरटीए दफ्तर में 250 ड्राइविंग लाइसेंस पेंडिग हैं। इसका कारण यह है कि कभी सिस्टम में खराबी आ जाती है तो कभी स्टाफ कुर्सी पर नहीं मिलता। महज एक माह की अवधि में बनाए जाने वाला लाइसेंस छह माह तक चक्कर काटने के बाद भी नहीं बन रहा है। हर रोज 30 के करीब युवा लर्निग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन कर रहे हैं।
नए व्हीकल एक्ट के लागू होने के बाद बिना लाइसेंस के चालान पर 500 की बजाय पांच हजार रुपये का जुर्माना चुकाना पड़ रहा है। इस मोटे जुर्माने से बचने के लिए लर्निग व परमानेंट लाइसेंस बनवाने वालों की तादाद में बढ़ोतरी हो गई है। इससे लोग परेशान हैं। दैनिक जागरण ने आरटीए दफ्तर का मुआयना किया गया तो आरटीए दफ्तर की सुस्त रफ्तार खूब देखने को मिली। लाइसेंस बनवाने के लिए लोग परेशान होते देखे गए। आरटीए दफ्तर में
फोटो 61
लाइसेंस नहीं बन रहा, तीन बार चालान हो चुका : संदीप
संदीप सिंह निवासी लाचोवाल ने बताया कि वह होशियारपुर में प्राइवेट नौकरी करता है। अकसर लाचोवाल के पास पुलिस का नाका लगता है। पुलिस रोककर जब दस्तावेज मांगती है वह तो दिखा दिए जाते हैं। मगर जब लाइसेंस मांगते हैं तो पर्ची दिखाने पर भी वह कोई बात नहीं सुनते और चालान काट देते हैं। लाइसेंस नहीं बन रहा और तीन बार चालान हो चुका है। फोटेा 63
नवंबर में लाइसेंस के लिए किया था अप्लाई : आशीष
ड्राइविग लाइसेंस बनवाने आए आशीष कुमार निवासी मुस्तापुर ने बताया कि उसने नवंबर में लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था। अप्लाई करते समय उसे यह बताया गया था कि बीस दिन में उसका लाइसेंस बन जाएगा, मगर अभी तक भी लाइसेंस नहीं बना है। वह कई बार चक्कर लगा चुका है। हर बार यही जवाब मिलता है कि अभी लाइसेंस नहीं बना है। लाइसेंस न होने से दो बार उसका चालान भी हो चुका है। फोटो 64
अगस्त में किया था अप्लाई आज तक नहीं बना: रमनदीप
रमनदीप सिंह निवासी रुड़की कलां थाना गढ़शंकर ने बताया कि उन्होंने रमनदीप कौर का लाइसेंस अगस्त में अप्लाई किया था। वह आरटीए दफ्तर के दस चक्कर लगा चुका है। आज तक लाइसेंस नहीं मिला है। आज भी वही रटारटाया जवाब मिला कि अभी लाइसेंस नहीं बना है।
कोशिश होती है कि सभी को जल्द मिले लाइसेंस: गौरव
आरटीए में बतौर ऑपरेटर तैनात गौरव ने कहा कि लाइसेंस अप्लाई करने के बीस दिन में लाइसेंस बनकर आ जाता है। अगर कोई टेक्निकल समस्या हो तो कुछ समय लग सकता है। मगर फिर भी विभाग की तरफ से हर हाल में एक माह के बीच लाइसेंस जारी कर दिया जाता है। सिस्टम में खराबी होने से ज्यादा समय लगता है। ठीक करेंगे व्यवस्था: आरटीए
आरटीए करन सिंह ने बताया कि उनके ध्यान में यह बात आई है। वह कल खुद ट्रैक पर जाएंगे। अगर किसी प्रकार की खराबी निकली तो उसे ठीक करने का प्रयास करेंगे और किसी को भी कोई परेशानी पेश नहीं आने देंगे। वह यह भी मालूम करेंगे कि लोगों को छह माह बाद भी लाइसेंस क्यों नहीं मिले हैं।