शहर की आधी आबादी को हो रहा दूषित पानी की सप्लाई, विभाग द्वारा नही मिलाया जा रहा क्लोरीन
शहर की अधिकतर आबादी क्लोरीन युक्त पानी पीने को तरस रही है, जबकि सरकार व संबंधित विभाग लोगों को शुद्ध पानी मुहैया करवाने की दावे करती रहती है । ह
शंकर श्रेष्ठ दीनानगर : शहर की अधिकतर आबादी क्लोरीन युक्त पानी पीने को तरस रही है, जबकि सरकार व संबंधित विभाग लोगों को शुद्ध पानी मुहैया करवाने की दावे करती रहती है । हालत इस कदर बदतर है कि कई ट्यूबेल पर तो पानी में क्लोरीन डालने के उपकरण भी मौजूद नहीं है, जबकि जहां पर उपकरण लगाए गए हैं उनकी हालत भी बहुत दयनीय है । ऐसे में मजबूरन लोग अशुद्ध पानी पीने को मजबूर है जिस कारण शहर निवासी बीमारियों के दौर से गुजरते रहते हैं।
जल सप्लाई विभाग सीवरेज बोर्ड पानी में पर्याप्त मात्रा में क्लोरीन समय-समय पर मिलने के दावे करती है लेकिन यह दावे असलियत से कोसों दूर है। उल्लेखनीय है कि शहर की करीब 50 हजार आबादी को पानी की सप्लाई मुहैया करवाने के लिए 8 ट्यूब स्थापित है जिनमें से 4 ट्यूबवेल चल रहे हैं। हालांकि कई पंपों पर तो पानी में क्लोरीन मिलाने के लिए उपकरण तक ही मौजूद नहीं है ऐसे में जिन पंपों पर क्लोरीन पानी में मिलाया जाता है। वहां पर पंप ऑपरेटर अपने ही अनुमान से पानी में क्लोरीन की मात्रा को मिलाते हैं। इस कारण अधिक मात्रा डालने जाने से भी लोगों पर परेशानी का सामना करना पड़ता है।
वाटर कंडीशन की वजह से इस बरसाती सीजन में खतरनाक बीमारियां फैलती है। इस सीजन में गंदा पानी पीने से डायरिया, पीलिया, आंतों की बीमारियां और अन्य पेट की बीमारियां होती है। यह सभी बीमारियां सीधे-सीधे दूषित पानी पीने की वजह से होती है।
सेहत विभाग निगम को देश चुका है चेतावनी
शहर में पानी की वजह से बीमारियां ना फैले इसके लिए जिला प्रशासन ने सेहत विभाग और नगर कौंसिल कि अप्रैल में ही बैठक करवा दी थी । उस बैठक में डीसी और सेहत विभाग ने कौंसिल को चेतावनी दी थी कि अगर शहर के एक हिस्से में भी सीवरेज का पानी पीने वाले पानी के साथ मिक्स हुआ तो उससे महामारी फैल सकती है लेकिन कौंसिल प्रशासन ने इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा । क्यों जरूरी है क्लोरीनेशन
जिला एपीडोमोलोजिस्ट डॉक्टर ने बताया कि इस सीजन में पानी की सप्लाई में सीवरेज के पानी की मि¨क्सग हो जाती है। इसकी वजह से बीमारियों केजीवाणु पीने के पानी के साथ मिक्स हो जाते हैं जिससे खतरनाक बीमारियां फैल जाती हैं। उन्होंने बताया कि क्लोरीनेशन की वजह से इस तरह के जीवाणु नष्ट हो जाते हैं, अगर नियमित तौर पर क्लोरीनेशन हो रही है तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है । पंपों पर लगे उपकरण नही है चालू अवस्था में
वाटर सीवरेज बोर्ड के अनुसार सभी पंपों का प्रबंध निजी कंपनी के पास है । कई पंपों पर पानी में क्लोरीन डालने के उपकरण लगाए गए हैं और लगाए गए उपक्रम चलने लायक नही है । बरसात के दिन शुरू हो गए है लेकिन अभी तक पंपों पर लगे हुए उपकरणों को चालू नही किया गया है, कई पंपों पर दशकों पुराने उपकरण ही लगे हुए हैं जो अब चालू अवस्था में नही हैं । पानी में मिलाया जा रहा है क्लोरीन : एसडीओ
इस सम्बंध में जल सप्लाई व सीवर बोर्ड के एसडीओ द्वितेश से बात कि तो उन्होंने बताया कि सभी पम्पों में क्लोरीन ढालने के उपक्रम लगाए गए हैं और पानी में प्राप्त मात्रा में क्लोरीन मिलाया जा रहा है एक पंप का उपक्रम खराब है। उसको ठीक करने के लिए भेजा गया है। जैसे ही उपक्रम ठीक हो कर आएगा उसको लगा दिया जाएगा ।