बिना सेल टैक्स नंबर के हजूर बिक रहा खजूर
पंजाब सरकार की ओर से एग्रीकल्चर एक्ट में संशोधन करते हुए सब्जी मंडी के व्यापारियों की फीस में भले ही कटौती कर दी हो। लेकिन इसके बावजूद व्यापारी आज भी बाहरी राज्यों से आने वाली खजूर पर सेल टैक्स की चोरी जमकर कर रहे हैं।
बाल कृष्ण कालिया, गुरदासपुर
पंजाब सरकार की ओर से एग्रीकल्चर एक्ट में संशोधन करते हुए सब्जी मंडी के व्यापारियों की फीस में भले ही कटौती कर दी हो। लेकिन, इसके बावजूद व्यापारी आज भी बाहरी राज्यों से आने वाली खजूर पर सेल टैक्स की चोरी जमकर कर रहे हैं। यही कारण है कि मंडी में बैठे कुछ व्यापारियों ने चंद ही दिनों में करोड़ों की कीमत की दुकानें खरीदी हैं। गुरदासपुर की सब्जी मंडी में बैठे कुछ प्रमुख व्यापारी सर्दी में खजूर का लाखों रुपयों का कारोबार करते हैं। ऐसे में इन व्यापरियों की ओर से सेल टैक्स का कोई नंबर भी नहीं लिया गया। दिल्ली से आने वाली खजूर को सरेआम बिना किसी खौफ के बेचा जा रहा है।
वहीं एक व्यापारी की ओर से गत दो माह में तीन बड़े ट्रक नारियल के शहर में सप्लाई किए गए। हालांकि खुशकिस्मती इस बात की है कि नारियल पर न तो मार्केट कमेटी ने फीस वसूली की है और न ही सरकार की ओर से किसी प्रकार की कर लगाया गया। यहां तक कि सेल टैक्स अधिकारी का कहना है कि नारियल पर सरकार की ओर से टैक्स माफ किया हुआ है। इसके चलते उक्त व्यापारी ने लाखों रुपये का माल बिना किसी सरकारी फीस के बेच दिया। 15 रुपये में आने वाला नारियल का एक पीस मार्केट में 50 रुपये में बेचा गया है।
सेल टैक्स की चोरी को लेकर शिवसेना लिखेगी मुख्यमंत्री को पत्र
गुरदासपुर शिवसेना के नेता रोहित महाजन का कहना है कि सेल टैक्स की चोरी विभाग की लापरवाही से हो रही है। इसे लेकर शिवसेना पंजाब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह को जल्द ही पत्र लिखकर ड्यूटी में लापरवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेगी। सब्जी मंडी में सेल टैक्स की चोरी को रोकने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा जाएगा।
करेंगे जांच
उधर, सेल टैक्स की स्टेट कमिश्नर रमनप्रीत कौर धालीवाल का कहना है कि मामला उनके ध्यान में है। जल्द ही गुरदासपुर की सब्जी मंडी में खजूर व अन्य विदेशी या बाहरी सामान संबंधी जांच की जाएगी।
फीस है माफ, पर टैक्स नंबर जरूरी
गुरदासपुर सब्जी मंडी के सुपरवाइजर जंग बहादुर सिंह का कहना है कि मार्केट कमेटी की ओर से नारियल व खजूर पर फीस वसूली नहीं जाती जबकि व्यापारियों को सेल टैक्स नंबर लेना जरूरी होता है और इसकी जांच संबंधित विभाग की ओर से ही की जाती है।