पीड़ा में गुजारे दो साल, इंसाफ मिलते ही छलके आंसू
डेरा बाबा नानक में एसिड अटैक की पीड़िताओं ने कहा- आज समाज की हर लड़की को इंसाफ मिला है जिन पर समाज में अत्याचार हुए।
डेरा बाबा नानक में एसिड अटैक की पीड़िताओं ने कहा- आज समाज की हर लड़की को इंसाफ मिला
जेएनएन, गुरदासपुर
एसिड अटैक की घटना के बाद डेरा बाबा नानक की प्रभजोत कौर ने दो साल गुमनामी में बिताए। न घर से बाहर निकल पाई और न स्कूल जा पाई। जिन दोस्तों के साथ हंसी-मजाक कर बचपन का आनंद मान रही थी, वे भी दूर हो गए। बंद कमरे में सारा दिन बैठी रहती। घरवालों का प्यार और दिलासा तो मिलता, लेकिन बाहर निकलने की कोशिश में शरीर के घांव जलते। पहला साल अस्पतालों में निकला और दूसरा घर के कमरे में। सारा दिन उस हादसे को याद करती, लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी। धमकियों और समझौते के ऑफर भी मिले। पर झुकी नहीं। उसी का नतीजा है कि आज उसने जंग जीत ली है। बुधवार दोपहर 2.10 पर जब वह कोर्ट रूम से बाहर निकली तो चेहरे पर एक सुकून था। खुशी के साथ आंखों में आंसू और हाथ जोड़कर उस रब्ब का शुक्रिया कर रही थी, जिसने उसे लड़ाई लड़ने की हिम्मत दी। बाहर आकर प्रभजोत ने कहा कि अब दोषी भी उस एक-एक दिन को जेल में जीएंगे, जो उसने बंद कमरे में जीए। अपनी पांचों सहेलियों के साथ सबका शुक्रिया अदा करने के बाद विक्टरी का निशान बनाया। उसके बाद कोर्ट रूम की कैंटीन में वकील व परिवार के साथ खाना खाया, जहां अब उसे दोबारा नहीं आना पड़ेगा। इससे पहले 21 फरवरी को वह बाकी पांचो सहेलियों के साथ उसी स्कूल गई थी, जहां से लौटते समय घटना हुई। उस दिन शरीर ने साथ नहीं दिया और वह जल्द लौट आई। पर प्रभजोत का कहना है कि वह इस बार दसवीं के पेपर जरूर देगी और बड़ा अफसर बनकर दुनिया को साबित करेगी कि कोई भी उनकी जिंदगी खराब नहीं कर सकता।
पीड़ितों के परिवार ने कहा, दुकानदार को सजा दिलाने को जाएंगे हाईकोर्ट
अदालत से भले ही हमारी बच्चियों पर तेजाब फेंकने वालों को सख्त सजा सुनाकर इंसाफ दे दिया। पर आसानी से तेजाब मुहैया करवाने वाला भी उतना ही दोषी है। उस कारण उसे भी सख्त सजा मिलनी चाहिए। वह ऐसे लोगों को सजा दिलाने के लिए हाईकोर्ट जरूर जाएंगे। यह कहना है डेरा बाबा नानक में दो साल पहले छह छात्राओं पर फेंके गए एसिड अटैक में पीड़ित प्रभजोत कौर के परिजनों का। बुधवार को कोर्ट रूम से बाहर आकर सबसे ज्यादा पीड़ित हुई प्रभजोत कौर के दादा न¨रदर ¨सह, भाई सतनाम ¨सह, दादा हरदीप ¨सह और दूसरी पीड़ित सुखदीप कौर की मां सुखप्रीत कौर ने कहा कि आज उनकी बच्चियों समेत समाज की हर लड़की को इंसाफ मिला है, जो ऐसे हादसों का शिकार हुई।
सरकार ने नहीं निभाया वादा, पूरा इलाज भी नहीं करवाया
प्रभजोत कौर ने बताया कि घटना के बाद सरकार ने उसका सारा इलाज मुफ्त में करवाने की घोषणा की थी। पर इलाज के लिए उसे केवल एक लाख रुपये ही दि। चार लाख रुपये डाक्टरों ने अपनी ओर से उसके इलाज पर खर्च किए। उसने बताया कि अभी प्लास्टिक सर्जरी के लिए ओर पैसों की जरूरत है, जो उनके पास नहीं है। सरकार ने उसे पंजाब पुलिस में भर्ती करने की बात कहीं थी, वह वादा भी अभी अधूरा है।
परिवार दे रहा है धमकियां, एसएचओ को जांच के लिए कहा
दूसरी तरफ पीड़ित परिवार के सदस्यों ने अदालत में गुहार लगाई गई कि दोषियों के परिवार के सदस्य अभी भी उनको धमकियां दे रहे हैं। उसके बाद जज ने एसएचओ डेरा बाबा नानक को निर्देश जारी किए गए है कि वह इस मामले की गंभीरता से जांच कर रिपोर्ट पेश करें। अब किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।
एसिड अटैक में अब तक के फैसले
-8 सिंतबर 2016 में मुम्बई के चर्चित प्रीति राठी तेजाब काड में आरोपी अंकुर पंवार को कोर्ट ने केस को रेयर ऑफ द रेयरेस्ट मानते हुए फासी की सजा सुनाई थी। देश में केस में फांसी सुनाने का यह पहला मामला था।
7 दिसंबर 2013 को लुधियाना के सराभा नगर स्थित लेक्मे सलून में शादी के लिए बरनाला से तैयार होने आई हरप्रीत नाम की लड़की पर प्रेमी परविंदर ने भाभी अमृतपाल कौर के साथ मिलकर तेजाब फेंका था। 27 दिसंबर को उसकी मौत हो गयी थी। अदालत ने आरोपितों को 25 साल की सजा के अलावा 10 लाख जुर्माना और छह लाख परिवार को देने का फैसला सुनाया था।
-12 अक्टूबर 2004 को बटाला में दो सगी बहनों मनदीप व कुलजीत पर नरेंद्र सिंह ने तेजाब फेंका था। अदालत ने दोषी को 10 साल की सजा और 50, 000 जुर्माना सुनाया था।
-11 जुलाई, 2013 को मोगा में गाव मैहना के नजदीक मनदीप कौर पर तेजाब फेंका गया का। इस मामले में मनदीप के पति हरिंद्र सिंह, उसके दोस्तों जगजीत सिंह जग्गा, दपिंद्र सिंह गोगा तथा परवान सिंह पाना को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। -2010 में कपूरथला के बेगोवाल में बलजीत कौर नामक लड़की पर तेजाब फेंका गया था। इस मामले में दो दोषियों जगजीवन सिंह व जसप्रीत सिंह को दस-दस साल की कैद हुई थी।
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सजा का प्रावधान
एसिड अटैक में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के मुताबिक कम से कम 10 साल की सजा और अधिकतम आजीवन कारावास और आर्थिक दंड है।