कोटपा एक्ट हवा में, जमीं पर मौत के साये
धूम्रपान के कारण होने वाले फेफड़ों के कैंसर से देश में हर साल लाखों मौतें होती हैं। लोगों को इस खतरे से आगाह करने के लिए केंद्र सरकार ने सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर पाबंदी लगा रखी है। मगर इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा। आम सार्वजनिक जगहों की तो छोड़िये, बच्चों के स्कूलों में भी इस कानून के प्रति कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। जागरण प्रतिनिधि ने जब मंगलवार को शिक्षण संस्थाओं का जायजा लिया, तो पता चला कि कई स्कूल परिसर या उसके आसपास धूम्रपान निषेध की चेतावनी व उसके नुकसान बताने वाले बोर्ड नहीं लगे हैं।हालांकि शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी जिलों में सरकारी स्कूलों के बाहर धूम्रपान न करने की चेतावनी और उससे होने वाले नुकसान दर्शाने वाले बोर्ड लगाने के आ
शंकर श्रेष्ठ, दीनानगर :
धूम्रपान के कारण होने वाले फेफड़ों के कैंसर से देश में हर साल लाखों मौतें होती हैं। लोगों को इस खतरे से आगाह करने के लिए केंद्र सरकार ने सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर पाबंदी लगा रखी है। मगर इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा। आम सार्वजनिक जगहों की तो छोड़िये, बच्चों के स्कूलों में भी इस कानून के प्रति कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। जागरण प्रतिनिधि ने जब मंगलवार को शिक्षण संस्थाओं का जायजा लिया, तो पता चला कि कई स्कूल परिसर या उसके आसपास धूम्रपान निषेध की चेतावनी व उसके नुकसान बताने वाले बोर्ड नहीं लगे हैं।हालांकि शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी जिलों में सरकारी स्कूलों के बाहर धूम्रपान न करने की चेतावनी और उससे होने वाले नुकसान दर्शाने वाले बोर्ड लगाने के आदेश दिए थे, लेकिन जिले के अधिकांश स्कूलों में ये बोर्ड नहीं लगे हैं। यही नहीं प्रतिनिधि द्वारा शहर के विभिन्न सार्वजनिक स्थलों के दौरे दौरान बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, मेन बाजार, दीनानगर-पठानकोट मार्ग एवं बेरी चौक के पास कुछ पर्यावरण विरोधी लोग खुलेआम तंबाकूनोशी, बीडी-सिगरेट का सेवन करते दिखाई दिए। सार्वजनिक स्थानों पर लोगों द्वारा तंबाकू नोशी करके जहां पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है वही तंदुरुस्त मिशन पंजाब की भी धज्जियां उड़ रही हैं। हालांकि स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भी खुले में तंबाकूनोशी करने वाले लोगों पर कार्रवाई करने हेतु जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश भी दिए हुए हैं लेकिन, अधिकारियों की लापरवाही के चलते लोग सार्वजनिक स्थानों पर भी तंबाकू नोशी करते नजर आ रहे हैं।
कश के छल्लों में उड़ा कानून-
धूम्रपान पर नियंत्रण के लिए वर्ष 2003 में सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम (कोटपा) बनाया गया। इसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करते हुए पाए जाने पर न्यूनतम दो सौ रुपए से लेकर दस हजार तक जुर्माना वसूलने का प्रावधान है। साथ ही सभी विक्रेताओं को खुलेआम तम्बाकू सामग्री बेचने व प्रदर्शन करने पर रोक लगाई गई थी। मगर इसकी कहीं भी पालना होती नहीं दिखती।
स्कूलों के पास बिक रहा गुटखा-सिगरेट-
स्कूलों और कॉलेजों के सौ गज के दायरे में बीड़ी, सिगरेट या गुटखा जैसे तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर पूर्ण पाबंदी का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। नियमों के मुताबिक सभी शैक्षणिक संस्थानों को अपनी बाउंड्री के बाहर की ओर यह सूचना लगाना आवश्यक है कि उसके सौ गज के दायरे में तंबाकू उत्पादों की बिक्री प्रतिबंधित है। दर्जनों स्कूलों और कॉलेजों के आगे पान की गुमटियों में तंबाकू उत्पादों की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। कई दुकानों में गांजा भरा हुआ सिगरेट भी बिक रहा है। छात्र धड़ल्ले से गुटखा खरीदकर चबाते हैं। इन सब के बाद भी जिला प्रशासन व स्कूल प्रबंधन इस स्थिति से आंखे मूंदे हुए है।
यह है तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम-2003-
धारा 4- सार्वजनिक स्थानों के प्रभारी प्रवेश द्वार पर सुस्पष्ट स्थान पर धूम्रपान निषेध के बोर्ड लगाएंगे। बोर्ड पर प्रभारी, जिसके पास उल्लघंन की शिकायत की जानी है उनके फोन नम्बर लिखे हों। प्रभारी उल्लंघन करने वाले पर कार्रवाई नहीं करता है, तो उस पर व्यक्तिगत अपराधों की संख्या के समतुल्य जुर्माना लगाया जाएगा।
- केवल 30 कमरों से ज्यादा वाले होटल, तीस व्यक्तियों से ज्यादा बैठने की क्षमता वाले भोजनालय एवं एयरपोर्ट में कानूनी प्रावधानों के अनुसार अलग स्मो¨कग जोन बनाया जा सकता है।
--धारा 6 ए- 18 वर्ष से कम आयु वर्ग को तम्बाकू बेचना भी अपराध है।
--ब्रिकी के स्थान पर धूम्रपान निषेध बोर्ड लगाना आवश्यक है।
--धारा 6 बी- शिक्षण संस्थानों के 100 गज के दायरे में तम्बाकू पदार्थ बेचना अपराध है।
--धारा 4 व धारा 6- नियमों के उल्लंघन पर 200 रुपए तक जुर्माना किया जा सकता है।
--धारा 5- सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध
अब तक एक भी चालान नहीं-
कोटपा एक्ट की सख्ती से पालना को लेकर अधिकारी कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर में बीते 1 वर्षों में स्कूलों के बाहर धूम्रपान निषेध को लेकर एक भी चालान नहीं हुआ है। जबकि अधिकांश स्कूलों, दफ्तरों व सार्वजनिक स्थानों पर कर्मचारियों व लोगों के धुएं के छल्ले उड़ाने के ²श्य आम है।