खुले आसमान के नीचे पड़ी हजारों क्विटंल धान की फसल बारिश में भीगी
बटाला की अनाज मंडी में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। मंडी में किसानों की हजारों क्विटंल धान की फसल पहुंच चुकी है। मगर फसल को संभालने के लिए मंडी अधिकारियों के पास कोई प्रबंध नहीं है।
जागरण टीम, बटाला :
बटाला की अनाज मंडी में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। मंडी में किसानों की हजारों क्विटंल धान की फसल पहुंच चुकी है। मगर फसल को संभालने के लिए मंडी अधिकारियों के पास कोई प्रबंध नहीं है। शनिवार सुबह आठ बजे शुरू हुई तेज बारिश में बटाला की अनाज मंडी में खुले आसमान के नीचे पड़ी हजारों क्विटंल धान की फसल भीग गई। किसानों द्वारा इतनी मेहनत से पाली गई धान की फसल को मंडी में बर्बाद कर दिया गया। उधर किसानों ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि मंडी अधिकारियों की लापरवाही के कारण उनकी फसल की बर्बादी हुई है। गौरतलब है कि बटाला शहर की नई अनाज मंडी का नाम पंजाब की नामवर मंडियों में शुमार है और आज भी यहां तीन अलग-अलग सरकारी विभागों जिनमें से बिजली बोर्ड, सिबल पब्लिक तथा सीवरेज बोर्ड की ओर से 700 करोड़ रुपये के करीब के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इन सबके बावजूद इस बदलते मौसम के मुताबिक किसानों की धान की फसल को बचाने के उपाय नहीं किए गए । किसान खुले आसमान तले भगवान भरोसे अपनी फसल रखने को मजबूर दिखाई दे रहे हैं।
रिपेयर के लिए खोला गया छत, अभी तक नहीं लगा पाया शैड पंजाब मंडी बोर्ड-किसान
दाना मंडी में किसानो ने बताया कि नई अनाज मंडी में धान में गेहूं की फसल रखने के लिए दो बड़े-बड़े शैड किसानों तथा जमीदारों की सूरत के लिए बनाए गए हैं ।सीजन शुरू होने से पूर्व इनके ऊपर से पुरानी तथा टूटी हुई चादरें उतारकर नयी लगाई जानी थी। इस कार्य में अभी तक केवल 15 से 20 वर्ष काम ही हो पाया है और मंडियों में धान की आमद शुरू होने की वजह से यह काम बीच में ही रोक दिया गया। जिसे पंजाब मंडी बोर्ड की अनदेखी ही कहा जाएगा ऊपर से रही सही कसर बेमौसम बरसात तथा तेज चलने वाली हवाएं नकार रही हैं। जिस कारण किसान खुले आसमान में अपनी फसल रखने को मजबूर हैं। बारिश तथा नमी बढ़ने की वजह से फसल के तयशुदा रेट से नीचे रेट मिलना किसानों के लिए बड़ी चिता का विषय है।पांच सरकारी एजेंसियां सक्रिय है। बटाला मंडी में मार्कफेड ,पनसप,पनग्रेन, पंजाब एग्रो तथा वेयर हाऊस सहित पांच सरकारी एजेंसियां परमल की खरीद के लिए इन दिनों सक्रिय हैं। जो 5 प्रतिशत कमीशन लेकर हर वर्ष करोड़ों रुपए किसानों तथा जमीदारों से कमाती हैं ।लेकिन इतनी कमीशन एजेंसियों द्वारा लेने के बावजूद फसल को तिरपालों से ढकने की जिम्मेदारी केवल जमीदारों तथा किसानों की ही है, जो किसानों से भद्धा-मजाक ही कहा जाएगा। प्राइवेट एजेंसियां अभी अशुति नहीं ।यहां पर परमल की खरीद उपरोक्त सरकारी एजेंसियां ही करती हैं ,वही 1509 देव घोड़ा ,शरबती, यारा की ,बासमती तथा आईआर धान की फसल आरती खरीदते हैं। लेकिन इन सरकारी तथा गैर सरकारी एजेंसियों के दो पाटन में मौसम की वजह से रगड़ा केवल किसान और जमीदार को ही लगता है।
मंडी में किसान द्वारा अपने एकत्रित धान के ऊपर नही डालते तिरपाल,होता है नुकसान-विक्रम सिह
इस संबंध में विक्रम सिंह सैक्टरी पंजाब मंडी बोर्ड ने बताया कि शैड करीब 15 दिनो तक बनकर तैयार हो जाएगा व उसे दाना मंडी में डाल दिया जाएगा।उन्होंनें कहा कि किसानो व जमीदारों को पहले ही सूचित कर दिया जाता है कि अपने अपने धान या गेंहू को तिरपाल से ढक करके रखे, पर किसान व जमीदारो द्वारा नही ढक्का जाता,जिसमें किसान व जमीदारो की लापरवाही का नतीजा सामने आता है। कहा कि किसान की लापरवाही से उनके धान भीग जाते है,जिससे उनके धान के रेट में गिरावट आ जाती है, फिर किसान व जमीदार मंडी बोर्ड ऊपर आरोप लगाती है। किसान को अपनी फसल का ध्यान रखना चाहिए।