कंजक पूजन कर मनाई गई दुर्गा अष्टमी
शहरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी मंगलवार को श्री दुर्गा अष्टमी का पवित्र त्यौहार बड़ी ही श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया गया।
संवाद सहयोगी, किला लाल सिंह : शहरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी मंगलवार को श्री दुर्गा अष्टमी का पवित्र त्यौहार बड़ी ही श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया गया। इस दौरान छोटी बच्चियों को माता का रूप मान कंजक बना उनकी पूजा की गई।
वैष्णव परिवारों की तरफ से सभी नवरात्र में देवी की पूजा के अतिरिक्त श्री दुर्गा पाठ, दुर्गा सप्तशती पाठ, पुराण पाठ, रामायण, गीता, अमृतवाणी आदि का पाठ बड़ी ही श्रद्धा के साथ किया जाता है। ज्यादातर परिवारों की तरफ से इन दिनों अन्न आदि का त्याग कर माता के व्रत रखे जाते हैं। अष्टमी वाले दिन माता के साथ-साथ कंजक पूजन कर अपना व्रत खोला जाता है। सदियों से चली आ रही इस परंपरा के अनुसार पहले नवरात्र को घर के एक पवित्र स्थान पर माता की मूर्ति के आगे मिट्टी के बर्तन में जौं की बिजाई की जाती है। सभी नवरात्र में माता के साथ-साथ उस मिट्टी के बर्तन में बिजी गई खेत्री की भी पूरी निष्ठा के साथ पूजा की जाती है। ज्यादातर वैष्णव लोग नवरात्रों में प्याज व लहसुन आदि का त्याग कर सादा भोजन ग्रहण करते हैं। ज्यादातर लोग अष्टमी वाले दिन माताजी के साथ-साथ कंजक पूजन कर अपना व्रत पूर्ण करते हैं तथा कई भक्त नवमी वाले दिन कंजक पूजन कर अपने व्रत की पूर्णता करते हैं।
कंजक पूजन करने के बाद घर में बीजी गई खेत्री को नहर आदि के चलते पानी में अर्पित कर अपने परिवार के सुख-शांति की कामना की जाती हे। यह कंजकों का त्यौहार बेटियों के प्रति प्यार व सत्कार का एक बड़ा संदेश भी देता है। वर्तमान में सारे संसार में फैली कोविड-19 का असर इस पवित्र त्यौहार पर भी पड़ रहा है। क्योंकि इस बीमारी के डर की वजह से अब कई परिवार अपने छोटे बच्चों को दूसरे घरों में कंजक लेने के लिए नहीं भेज रहे। इसकी वजह से अब कंजक पूजन करते समय कंजकों व लैंकड़ों की काफी कमी महसूस हो रही है।