प्रभु सिमरन बिना नहीं मिलता है मोक्ष
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान शीतला मंदिर समाध रोड में श्री राम कथा करवाई गई। श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या सुश्री जयंती भारती ने प्रभु के जन्म एवं उनके जीवन की लीलाओं के भीतर छिपे हुए अध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंग के माध्यम से उजागर किया।
संवाद सहयोगी, बटाला : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान शीतला मंदिर समाध रोड में श्री राम कथा करवाई गई। श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या सुश्री जयंती भारती ने प्रभु के जन्म एवं उनके जीवन की लीलाओं के भीतर छिपे हुए अध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंग के माध्यम से उजागर किया। सुश्री भारती ने बताया कि श्री राम चरितमानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने चाहे कितने ही वर्ष पूर्व क्यों न की हो परन्तु धर्म स्थापना के जिस संदेश को वह धारण किए हुए हैं, वह हर युग, काल व देश की सीमाओं से परे है व वर्तमान युग की समस्त समस्याओं का निवारण प्रस्तुत करता है। संसार में कई प्रकार के रोग, शोक, जन्म-मृत्यु आदि में पड़े काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं अहंकार में अंधे हो चुके मानव को सन्मार्ग पर लाने के लिए प्रभु अवतरित होते हैं। वह प्रभु उपद्रव को शांत करने के लिए जन्म लेते हैं। साध्वी ने प्रभु के अवतरण के विषय में बताते हुए कहा कि प्रभु श्री राम जग पालक व सृष्टि के नियामक तत्व हैं, जो साकार रुप धारण कर अयोध्या में अवतरित होते हैं। निराकार परमात्मा धर्म की स्थापना के लिए साकार रुप धारण करता है। वह प्रत्येक मानव को उसके घट भीतर ही अपने निराकार रुप का सक्षात्कार करवा देते हैं। प्रभु श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ। साध्वी ने बताया कि अयोध्या हमारे मानव तन का प्रतीक है, जिसमें राम रुपी ईश्वर का निवास है व जिसमें प्रभु का दर्शन संभव है, क्योंकि अपने अंत करण में ईश्वर के दर्शन किए बिना मानव को मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती। माता कौशल्या ने अपने घट में ही प्रभु के चतुर्भुज के दर्शन किए। साध्वी ने कहा कि आप भी अपने भीतर ऐसा अनुभव पूर्ण सतगुरु की कृपा से कर सकते हैं। कार्यक्रम में मुख्यातिथि के तौर पर जगदीश राज साहनी पूर्व विधायक, विजय शर्मा प्रांत कार्यवाह आरएसएस, सतीश सरीन, नीरज मित्तल, मुनीश आरएसएस, शम्मी कपूर, मनीषा कपूर और संस्थान की ओर से स्वामी रणजीतानंद उपस्थित थे।