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टीबी के मरीजों को पौष्टिक आहार के लिए नहीं मिल रहे 500 रुपये

पोषण योजना के तहत हर माह 500 रुपये की राशि का लाभ जिले के सैकड़ों टीबी के मरीजों को नहीं मिल रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 09:00 AM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 09:00 AM (IST)
टीबी के मरीजों को पौष्टिक आहार के लिए नहीं मिल रहे 500 रुपये
टीबी के मरीजों को पौष्टिक आहार के लिए नहीं मिल रहे 500 रुपये

राजिदर कुमार, गुरदासपुर

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पोषण योजना के तहत हर माह 500 रुपये की राशि का लाभ जिले के सैकड़ों टीबी के मरीजों को नहीं मिल रहा है। जिले में इस समय टीबी के 1645 मरीज हैं। टीबी मरीजों को सरकार की तरफ से दवाई और इलाज मुफ्त में देने के साथ ही हर माह पांच सौ रुपये की राशि देने की योजना है। मरीज को हर माह पौष्टिक आहार और अस्पताल पहुंचने के लिए ट्रांसपोर्ट खर्च मिलाकर सरकार द्वारा पांच सौ रुपये की राशि दी जाती है। मगर पिछले कई महीनों से मरीजों के खाते में रुपये नहीं पहुंचे हैं।

वहीं सरकार द्वारा राशि खाते में न डालने के कारण अधिकतर गरीब परिवारों से संबंधित मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। राशि न मिलने से कई जरूरतमंद मरीज पौष्टिक आहार से वंचित हैं। उधर, जिला टीबी अधिकारी का कहना है कि उनकी ओर से मरीजों के लिए 20 लाख रुपये की सरकार के समक्ष डिमांड रखी गई है। रजिस्ट्रेशन के बाद खाते में डाल दी जाती है दो माह की राशि

विभागीय सूत्रों के मुताबिक जैसे ही कोई टीबी का मरीज डिटेक्ट होने के साथ उसका रजिस्ट्रेशन होता है तो बैंक खाता नंबर लेकर उसके खाते में सीधे दो माह की राशि जारी करने का प्रावदान है। हालांकि पिछले कई महीनों से नए मरीजों की रजिस्ट्रेशन हुई है, मगर उनके खातों में पैसे नहीं डाले जा रहे। इस कारण मरीजों को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। मरीज बोले, राशि न मिलने से हो रही परेशानी

गुरदासपुर के पुराने सिविल अस्पताल में टीबी रूम में अपना इलाज करवाने आए मरीजों ने बताया कि वे दिहाड़ी व किसी की दुकानों पर कम वेतन पर काम करते हैं। डाक्टर उन्हें नियमित रूप से पौष्टिक युक्त वस्तुएं व भोजन करने को बोल रहे हैं। पौष्टिक खाने के लिए अधिक खर्च कर खाना लेना पड़ता है। ऐसे में 500 रुपये प्रति माह की राशि नाकाफी है पर वह भी नहीं मिल रही है। उन्होंने सरकार से मांग की कि पीड़ितों को मिलने वाली पंजीरी योजना को शुरू किया जाए और सरकार की ओर से दी जा रही 500 रुपये की आर्थिक राशि को बढ़ाकर दो हजार रुपये प्रति माह किया जाए। आर्थिक मदद की घोषणा के बाद उक्त पंजीरी योजना बंद कर दी गई थी। मरीज डाक्टर से पूछ रहे, कब आएगी खातों में राशि

स्वास्थ्य विभाग 2025 से पहले जिले को टीबी मुक्त करने में लगा हुआ है। विभाग की टीमों का गठन किया गया है, जो घर-घर जाकर संदिग्ध मरीजों की जांच कर रही है। यही नहीं टीबी से संबंधित मरीज को अस्पताल लाने वाले को विभाग प्रोत्साहन राशि देकर भी सम्मानित कर रहा है। मरीज को भी उपचार के साथ पौष्टिक आहार के लिए राशि देने का दावा कर रहा है। मगर वास्तव में सरकार ही स्वास्थ्य विभाग का साथ नहीं दे रही। टीबी मरीजों को पूरे उपचार के साथ-साथ पौष्टिक आहार लेना आवश्यक है, मगर सरकार राशि जारी नहीं कर रही। इस कारण विभाग अधिकारी भी परेशान हैं, क्योंकि मरीज बार-बार स्वास्थ्य विभाग के संबंधित डाक्टर से बोल रहे हैं कि उनके खाते में राशि कब डाली जाएगी। 20 लाख की रखी डिमांड

जिला टीबी अधिकारी डा. रमेश अत्री का कहना है कि जिले में इस समय 1645 टीबी के मरीज रजिस्टर्ड है। सरकार से मरीजों के लिए 20 लाख रुपये की डिमांड रखी गई है। उन्होंने बताया कि जिले के 16 अस्पतालों में टीबी की दवाई उपलब्ध है। आयु व वेट के हिसाब से मरीज को दवा दी जाती है। जिले के 16 अस्पतालों में टीबी के टेस्टिंग किए जाते हैं। मरीजों के इलाज के लिए कई आधुनिक तकनीक आई हुई है। पहले कई मरीज टीबी की दवाइयां सहन नहीं कर पाते थे। अब अस्पतालों में सीबी नाट मशीन के माध्यम से यह पता लगा लिया जाता है कि किस मरीज को कौन सी दवाई दी जाए। उसके अनुरूप उनका इलाज किया जाता है। टीबी के मरीजों की तीन कैटेगरी होती है। फेफड़ों के एक्सरे की जांच में प्रारंभिक रूप से जिन्हें टीबी होना पाई जाती है। उन्हें पहले चरण में रखा जाता है। जिन्हें दोबारा होती है उन्हें दूसरे और जिन्हें दवाइयों का असर नहीं होने से बार-बार टीबी हो जाती है उन्हें तीसरे चरण में रखकर एमडीआर कहा जाता है। उन्होंने बताया कि मरीजों को बहुत ही अच्छे तरीके से ट्रीट किया जाता है। इस साल 74 फीसद मरीज ठीक किए गए हैं। जबकि 2020 में वन रैंक वाले 85 फीसद मरीज ठीक हुए थे।


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