भगवान शिव का त्रिनेत्रधारी रूप देता है आध्यात्मिक संदेश
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान और ब्राह्मण सभा की ओर से शिव कथा का आयोजन किया गया।
संवाद सूत्र, बटाला : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान और ब्राह्मण सभा की ओर से शिव कथा का आयोजन किया गया। इसमें राजीव मोदगिल, परमिदर गिल स्टेट भाजपा मुख्य मेहमान के रूप मे उपस्थित हुए। कथा के प्रथम दिवस के अंतर्गत श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्य आणिमा भारती ने श्रद्धालुओं को कथा का रसपान करवाया।
साध्वी ने बताया कि भगवान शिव त्यर्बकम है 'अम्बक' अर्थात नेत्र और 'त्रयंबकम' अर्थात तीन नेत्रों से युक्त। हम भगवान शिव के योगी स्वरूप में उनके इन तीन नेत्रों का दर्शन स्पष्ट रूप से करते हैं, परंतु, क्या केवल शिव ही है, जो त्रिनेत्रधारी है? नहीं, उनके स्वरूप का यह पक्ष प्राणीमात्र को एक आध्यात्मिक संदेश देता है। वह यह कि प्रत्येक मनुष्य त्रिनेत्रधारी है। हमारे दाएं एवं बाएं दोनों स्थूल नेत्र, चंद्र एवं सूर्य स्वरूप ही माने गए हैं।
हिन्दू दर्शनों में रीढ़ के दाएं बाएं स्थित इडा एवं पिगला नाड़ियों को भी चंद्र एवं सूर्य की उपम दिया गया है। इस मौके पर अश्वनी महाजन जी, राजू, मंजुला शर्मा, रंजन शर्मा, जितेंद्र शर्मा प्रधान ब्राह्मण सभा और ब्राह्मण सभा के सदस्य आदि मौजूद थे।