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संस्कृत सभी भाषाओं में सर्वोत्तम स्थान की अधिकारी

एसएसएम कालेज में प्रि. डा. आरके तुली की अध्यक्षता में संस्कृति विभाग की ओर से ज्ञाननिधि वैदिक साहित्य वर्तमान संदर्भ में विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 05:54 PM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 05:54 PM (IST)
संस्कृत सभी भाषाओं में सर्वोत्तम स्थान की अधिकारी
संस्कृत सभी भाषाओं में सर्वोत्तम स्थान की अधिकारी

संवाद सूत्र, दीनानगर : एसएसएम कालेज में प्रि. डा. आरके तुली की अध्यक्षता में संस्कृति विभाग की ओर से ज्ञाननिधि वैदिक साहित्य : वर्तमान संदर्भ में विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें मुख्यातिथि के रूप में दयानंद मठ, दीनानगर के प्रधान स्वामी सदानंद उपस्थित हुए। संस्कृत के विभागाध्यक्ष, जीएनडीयू अमृतसर के भाषा संकाय डीन डा. दलबीर सिंह, जीएनडीयू अमृतसर के संस्कृत विभाग से डा. विशाल भारद्वाज बतौर संसाधन व्यक्ति शामिल हुए।

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प्रिं. डा. आरके तुली ने अतिथिगण का स्वागत करते हुए कहा कि संस्कृत विश्व की सभी भाषाओं में सर्वोत्तम स्थान की अधिकारी है। प्राचीन काल से ही यह ऋषि-मुनियों की भाषा रही है। वेबिनार के संयोजक तथा विभागाध्यक्ष डा. राजन हाडा ने वेबिनार की रूपरेखा बताते हुए कहा कि आयुर्वेद जीवन शास्त्र है, जिसमें मनुष्य का जीवन अर्थात आयु शरीर और मानसिक दोनों प्रकार के रोगों से मुक्त रहता है।

स्वामी सदानंद ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि आयुर्वेद विज्ञान की वह शाखा है, जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा आयु बढ़ाने से है। उन्होंने आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि का परिचय देते हुए आयुर्वेद के सिद्धांतों का पालन कर जीवन को खुशहाल बनाने का संदेश दिया। डा. दलबीर सिंह ने अथर्ववेद में रोगोपचारक मंत्र विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि शरीर का आधार धातुएं हैं। अर्थवेद में वात, पित, कफ शरीर के तीन मूल तत्वों का उल्लेख मिलता है। इस शरीर को एक सुंदर गृह माना गया है और आयुर्वेद का भी यही उद्देश्य है कि शरीर को तापत्रय से मुक्त किया जाए। उन्होंने बताया कि अथर्ववेद में भयंकर रोगों तथा सांप के जहर को काटने का भी उपचार मिलता है। अंत में डा. राजन हांडा ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। वेबिनार का समापन शांति पाठ से हुआ। इस अवसर पर प्रो.मोनिका, प्रो.अमित कुमार, प्रो.कवंलजीत कौर, प्रो.विशाल महाजन, प्रो.रमनीक तुली इत्यादि उपस्थित थे। वेदों से बढ़कर कोई शास्त्र नहीं : डा. विशाल

डा. विशाल भारद्वाज ने वैदिक विचारधारा की वर्तमान परिवेश में प्रासंगिकता विषय पर बात करते हुए कहा कि वेदों से बढ़कर कोई शास्त्र नहीं। वेदों में राजनीति व राजतंत्र, समाज तथा आदर्शवाद के ज्ञान के साथ नियमों का पालन तथा संतुलित जीवन शैली के बारे में विस्तार से जानकारी मिलती है।


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