मिठाइयों की सैंपलिग नहीं हुई शुरू
अगर आप मिठाई खाने के शौकीन हैं और त्योहारी सीजन में मिठाई खरीद रहे हैं तो जरा संभल जाएं।
राजिदर कुमार, गुरदासपुर
अगर आप मिठाई खाने के शौकीन हैं और त्योहारी सीजन में मिठाई खरीद रहे हैं तो जरा संभल जाएं। यह मिठाई आपकी व आपके परिवार की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। जिले में इस बार मिठाई की जांच के लिए कोई भी पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। इस कारण न तो जिले में मिठाई या अन्य दूध से बने उत्पादों के सैंपल भरे गए हैं और न ही इनकी जांच हो पाई है। सरकार ने भी इसे अभी गंभीरता से नहीं लिया।
अब त्योहारी सीजन शुरू हो गया है, लेकिन फूड सेफ्टी विभाग ने अब तक किसी भी दुकान का निरीक्षण करके मिठाई या अन्य खाद्य पदार्थों के सैंपल नहीं भरे हैं। इसके चलते लोगों की सेहत राम भरोसे ही चल रही है। हालांकि फेस्टिवल सीजन शुरू होने से पहले ही विभाग द्वारा खाद्य सामग्री के सैंपल लेने शुरू कर दिए जाते थे। लेकिन इस बार मिलावटखोरों पर लगाम लगाने के लिए जिला प्रशासन व फूड सेफ्टी विभाग की कोई भी तैयारी नहीं है। जिले में मौजूदा समय में आलम यह हो गया है कि अधिकांश हलवाई खोया, पनीर, मावा तथा दूध के उत्पादों को अन्य कई बड़े शहरों से मंगवा रहे हैं। इससे स्वास्थ्य के साथ होने वाले खिलवाड़ के लिए प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। गांव से लेकर जिले के हर बाजार में मिलावट का यह खेल चल रहा है और जिला प्रशासन व फूड सेफ्टी विभाग इससे अनजान बना हुआ है। खुलेआम बिक रही मिलावटी व रंग-बिरंगी मिठाइयों की जांच के लिए जिला प्रशासन व फूड सेफ्टी विभाग ने अभी तक कोई भी निरीक्षण टीम का गठन तक नहीं किया है। पांच सालों में लिए गए सैंपल
2015 के त्योहारी सीजन में फूूड सेफ्टी विभाग ने 63 प्रतिष्ठानों से खोया, पनीर, दूध, मिठाई के सैंपल लिए थे। इसमें से 6 सैंपल की रिपोर्ट फेल आई है। वर्ष 2016 में विभाग ने 77 सैंपल लिए थे। इसमें तीन सैंपल की रिपोर्ट फेल आई थी। 2017 में 71 सैंपल लिए गए। इसमें से 1 फेल मिला। 2018 में 91 सैंपल लिए। चार फेल पाए गए। 2019 में 97 सैंपल लिए गए, जिनमें सात फेल पाए गए। 2020 में अभी एक भी सैंपल नहीं लिया गया। हालांकि उक्त सभी के सैंपल सब स्टैंडर्ड पाए गए हैं, जिनको जुर्माना भी विभाग द्वारा किया जाए। यह है प्रक्रिया
मिठाइयों की जांच के लिए प्रदेश के सभी जिलों से सैंपल लेकर खरड़ लैब में भेजे जाते हैं। लैब तक सैंपल पहुंचने में करीब तीन दिन लगते हैं। लैब की ओर से सैंपल रिसीव करने के 12 दिन बाद रिपोर्ट भेजी जाती है। रिपोर्ट आने में भी करीब 3 दिन का समय लगता है। करीब दो साल पहले तक यह रिपोर्ट आने में 40 दिन तक का समय लगता था। मिठाई के एक सैंपल के कई प्रकार के टेस्ट लैब में होते है। ये सभी टेस्ट अलग अलग मशीन में किए जाते हैं। सैंपल को 3 श्रेणी में विभाजित किया गया है- सब-स्टैंडर्ड, मिक्स ब्रांडेड और अनसेफ। यह है कार्रवाई का प्रावधान
सैंपल के सब-स्टैंडर्ड मिलने पर संबंधित दुकान पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना, अनसेफ मिलने पर दुकानदार या विक्रेता को तीन साल की सजा। इतना ही नहीं मिलावटी या खराब मिठाई खाने से यदि किसी व्यक्ति के शरीर का कोई हिस्सा खराब हो जाता है तो विक्रेता को उम्र कैद की सजा का प्रावधान है। मिलावटी मिठाई की रिपोर्ट के बाद उपभोक्ता या खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी सैंपल रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करेगा। मामला कोर्ट में जाने से पहले विभाग की ओर से विक्रेता को दूसरी लैब से उसी सैंपल की जांच करवाने के एक महीने का समय दिया जाता है। दूसरी लैब की रिपोर्ट को ही फाइनल रिपोर्ट माना जाता है। ये बीमारियां हो सकती हैं
डा. समिता के अनुसार मिलावटी खाद्य पदार्थो के सेवन से पीलिया, टायफाइड, पेट में इंफेक्शन, फूड प्वाइजनिग इत्यादि बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए ऐसी मिठाइयों को खाने से अपना बचाव करें। कोट्स
अगर कोई हलवाई खाद्य सामग्री में मिलावट करता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। वहीं जो लोग मिठाइयों पर एक्सपायरी डेट भी नहीं लिख रहे उन पर भी कार्रवाई की गाज जल्द ही गिर सकती है। डीएफएसओ से बैठक करने के बाद जल्द ही सैंपलिग का काम शुरू किया जा रहा है।
-मोहम्मद इशफाक, डीसी।