25 दिन बाद आती है मिठाई के सैंपलों की रिपोर्ट, कैसे रुकेगीमिलावटखोरी
त्योहार आने से पहले ही मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं। मुनाफा कमाने के लिए लोगों की सेहत से खिलवाड़ करते हैं।
शंकर श्रेष्ठ, दीनानगर : त्योहार आने से पहले ही मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं। मुनाफा कमाने के लिए लोगों की सेहत से खिलवाड़ करते हैं। इस काले कारोबार को रोकने के लिए यूं तो स्वास्थ्य विभाग तमाम दावे करता है, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं होता। यह बात दैनिक जागरण की ओर से की गई पड़ताल में सामने आई। इस मिलावट को रोकने की प्रक्रिया इतनी धीमी है कि रिपोर्ट 20 से 25 दिन बाद आती है। रिपोर्ट आने तक सीजन खत्म हो जाता है। विभाग भी त्योहार से महज 10 से 15 दिन पहले ही सैंपलिग करने का काम शुरू करता है। हर साल सैंपलिग कर खानापूर्ति की जाती है। इससे मिलावटखोरों के हौसले बुलंद हो जाते हैं। मिलावट रोकने की यह है प्रक्रिया
सैंपल लेने के लिए जिला फूड सेफ्टी अधिकारी की अनुमति जरूरी होती है। इसके बाद फूड सेफ्टी आफिसर जिस वस्तु का सैंपल लेता है, उसे सील करने के बाद 24 घंटे के भीतर जांच के लिए लैब में भेजना होता है। इसके बाद 20 से 25 दिन रिपोर्ट आने में लग जाते हैं। होना ये चाहिए--
सैंपल की रिपोर्ट एक हफ्ते में आनी चाहिए। देरी मिलावटखोरों को मदद करती है। समय पर रिपोर्ट आने के बाद दुकानदारों पर कार्रवाई हो पाएगी। उसे मिलावटी मिठाइयां बेचने के लिए समय नहीं मिलेगा। इस तरह से मिलावटखोरी पर अंकुश लगाया जा सकता है। तीन प्रकार की रिपोर्ट, कार्रवाई का प्रावधान
1. मिस ब्रांड : बाजार में बिना ब्रांड की खाद्य वस्तुएं बिकती हैं। अपना ही लेबल लगाकर उसको धड़ल्ले से बेचा जाता है। कई बार ऐसा होता है कि असली ब्रांड का इस्तेमाल कर उसमें नकली मिठाइयां बेची जाती हैं। यह अपराध की श्रेणी में आता है। इसमें पांच लाख रुपये अधिकतम जुर्माने का प्रावधान है। 2. सब स्टैंडर्ड : इस श्रेणी में सैंपल फेल नहीं पाए जाते, लेकिन उनकी गुणवत्ता बेहतर नहीं होती। अच्छे खाद्य पदार्थों के नाम पर उनको बेचा जाता है। सब स्टैंडर्ड मिठाइयां बेचने वालों की सैंपलिग के बाद रिपोर्ट एडीसी को भेजी जाती है। यहां उनका जुर्माना तय होता है। इसमें भी अधिकतम पांच लाख तक का जुर्माना हो सकता है। 3. मिलावटी खाद्य वस्तुएं : सैंपल की जांच रिपोर्ट में यदि यह तय हो जाता है कि इसमें मिलावट हुई है, जिसमें स्पष्ट बताया जाता है कि यह सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। अनफिट सैंपलों में जुर्माने के साथ सजा का भी प्रावधान है। मिलावटखोरों पर करेंगे सख्त कार्रवाई
गुरदासपुर के खाद्य आपूर्ति विभाग के सहायक कमिश्नर डा. जीएस पन्नू ने कहा कि खाद्य पदार्थ में किसी हानिकारक पदार्थ की मिलावट पाए जाने पर खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 की धारा 51 में पांच लाख तक का जुर्माना किया जा सकता है। मिलावट के दौरान ऐसे हानिकारक पदार्थ, जिससे मृत्यु हो सकती है, पाए जाने पर खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 की धारा 59 के अंतर्गत कम से कम सात साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा 10 लाख तक जुर्माना हो सकता है। मिलावटखोरी रोकने के लिए सैंपलिग की जा रही है। मिलावटखोरी को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कोई केस सामने आता है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।